*इंदौर:-बाबा यादव*
शहर को प्रदूषण से मुक्त करने की कवायद के चलते निगम आमजन को इलेक्ट्रिक बसों की सौगात देने की योजना पर तेजी से काम कर रहा है। इसी परिप्रेक्ष्य में पिछले दिनों टाटा कंपनी से 12 इलेक्ट्रिक बसें मंगाई गई थी, ताकि इन्हें शहर में दौड़ाया जा सके।
एआईसीटीएसएल के प्रभारी संदीप सोनी ने बताया कि इस वर्ष के प्रांरभिक माह में इलेक्ट्रिक बसों की शुरुआत की जाना थी। बसों के टैंडर व वर्कआर्डर जारी होने के बाद टाटा कंपनी ने बसों का निर्माण कर उन्हें भेजना शुरू कर दिया है। वर्कआर्डर निकलते ही निगम ने आरटीओ को पत्र भेजकर बसों के परमिट व रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू करने का आवेदन दिया था। आरटीओ ने सर्वे के बाद बसों के परमिट व रजिस्ट्रेशन तैयार कर निगम को सौंप दिए हैं। अब बसों की दौड़ाने की प्रक्रिया पर काम होना था, लेकिन फिर पेंच फंस गया। इस बार निगम ने लापरवाही का उदाहरण पेश किया। बसों के वर्कआर्डरक, परमिट व रजिस्ट्रेशन का काम पूरा होने तक चार्जिंग पाइंट तैयार कर लेना थे, मगर निगम ने सुध नहीं ली। बसों एक माह से कृषि कॉलेज के परिसर में धूल खा रही है। अभी चार्जिंग पाइंट को लेकर किसी प्रकार की हलचल भी नहीं है। चार्जिंग पाइंट के लिए जगह का चयन हो चुका है। टैंडर कब निकलेंगे, खुद निगम को ज्ञात नहीं है। ऐसे में शहरवासी इलेक्ट्रिक बस के सुखद सफर से वंचित रह गए हैं। इन बसों के दौडऩे से जहां पर्यावरण को बढ़ावा मिलेगा, वहीं यात्रियों का गंतव्य पहुंचने तक कम किराया चुकाना पड़ेगा।
Home / मध्य प्रदेश / इंदौर / शहर में इलेक्ट्रिक बसों को चलाने की पुरजोर कोशिश, लेकिन काम में गति नहीं
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