*इंदौर:-बाबा यादव*
प्रदेश में कु पोषण सहित अन्य बिमारियों से ग्रसित नवजात की तलाश करने के लिए डोर टू डोर स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग द्वारा दस्तक अभियान चलाया जा रहा है जिसके तहत जो आंकड़े सामने आए हेै वह चौकाने वाले है। आंकडों की बात करें तो प्रथम चरण के सर्वे में 1,02,55,435 बच्चों की सक्रिय स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इस अभियान के में 63.40 लाख बच्चों को विभिन्न बिमारियों से ग्रसित होना पाया गया है।
सरकार ने प्रदेश में नवजात की मृत्यु दर कम करने के लिए कई अभियान चलाए है। इन अभियानों के तहत जो प्रयास सरकार द्वारा किए गए थे उसमें दावा किया था कि राज्य में कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार आया है। यही नही मृत्यु दज कर होने के साथ अन्य बितारियों के बच्चों के स्वास्थ में भी सुधार आया है। सरकार के इस दावे को विभागीय सर्वे में चिंताजनक करार दिया है। यह सर्वे जन्म से 5 वर्ष तक के बच्चो को लेकर किया गया है। सर्वे के अनुसार 1000 बच्चों पर 55 बच्चों की मृत्यु हो रही है। इसके प्रमुख कारणों में बाल्यकालीन दस्त रोग एवं निमोनिया है और कुपोषण एवं एनीमिया अन्य कारण हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आशा, एनएनएम और आँगनबाड़ी कार्यकर्ता के संयुक्त दल द्वारा जो सर्वे कराया गया है उसमें 1,02,55,435 बच्चों की सक्रिय स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इस अभियान के में 63.40 लाख बच्चों को विभिन्न बिमारियों से ग्रसित होना पाया गया है। इधर प्रदेश में 68.9 प्रतिशत बच्चे एनीमिक एवं 9.2 प्रतिशत बच्चे गंभीर कुपोषित हैं। सर्वे के बाद यह सुझाव दिया गया है कि समुचित स्तनपान द्वारा शिशु मृत्यु दर में लगभग 22 प्रतिशत कमी लाना संभव है। राज्य में लगभग 81 प्रतिशत महिलाओं द्वारा संस्थागत प्रसव का लाभ लेने पर भी केवल 35 प्रतिशत नवजात शिशुओं को ही माँ पहला गाढ़ा पीला दूध का लाभ मिल रहा है। यह सर्वे 31 जुलाई तक चलेगा।
बिमार मिले बच्चों की यह थी स्थिति सर्वे में जिन 63.40 लाख बच्चे बिमारियों से ग्रसित पाए गए है उनमें से 8883 गंभीर कुपोषित सह चिकित्सकीय जटिलता वाले बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कर उपचार किया। गंभीर एनीमिया से ग्रसित 1206 बच्चों को रक्ताधान किया गया। गंभीर निमोनिया से ग्रसित 1213 तथा डायरिया से ग्रसित 1412 बच्चों का उपचार कराया। अभियान के दौरान 9 माह से 5 वर्ष के 53.66 लाख बच्चों को विटामिन-ए की खुराक पिलाई गई। लगभग 25.58 लाख बच्चों के परिवारों को शिशु एवं बाल आहार पूर्ति, हाथ धुलाई, दस्त प्रबंधन आदि के संबंध में समझाईश देकर उन्हे स्वस्थ करने का प्रयास किया गया।
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