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धड़ल्ले से बिक रहे नशीले पदार्थ के कारण बढ़ रही है दुष्कर्म की घटनाएं ‘बच्चियों के साथ होती बदसलूकी और शर्मसार होता समाज’ विषय पर इंदौर प्रेस क्लब और सेवा सुरभि द्वारा परिचर्चा का आयोजन

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बाबा यादव

इंदौर। बेटियों को नहीं बेटों को समझाएं कि वे किसी के साथ कुकर्म कर अपने परिवार और समाज का नाम बदनाम नहीं करें। सभी सामाजिक और स्वैच्छिक संगठन मिलकर अभियान चलाएं, ताकि दुष्कर्म की घटनाएं किसी भी कीमत पर न हो। शहर में जहां-जहां नशीले पदार्थों की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है, वहां पुलिस प्रशासन द्वारा छापामार कार्यवाही की जाए, ताकि इन पर लगाम लग सके। ये निष्कर्ष विभिन्न सामाजिक एवं स्वैच्छिक संगठनों के प्रतिनिधियों और प्रबुद्धजनों के हैं, जो उन्होंने इंदौर प्रेस क्लब और सेवा सुरभि द्वारा आयोजित ‘बच्चियों के साथ होती बदसलूकी और शर्मसार होता समाज’ विषय पर सोमवार को आयोजित परिचर्चा में बेबाकी के साथ व्यक्त किए। सभी ने एकमत होकर के कहा कि शहर में बिक रहे नशीले पदार्थों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।
विषय प्रवर्तन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार अमित मंडलोई ने कहा कि हमारी संवेदनाएं पत्थर हो गई हैं। बच्चियां उत्पाद या देह की वस्तुएं हो गई हैं और बलात्कारी उपभोक्ता हो गए हैं। यह शहर बच्चियों और महिलाओं के रहने लायक नहीं रहा और हमारा समाज इन दोनों की सुरक्षा करने में नाकाम साबित हो रहा है। दुर्भाग्य यह है कि किसी भी बच्ची या युवती के साथ दुष्कर्म के बाद समाज के लोग घटना को लेकर धरना देते हैं, मौन रैलियां और मोमबत्ती जलाते हैं, लेकिन हमारा कानून ऐसा है कि पीडि़ता को खुद साबित करना है कि उसके साथ दुष्कर्म या बदसलूकी हुई है। हमारे यहां ऐसी पीडि़ताओं को आसानी से गवाह मिलते नहीं और सबूत खरीद लिए जाते हैं। अत: अपराधी को समय पर सजा नहीं मिल पाती। इस पर हमें नए सिरे से विचार करने की जरूरत है।
सीआरपीएफ के पूर्व डीजीपी एन.के. त्रिपाठी ने कहा कि एक अध्ययन के अनुसार समाज में 30 प्रतिशत दुष्कर्म की घटनाएं परिवार के लोग या नजदीकी रिश्तेदार करते है। 10 प्रतिशत भाई-बहनों के दोस्त और इतने ही एकदम अपरिचित लोग उत्तेजना में आकर ऐसे दुष्कार्य करते हैं। दुर्भाग्य यह है कि आतंकवादी को सजा देने के लिए रात को 2 बजे भी कोर्ट बैठकी है, लेकिन दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध के लिए ऐसा नहीं होता। अदालतों द्वारा कई दुष्कर्मियों को फांसी की सजा सुना तो दी जाती है, लेकिन उनमें से कुछ ही फांसी के फंदे तक पहुंच पाते हैं। हालांकि हमारा सुप्रीम कोर्ट इस मामले में बहुत ही अधिक संवेदनशील है और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले नजीर बनते जा रहे हैं।
