*इंदौर:-बाबा यादव*
पायलेट प्रोजेक्ट के तहत निगम द्वारा शहर की कान्ह और सरस्वती नदी के गहरीकरण का काम लंबे समय से किया जा रहा है। अब इसके सही परिणाम सामने आने लगे हैं। बिजलपुर से तेजपुर गड़बड़ी गहरीकरण जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। लघु औद्योगिक इकाइयों की केमिकल वेस्ट नदी में आने से भी काफी फायदा हुआ है।
सरस्वती नदी पर 2 लाख 30 हजार रुपए प्रति किलोमीटर मान से 15 के गहरीकरण का कार्य निगम ने हाथों में लिया है। इस दौरान साढ़े तीन हजार डम्पर गाद एवं मिट्टी निकाली गई। गाद व मिट्टी निकालने में 26 लाख रुपए खर्च हुए। इसी प्रकार आजाद नगर से कृष्णपुरा तक, कान्ह नदी, बिलावली से बद्रीबाग तक फतनखेड़ी नदी तथा बिजलपुर से रामबाग तक सरस्वती नदी का कार्य दिसम्बर तक पूर्ण करने का लक्ष्य है। इस कार्य में जनसहयोग, नगर निगम एवं इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा धनराशि खर्च की जाएगी। नदी गहरीकरण से बाढ़ जैसी स्थिति निर्मित नहीं हो सकी।
कलेक्टर निशांत वरवड़े ने नदियों के गहरीकरण एवं उनके आसपास पौधारोपण के लिए समन्वित प्रयास किए हैं। गहरीकरण के लिए समन्वय समितियां भी बनाई गई। सरस्वती,कान्ह और उसकी सहायक 8 नदियों का भूभाग विभिन्न विभागों के अधिकार क्षेत्रों में बंटा हुआ था। इसलिए एकीकृत परियोजना बनाकर कार्य करना जरूरी था। कलेक्टर ने नियमित बैठक एवं समीक्षा कर इंदौर विकास प्राधिकरण, नगर निगम एवं जल संसाधन विभाग को दो-ढाई किलोमीटर का दायित्व गाद एवं मलबा निकालने, गहरीकरण एवं हरियाली से आच्छादित करने का कार्य सौंपा है। अपेक्षित परिणाम नहीं आने पर कलेक्टर ने जनसहयोग से रेडक्रास द्वारा फंडिंग की।
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