*ये तो एक आपदा है न डर,गुजर जाएगी,
*न तू गुजरेगा-न में गुजरूँगा,आपदा है गुजर जाएगी।
*हिंदुस्तानी है हौंसला बुलन्द रख,न तू डर-न में डरुँ,
*किस-किस को निगल लेगी ये,ये न तुझे पता-न मुझे पता,हौंसला तो रख॥
*न तुझे पता था न मुझे पता था,वो (मौत) किधर से आएगी*,
*चन्द दिनों,घण्टों-पलों में जाने किस- किसको निगल जाएगी।
*ये तुझे पता था,न मुझे पता था…*
*कोई बेड के लिए तो कोई इंजेक्शन के लिए लड़ रहा था*,
*चन्द लोग इंजेक्शन पर डिबेट कर रहे थे और यहाँ पल-पल लोग मर रहे थे।*
*यहाँ परिजन पल-पल गिन रो रहे थे और वो वहाँ समय का हवाला दे रहे थे*,
*ऐसा भी समय आएगा,ये तुझे पता था- न मुझे पता था।*
*कौन वोट के लिए और कौन नोट के लिए नौटंकी कर रहा था।*
*ये न तुझे पता था,न मुझे पता था…*
*अस्पतालों में लगी थी कतार तो श्मशान कहाँ सूने थे,
न जाने इस महामारी में कितने घर सूने थे।*
*कहाँ से आई ये आपदा और कहाँ खत्म होगी ये विपदा।*
*ये न तुझे पता है,न मुझे पता है।*
*गजब की हो रही राजनीति यहाँ,कोई आँकड़े छुपा रहा तो कोई आँकड़े गिना रहा यहाँ*,
*कितने घर उजड़ गए और कितने अपनों से बिछड़ गए।*
*ये न तुझे पता,न मुझे पता…।*
*कतारें लगी थी तो टोकन बँट रहे थे, ये न तूने सोचा था,न मैंने सोचा था।*
*के फिर वो दौर आएगा कि इंसान को न कोई जलाएगा-न दफ़नाएगा,माँ गंगा की गोद में दबाएगा।*
*ये न मैंने सोचा था,न ये तूने सोचा था।*
*ये न तुझे पता था,न मुझे पता था…।*
*कितने मासूमों के सिर से माँ-बाप का साया छिन गया*,
*अरे चीन तूने ये कैसा कहर बरसाया।*
*यहाँ पिता ने बेटे को तो एक बेटी ने माँ को दफनाया,*
*अब तक ये न समझ आया कि इस आपदा ने कितनों को रुलाया।*
*तो कितनों को असमय मौत की नींद सुलाया।*
*न ये तुझे पता,न ये मुझे पता…।*
*यहाँ हर शख्स गमगीन है तो कईं गमहीन है*,
*चन्द रुपयों की खातिर कोई मुस्कुराया तो कोई दिल पे पत्थर रख आँसू भर रो भी न पाया।*
*ये कैसी विपदा अचानक आन पड़ी न किसी का मान रहा-न सम्मान रहा*,
*सम्मान की पगड़ी पड़ी जमीन पर,न कोई सम्भाल पाया-न उठा कर उसे अंतिम विदाई में पहना पाया।*
*है प्रभु ये तेरी कैसी माया,इंसान दो गज जमीन को तरसा,
माँ गंगा की गोद में अपने को पाया।*
*न ये तुझे पता था,न ये मुझे पता था…*
*रख हौंसला ये हिन्द के बाशिन्दे,ये वक्त है गुजर जाएगा।*
*फिर लहलहाएगी ये जिंदगी,बस हौंसला रख,
चन्द कदमों की बची है दूरी,फिर से शुरू होगी वही अपनी खुशनुमा जिंदगी॥*
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*DNU Times,ध्वनि-वार्ता व दैनिक स्वतन्त्र समय से पत्रकार संजय यादव ‘बाबा’ (इंदौर) की कलम से…
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