*“आश्वासन नही नियुक्ति चाहिए” आब अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठेंगे चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर*
*डंडे खाएंगे या चाहे खाएं गोलियां मगर बिना जोइनिग लेटर नही हटेंगे हम*
*इंदौर:-संजय बाबा यादव*
पीएससी चयनित सहायक
प्राध्यापक संघ की संविधान रक्षा एवं न्याय यात्रा शनिवार को दोपहर तक यात्रा राजधानी पहुंच जाएगी। इसके बाद चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठेंगे। चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर संघ के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश खातरकर ने कहा है कि उनकी हड़ताल चयनित पूरे 2600 से ज्यादा असिस्टेंट प्रोफेसरों को नियुक्ति नहीं मिलने तक जारी रहेगी। सीहोर में संगठन के दस पदाधिकारियों ने शुक्रवार को मुंडन भी कराया। चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों का कहना है
कि नेट, सेट या पीएचडी की योग्यता नहीं रखने वाले अतिथि विद्वानों के चक्कर में सरकार हमारी नियुक्ति रोक रही है, जिसके कारण पीएससी चयनित
आज सड़कों पर भीख मांगने के लिए मजबूर है। उन्होंने कहा कि पीएससी एक संवैधानिक संस्था है
उसके द्वारा चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति न देना हमारे संवैधानिक अधिकारों का हनन है। अतिथि विद्वान इस भर्ती पर बेबुनियाद और मनगढंत आरोप
लगा रहें है। इस परीक्षा में कुछ अचयनित व अयोग्य अतिथि विद्वान जो विगत 15 वर्षों से पढाने के बाद भी सहायक प्राध्यापक परीक्षा में न्यूनतम उत्तीर्ण अंक तक भी नहीं ला पाए हैं। ऐसे लोगों के द्वारा बेबुनियाद
आरोप लगाना गलत है। खुद परीक्षा पास नही कर पाए ऐसे लोग क्या छात्रों का भविष्य बनाएंगे क्या एक्जाम पास करने लायक पड़ा पाएंगे।
*मध्यप्रदेश सरकार एवं मंत्री जी द्वारा…*
लोकसेवा आयोग म०प्र द्वारा चयनित सहायक प्राध्यापकों, लाइब्रेरियन और क्रीड़ाधिकारियों का, किसी अन्य अचयनित एवं असफल अभ्यर्थी से तुलना करना पूर्णतया असंगत एवं असंवैधानिक है। इससे कहीं ना कहीं अनावश्यक कुतर्क और अनावश्यक संघर्ष की स्थिति निर्मित होने की आशंका रहती है, जो गलत है। पीएससी चयनित किसी भी अभ्यर्थियों के संवैधानिक अधिकार एवं हित अलग हैं और दलों के राजनैतिक जुमलेबाजी के बाद कुछ समूहों के तथाकथित तुष्टीकरण युक्त मुद्दे अलग हैं। इनमें कोई तुलना बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। पिछले डेढ़ साल से अपनी नियुक्तियों की बाट जोह रहे प्रतिभावान पीएससी चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति पाना उनके संवैधानिक अधिकार हैं।
विगत 24नवम्बर से “संविधान रक्षा यात्रा” के माध्यम से सभी पीएससी चयनित अभ्यर्थी अपने नियुक्ति अधिकारों के लिए महू से भोपाल की पदयात्रा की अनवरत चल रही है किन्तु अभी भी मध्यप्रदेश सरकार की उदासीनता एवं अवहेलना के कारण आन्शिक सफलता मिल पाई है।माननीय उच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न आदेशों में चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए सरकार को लिबर्टी दे रखी है। किन्तु सरकार अभी भी इन आदेशों की गलत व्याख्या करके नियुक्तियां देने में आना-कानी कर रही है। क्या सत्य के लिए आने वाले दिनों में सत्याग्रह करने पर भी शासन एवं सरकारों द्वारा, लोगों के वैध अधिकार उन्हें नहीं दिये जायेंगे? अतः मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार सहित यशस्वी मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी एवं उच्च शिक्षा मंत्री श्री जीतूपटवारी जी से विनम्र आग्रह है कि वो पीएससी चयनित अभ्यर्थियों की पीड़ा को समझें एवं बिना किसी राजनैतिक लोलुपता के सभी विषयों के सहायक प्राध्यापकों की नियुक्तियां तत्काल करें। यही मध्यप्रदेश के संपूर्ण जनमानस एवं महाविद्यालयीन विद्यार्थियो की मांग हैं। और यही स्वर्णिम मध्यप्रदेश का आगामी भविष्य उज्जवल करेगा। जैसा कि पीएससी चयनित सहायक प्राध्यापकों ने बताया