पूर्व आईजी आशा माथुर ने कहा कि दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने के लिए हमें परिवारों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है साथ ही कानून का ज्ञान होना भी जरूरी है। जरूरत इस बात है कि हमारे समाज में जितने भी अधिक सामाजिक और स्वैच्छिक संगठन हैं वे सभी मिलकर के क्षेत्रवार बैठकें करें, ताकि किसी भी मोहल्ले या कॉलोनी में कभी भी छेडख़ानी या दुष्कर्म की घटनाएं न हों। इस कार्य में मीडिया समन्वयक की भूमिका अदा करे। यदि पीडि़ता की रिपोर्ट थाने में नहीं लिखी जाती है तो वह विधिक अधिकारी की सहायता भी ले सकती है। साथ ही महिला बाल विकास, आदिम जाति कल्याण विभाग आदि एजेंसियों के समक्ष जाकर भी अपनी शिकायत कर उनसे मदद ले सकती है। सभी महिलाओं को सम्मान से जीने का हक है। सतत रचनात्मक गतिविधियां चलाकर समाज में दुष्कर्म की घटनाओं को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा सभी अपराध की श्रेणी में हैं।
पद्मश्री जनक पलटा ने कहा कि देवी अहिल्या की नगर को क्या हो गया। तीन वर्ष की बच्ची के साथ भी बदसलूकी हो रही है। जरूरत है कि हम बेटियों की बजाए बेटों को सिखाएं कि वह किसी बच्ची के साथ बदसलूकी कर अपना और परिवार सहित शहर का मुंह काला नहीं करे। इंदौर स्वच्छता में तो नंबर वन चुका है, लेकिन नैतिकता और मूल्यों के मामले में आज भी बहुत पीछे है। जब तक हम लड़कों को शिक्षित नहीं करेंगे, तब तक वे लड़कियों पर कभी एसिड डालेंगे तो कभी उनके साथ दुष्कर्म करेंगे। अत: हमें खुलेआम बिक रहे नशीले पदार्थों पर पाबंदी लगाना होगी।
अग्निबाण के प्रधान संपादक राजेश चेलावत ने कहा कि समाज में चारित्रिक पतन चारों ओर हो रहा है। आज टीवी जितने भी धारावाहिक या कार्यक्रम दिखाए जाते हैं, वे बगैर महिला खलनायकों के पूरे नहीं होते और ऐसी महिलाएं घरों को बर्बाद कर रही हैं। बड़े परिवारों की लड़कियां पबों, होटलों और मॉल में शराब पीकर इतनी बहक जाती हैं कि वे ठीक से चल भी नहीं पाती। ऐसे वर्ग को हम रोक नहीं पा रहे हैं, जिसके पास पैसा है उसके लिए विलासिताकी सारी चीजें उपलब्ध हैं और जो कमजोर वर्ग के लोग हैं वे लूटने और झपटने का काम कर रहे हैं। अत: जरूरत इस बात की है कि ऐसे पबों को तुरंत बंद किया जाए। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो हम लिव इन रिलेशनशिप को सही ठहरा रहे हैं और दूसरी तरफ ऐसी लड़कियां थाने में पहुंचकर लड़कों के खिलाफ केस दर्ज करा रही हैं। समाज में यह दोहरापन नहीं चल सकता।
विधायक उषा ठाकुर ने कहा कि हमें बच्चों में आध्यात्मिक शिक्षा को जगाने की जरूरत है। क्योंकि आध्यात्म से आत्मबल बढ़ता है। लड़कियों को अच्छे संस्कार देने की जरूरत है। प्यार समर्पण, तपस्या और पूजा है और जिसे हम लिव इन रिलेशनशिप के नाम पर कमजोर करते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने अपने क्षेत्र में हजारों बच्चियों को सामूहिक दुर्गा सप्तसती का पाठ कराया।
विधायक सुदर्शन गुप्ता ने कहा कि समाज में विश्वास का संकट गहराता जा रहा है। हमेशी शिक्षण-प्रशिक्षण की जरूरत है। जो दुष्कर्मी है उसके परिजनों का समाज बहिष्कार करे। ऐसे दुष्कर्मी की पैरवी करने के लिए वकील नहीं मिलना चाहिए।
हाईकोर्ट बार अध्यक्ष अजय बागडिय़ा ने कहा कि पीडि़ता की रिपोर्ट थाने में तुरंत लिखी जाए और यह कार्य महिला पुलिसकर्मी करे। उसका मेडिकल एक्जामिनेशन भी महिला डॉक्टर द्वारा हो और उस समय वहां कोई पुरुष नहीं हो। पीडि़ता से लिया जाने वाला बयान भी प्रश्नावली के रूप में हो। तीन माह के भीतर ट्रायल पूरा हो। पीसीआर वैन में महिला पुलिसकर्मी सतर्क रहें और हमेशा निगरानी रखें। थानों में महिला महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए। शहर जहां की सड़कों और कॉलोनियों में अंधेरा रहता है वहां प्रकाश की समुचित व्यवस्था की जाए।
