*इंदौर:-बाबा यादव*
प्रदेश में ई-रजिस्ट्री का काम 2015 से शुरू किया गया है। सरकार ने इस कार्य को निजी कंपनी को दे दिया! यह कंपनी व्यवस्था का संचालन ठीक से नहीं कर पा रही है। बार बार कंपनी की लापरवाही सामने आती है। सरकार इस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर, नोटिस तक जारी नहीं करती! सरकार और अधिकारियों की इस लापरवाही के विरोध में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजा गया है।
इंदौर पंजीयन कार्यालय व्यवस्था समिति के अध्यक्ष प्रमोद द्विवेदी ने बताया कि निजी कंपनी से जो दस्तावेज निष्पादित किए जाते हैं, उसमें बार-बार लापरवाही की जाती है। अधिकारी इस बात ध्यान नहीं देते, इसलिए अधिकारियों पर से भरोसा उठ गया है। इस मसले पर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया है। द्विवेदी ने बताया कि पंजीयन दस्तावेज में कुछ दस्तावेज ऐसे होते हैं, जो व्यक्ति के जीवन-मरण से जुडे होते हैं। जैसे वसीयत करवाना और आम मुख्यत्यार नामा तैयार करना है, इसे मैन्युअल किया जाता है। पंजीयन अधिनियम की धारा 1908 के प्रावधानों के तहत इन्हे मौलिक अधिकार मिला हुआ है। वसीयत के मामले में सब-रजिस्ट्रार को आधी रात को भी घर बुलाकर दस्तावेज तैयार किया जाना होता है, मगर ई-रजिस्ट्री के शुरू होने के बाद से यह व्यवस्था को बंद कर दी गई है। इसे पुन: चालू करने की मांग को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया है। इस ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई है कि इस व्यवस्था को मैन्युअल ही लागू किया जा जाए।
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