*बिना नेट, स्लेट , पीएचडी के पड़ा रहे है कई अतिथि विद्वान छात्रों का भविष्य दांव पर लगा रही सरकार*
*इधर 3 हजार से ज्यादा योग्य उम्मीदवार भटक रहे नियुक्ति के लिए, हायर एजुकेशन के पीएस आयुक्त से मिला प्रतिनिधि मंडल*
*बाबा यादव*
शहर ही नही अपितु प्रदेश भर के कई कॉलेजों में सत्र के दौरान पढ़ाने वाले लगभग एक हजार अतिथि विद्वानों के पास नेट, स्लेट व पीएचडी की डिग्री ही नहीं है, जबकि प्रदेश के ही तीन हजार से ज्यादा डिग्रीधारी उम्मीदवार बेरोजगार घूम रहे हैं। इसी मुद्दे को लेकर मध्यप्रदेश के नेट, स्लेट एवं पीएचडी उत्तीर्ण उम्मीदवारों का एक प्रतिनिधि मंडल उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव एवं आयुक्त से मिला। उम्मीदवारों ने बताया कि प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में स्वीकृत पदों पर रखे गए अतिथि विद्वान व्यवस्था में न तो रोस्टर का पालन किया गया है। और न ही यूजीसी के मापदंडों के अनुसार इन्हें जॉइन किया गई है। आज भी अतिथि विद्वान व्यवस्था में एक हजार से ज्यादा उम्मीदवार ऐसे हैं जो यूजीसी से निर्धारित अहर्ता
नेट, स्लेट और पीएचडी नहीं हैं। ऐसे अयोग्य अतिथि विद्वानों से जहां महाविद्यालयों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। वहीं रोस्टर का पालन न किए जाने के कारण अनेक अतिथि विद्वान मध्यप्रदेश के बाहर से हैं। जिससे प्रदेश के मूल निवासी एसटी, एससी, ओबीसी वर्ग के छात्र उच्च शिक्षित और योग्य
होने के बावजूद बेरोजगार हैं।
*वरना अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे हम*
ज्ञापन देने पँहुचे प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि हमारी शासन से यही मांगा है की सरकार मध्यप्रदेश के तीन हजार से अधिक योग्य एवं नेट, सेट स्लैट, पीएचडी क्वालीफाई लोगों की अतिथि विद्वान के पद पर नियुक्ति कर छात्रों के साथ व्याय करें।
इसके साथ ही हम बेरोजगार लोमा व्यायालय का दरवाजा भी खटखटा रहे है। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक अध्यापकों के पदों पर नियमित
भर्ती की जाना चाहिए। जिससे एसटी, एससी, ओबीसी के बेरोजगार नवयुवकों को रोजगार मुहैया कराने के सरकार के वचन पत्र के वादे को अमल में लाया
जा सके।डॉ.श्याम बिहारी सिंह, मिथुन कोरी, अर्जुन मेटा आदि ने बताया कि महाविद्यालयों में छात्र-छात्राएं शोषित एवं वचित तबके से आते हैंएवं गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्राप्त करना छात्रों का अधिकार है एवं उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व है।