शहर काजी इशरत अली ने कहा कि जब से स्मार्ट फोन आया है और डाटा सस्ता हुआ है, तब से लोग इन स्मार्ट फोन पर पोर्न साइट देखते हैं जिससे युवा पीढ़ी के मन पर शैतान काबिज हो गया है। अत: सभी अपराधों के लिए केवल पुलिस को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं होगा।
एडीशनल एसपी वाहिनी सिंह ने कहा कि स्मार्ट फोन के नुकसान से ज्यादा फायदे हैं। अत: यह कहना कि इंटरनेट के कारण समाज में विकृति आ रही है, गलत है। पहले महिलाएं बाहर कम निकलती थी, अत: घटनाएं भी कम होती थीं। नए दौर में शहरीकरण बढ़ा, महिलाएं भी बाहर निकलने लगी, इसलिए उनके साथ छेडख़ानी की घटनाएं भी बढऩे लगी। जरूरत इस बात की है कि कम्युनिटी पुलिस का वातावरण बढ़ाया जाए यानि समाज में जितना अधिक संवाद होगा, उतनी ही इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगेगा।
ब्रह्मकुमारी बहन उर्मिला दीदी ने कहा कि हमारे शरीर के हर अंग पर तो हमारा नियंत्रण है, लेकिन मन पर नहीं जबकि मन एक बीज है जिसे समझने की जरूरत है। सच्चा सुख अध्यात्म है, जब तक हम भीतर की ओर नहीं जाएंगे या योग और ध्यान नहीं करेंगे तब तक हमारा मन बाहरी चीजों में ही घूमता रहेगा। अत: मन पर नियंत्रण करके ही समाज फैल रही इस गंदगी पर काबू पाया जा सकता है।
समाजसेवी किशोर कोडवानी ने कहा कि मेरे शहर का दुर्भाग्य यह है कि माता-पिता के बीच सोने वाली तीन साल की बच्ची भी आज सुरक्षित नहीं है। क्या इससे भी अधिक सुरक्षित कोई और जगह है। दरअसल मोबाइल, इंटरनेट पर खबरों के साथ अश्लील और भड़कीले विज्ञापन आते हैं, जो उत्तेजना का काम कर रहे हैं। अधिक उम्र में युवक-युवतियोंं की शादी करने के कारण भी दुष्कर्म की घटनाएं बड़ी रही हैं। उन्होंने कहा कि हमें समाज की मानसिकता से अधिक परिस्थितियों को बदलने की जरूरत है। क्योंकि जब तक परिस्थितियां नहीं बदलेंगी, तब तक समाज शर्मसार होता रहेगा।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अर्चना जायसवाल ने कहा कि कल तक हम बलात्कार शब्द को बोलने में संकोच करते थे या हिचकिचाते थे, आज उसी समाज में बलात्कार हो रहे हैं। एक तरफ तो हम कन्या को लक्ष्मी का स्वरूप कहते हैं, तो दूसरी तरफ उसे देह की वस्तु बना दिया गया है। दुर्भाग्य इस बात का है कि पीडि़ता की रिपोर्ट थानों में नहीं लिखी जाती। दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा होना चाहिए और यह काम मीडिया बेहतर तरीके से कर सकता है।
श्रुति अग्रवाल ने कहा कि सबसे जरूरी है कि हम अपनी लड़कियों को सहज बनाएं और उसे सुरक्षा दें। उसके मन में जो डर बैठा है उसे दूर करें। समाज सजग होगा तो इस तरह की हरकतें नहीं होंगी। जो लोग छोटी-छोटी बच्चियों के साथ बदसलूकी करते हैं, वे सही मायने में मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं। उन्हें तुरंत पकड़ा जाना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार अंकिता जोशी ने कहा कि लड़कियां डरें नहीं और चुनौतियों का मुकाबला करें। बच्चियों की बातों को अभिभावक या परिजन गंभीरता से लें। जो दुष्कर्मी होते हैं वे असामान्य होते हैं और अनाकर्षक दिखने की कोशिश करते हैं। अत: सहजगता की जरूरत है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता के.के. मिश्रा ने कहा कि दुष्कर्म के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार शराबखोरी और ड्रग्स है। रेवेन्यू बढ़ाने के लिए सरकार इस पर पाबंदी नहीं लगाती। बड़े लोगों की सरपरस्ती में अपराध बढ़ रहे हैं। इसके लिए किसी एक को दोष देना ठीक नहीं। स्कूलों में को-एजुकेशन को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।
