सनातन धर्म को कुचलने के लिए मांसाहार करवाना चाहती है सरकार
आंगनबाड़ियों में खाने के लिए अंडा देने की घोषणा का शंकराचार्य मठ,. इंदौर प्रभारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने किया कड़ा विरोध
*इंदौर:-बाबा यादव*
सनातन धर्म को कुचलने के लिए राजनेता पूरी तरह से लगे हुए हैं। मध्यप्रदेश में महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने आंगनबाड़ियों में बच्चों को अंडा देने की घोषणा की है, जो कि मांसाहार है। सनातम धर्म में कई लोग ऐसे हैं, जिनके परिवार में अंडे को छूते तक नहीं हैं, ऐसे में उनके बच्चों को खाने के लिए अंडे देना कहां तक उचित है? राजनीतिक लोगों को पौष्टिक आहार में क्या सिर्फ अंडा ही दिखाई देता है। दूध, सेवफल, अनार, काजू, बादाम, अखरोट, मखाने जैसे सर्वमान्य पौष्टिक आहार क्यों नहीं बच्चों को दिए जाते? भाजपा ने भी आंगनबाड़ियों में बच्चों के लिए देने की कोशिश की थी, लेकिन भारी विरोध के कारण उसे फैसला वापस लेना पड़ा था।
शंकराचार्य मठ, इंदौर के प्रभारी ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने यह बात शुक्रवार को कही। उन्होंने कहा कि अंडा खाकर बच्चे क्या सीखेंगे? आज अंडा खाएंगे, कल गोश्त खाने लगेंगे और फिर शराब की ओर रुख करेंगे। सरकार बच्चों में क्या संस्कार डालना चाहती है? सरकार सनातन धर्म के प्रति कितनी आस्था रखती है, यह उनके फैसलों से पता चलता है। यह तो अंडे खिलाने जैसी अधर्मी बातें कर रहे हैं। ब्राह्मण परिवार में अंडे नहीं खाए जाते, ऐसे में उनके बच्चों को अंडे खिलाकर उनका धर्म और खान-पान भ्रष्ट करना क्या किसी भी सरकार को शोभा देता है? सरकार यदि अपना फैसला वापस नहीं लेती है तो उसका विनाश हो जाएगा। लगता है ब्राह्मणों के खिलाफ कोई दुष्चक्र चलाया जा रहा है, तभी तो कभी खाने में अंडा देने की बात कही जाती है तो कभी अपात्रों को पुजारी बनाने की कोशिश की जाती है। आखिर ये लोग चाहते हैं क्या हैं? महाराजश्री ने कहा- जो लोग अंडा, मांस-मछली आदि मांसाहार नहीं खाते हैं, उन्हें सरकार के फैसले से बहुत पीड़ा हो रही है।
डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने कहा कि सरकार से आशा है कि सभी की भावनाओं का ध्यान रखते हुए वह आंगनबाड़ियों में अंडा देने के अपने फैसले को वापस लेगी। अन्यथा इसके परिणाम भुगतने पड़ेगे।