*इंदौर:-बाबा*
शहर में दुर्घटनाओं के संशय के बीच चलने वाली टाटा मैजिक और अन्य वाहनों के पीछे आरटीओ का सीधा खेल रहता है। विभाग की उडन दस्ते की टीम यदि कार्रवाई करे तो आरटीओ को मिलने वाली वसूली बंद हो जाएगी। नेताओं के खटारा वाहनों पर शिंकजा कसा जाए जो अधिकारियों को अपने ट्रांसफर का डर सताने लगता है यानि इंदौर की जनता मौत के मुंह रहे उसकी किसी को चिंता नहीं है।
इंदौर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित होने वाली 1288 टाटा मैजिक पर आरटीओ कार्रवाई क्यो नहीं करता है यह शहर वासियों की समझ से परे है। आरटीओ की चुप्पी से कई सवाल खटारा टाटा मैजिक और सिटी वेन को लेकर खडे होते है। शहर में चाहे जहां पर इन लोक वाहन के चालक अपने वाहन को खडे करके सवारिया बैठाने और उतारने लगते है। यहां तक टाटा मैजिक के गेट सड़क की ओर खोलकर उसमें क्लीनर लटकते हुए चलते है जो मार्ग से निकलने वाले अन्य वाहन चालक या पैदल यात्री के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इसके अलावा 546 सिटी वेन में से अधिकांश वेन के चालक पहले तो क्षमता से अधिक सवारियां बैठाते है और ऊपर से वेन का गेट खुला छोडते है।
सिटी वेन के गेट खुल रहने के कारण वेन चालक खुद गेट के खराब होना बताते है ऐसे यदि कोई सवारी वेन से बाहर आकर गिर जाए तो क्या होगा? वेन चालकों की दादागिरी इतनी है कि उन्हे ग्रामीण रूट के परमिट दिए गए ओर वे शहरी सीमाओं में बेधड़क चलाते है। सूत्रों की माने तो वे प्रत्येक वेन जो नियमों के विपरित चलती है वे यातायात पुलिस के क्षेत्रिय अधिकारी को 2000 और आरटीओ को 2500 प्रतिमाह देते है इसलिए इन अधिकारियों की नजर में ये खटारा और ग्रामीण क्षेत्र के शहरी इलको में चलने वाले वाहन नहीं आते है। बताते है कुछ वाहन ऐसे है जो नेताओं के संरक्षण में चलते है वे लोग अधिकारियों पर इस बात का दवाब बनाते है कि उनके वाहनों पर कार्रवाई हुई तो उनका ट्रांसफर इंदौर से बाहर हो जाएगा। अधिकारी इंदौर इसलिए नहीं छोडना चाहते है कि अन्य जिलों की आपेक्षा इंदौर में उन्हे अच्छी खासी कमाई है।
प्रशासन ही कर रहा है नियमों का उल्लंघन
इंदौर में इस समय 220 सिटी बसों का संचालन होता है इनमें आईबस भी शामिल है। इंदौर में पीपीमोड पर संचालित होने वाली इन बसों में से भी अधिकांश बसों की हालात ठीक नहीं है। कहीं बसों के कांच फुटे है तो कहीं बसे हवा में लहराती है। यहीं ने सिटी और आई बस ओवर लोड होकर संचालित की जा रही है। आरटीओ का उडन दस्ता और ट्राफिक पुलिस इनके खिलाफ कार्रवाई केवल इसलिए नहीं करती है कि इन बसों के संचालन पर प्रशासन का नियंत्रण है। जब प्रशासन ही ऐसे वाहनों को संचालित करेंगा तो निजी तौर चलने वालें वाहनों पर शिकंजा कसना कठिन होगा।
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