छात्र नेता दक्षिता गढ़वाल ने कहा कि हम रेप को रिलीजन से नहीं जोड़ें, क्योंकि कई बार हम रेप के खिलाफ होने के बाज रिलीजन के खिलाफ हो जाते हैं, जो सही नहीं है। लड़कियों को स्कूलों में सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण दिया जाना अनिवार्य करना चाहिए। पीडि़ता के साथ समाज का पूरा मोरल सपोर्ट मिलना चाहिए। कई बार पीडि़ता की रिपोर्ट पुलिस थाने इसलिए नहीं लिखते क्योंकि अपराधों की संख्या बढ़ती है, जबकि होना यह चाहिए कि किस थाने में कितने प्रकरणों को निराकरण हुआ। किसी भी कीमत पर दुष्कर्मी को वकील नहीं मिलना चाहिए।
राहुल माथुर ने कहा कि जो दुष्कर्मी होते हैं, उनकी पर्सनाल्टी एंटी सोशल होती, उनका मोरल कैरेक्टर गिरा हुआ होता है। अत: ऐसे लोगों के लिए जेल ही ठीक है। हम ये देखें कि बच्चा इंटरनेट पर क्या देख रहा है।
भाजपा नेता राजेश अग्रवाल ने कहा कि एक दौर था जब एक साथ तीन पीढिय़ां रहती थी, मोहल्ले में सब एक-दूसरे को जानते थे। आज यह स्थिति समाप्त होती जा रही है। लिव इन रिलेशनशिप बढ़ती जा रही है। कॉकटेल पार्टियों का दौर जोर-शोर से हो रहा है। इसी कारण दुष्कर्म की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
पत्रकार सोदामिनी मजूमदार ने कहा कि समाज लड़कियों की शराबखोरी पर तो उंगली उठाता है, लेकिन लड़कों के मामले में खामोश रहता है। ये दोहरापन नहीं चलना चाहिए। यह कहना भी गलत है कि शार्ट कपड़े पहनने से दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ रही हैं। तीन साल की मासूम बच्ची के साथ हैवानियत में शार्ट कपड़े की बात कैसे करेंगे।
एडवोकेट शन्नो शगुफ्ता खान हमारे यहां सस्ते में नशा मिल रहा है, जिसे आज रोकने की सख्त जरूरत है। यही नशा आज इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। स्कूली छात्रा पलक पटेल ने कहा कि समाज में दरिंदगी बढ़ती जा रही है, इसे आज रोकने की जरूरत है।
स्वागत भाषण देते हुए इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने कहा कि इंदौर प्रेस क्लब की एक परम्परा रही है कि जब भी शहर में समाज विरोधी घटनाएं होती हैं, तो प्रेस क्लब उसे रोकने के लिए रचनात्मक पहल करता है। कार्यक्रम का संचालन संजय पटेल ने किया। आभार माना इंदौर प्रेस क्लब के महासचिव नवनीत शुक्ला ने। कार्यक्रम में पद्मश्री भालू मोढे, पूर्व महापौर डॉ. उमाशशि शर्मा, गोविंद मालू, सेवा सुरभि के ओम नरेडा, डॉ. गौतम कोठारी, शशीन्द्र जलधारी, डॉ. ओ.पी. जोशी, प्रतिभा खंडेलवाल, सुनील माकोड़े, अतुल सेठ, रामेश्वर गुप्ता, रवि अत्रोलिया, आर.के. जैन, नेताजी मोहिते, प्रो. रमेश मंगल, मालासिंह ठाकुर, ब्रह्माकुमारी अनिता दीदी, प्रवीण जोशी, रुखसाना मिर्जा, नरेश तिवारी, संजय लाहोटी, संजय त्रिपाठी, अन्ना दुराई, प्रदीप जोशी, आलोक शमा, अमित त्रिवेदी, आदिल सईद सहित शहर के कई गणमान्य नागरिक व प्रबुद्धजन मौजूद थे।

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