*इंदौर:-बाबा यादव*
सरकार और जेल मुख्यालय की अनदेखी के चलते शहर की दोनों जेलों की छत से पानी टपकता है। दीवारों से पानी रिसने के कारण कैदियों को रात में सोने में भी परेशानी होती है। इसे देखते हुए जेल प्रशासन अगले सप्ताह से खुद के खर्च पर छतों की मरम्मत कराएगा।
जानकारी के मुताबिक, सेन्ट्रल व सीआई जेल काफी पुरानी हो चुकी है। बैरक व अन्य भवनों में कुछ स्थानों पर दरारें आने लगी है। बारिश में यहां कैदियों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाती है। कई बैरकों की छतों से पानी टपकने लगता है, जिससे कैदियों का सामान भीग जाता है। जैसे-तैसे सामान को इधर-उधर कर कैदी समय काटते हैं। वहीं, कुछ बैरकों की दीवारों में सीलन आने लगती है, जिससे धीरे-धीरे पानी भराने लगता है। पानी भराने से कैदियों को सोने में दिक्कत आती है। हालांकि,जेल प्रशासन ऐसे बैरकों के कैदियों को अन्य बैरकों में शिफ्ट कर देते हैं, मगर उससे समस्या हल होने की बजाए और विकराल हो जाती है।
इसकी मुख्य वजह यह है कि बैरकों में अपेक्षाकृत अधिक कैदी रहते हैं। दूसरे बैरकों से कैदियों के पहुंचने से वहां सोने की समस्या खड़ी हो जाती है। कैदी आपस में गुत्थम-गुत्था होते रहते हैं। यह सिलसिला लगभग दो से तीन माह तक सतत चलता है। रोहिणी के अंतिम दिनों में हुई प्री-मानसून की बारिश में छतों से पानी टपकने व दीवारों से पानी रिसने के मामले को जेल प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। अब जेल प्रशासन स्वयं के खर्च पर छतों व दीवारों की मरम्मत कराएगा। इसका प्रस्ताव तैयार हो चुका है।
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