*इंदौर:-बाबा यादव*
इंदौर कलेक्टर कार्यालय की सुन्दरता बढाने के बाद अब अपर कलेक्टर ने अपने हाथों में एक नया काम लिया है। इस बार उन्होने कार्यालय परिसर से बाहर निकलकर शहर के लोगों से हाथ मिलाने का ऐलान किया है यह हाथ मिलाने का उददेश भी उन्होने साफ कर दिया है। एडीएम का मकसद इंदौर से लुप्त होते नाटक मंचन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को हर शख्स के बीच जीवित करने का है।
इंदौर शहर संस्कृतिक नगरी के लिए प्रख्यात रहता था लेकिन अब धीरे धीरे इस शहर से नाटक और सांस्कृतिक धरोहर खत्म सी होती जा रही है जिसकी ओर समय समय पर कलाकारों ने अपनी बात भी उचित मंचों पर रखी थी मगर वे कही ना कहीं राजनैतिक दलों के प्रति प्रतिबंद्वता नहीं होने के कारण अनदेखी कर दी गई थी, मगर इस बार प्रशासन की ओर से खुद एक अधिकारी ने आगे बढ़कर इस मुददे को अपने संज्ञान में लिया है और इस दिशा में काम करने की मंशा जताई है।
अपर कलेक्टर कैलाश वानखेडे ने अपने स्तर पर शहर की उन संस्थाओं से आग्रह किया है कि शहर में विलुप्त होते नाटक और और मंचन को जीवित करने के लिए और शहर को नाटक की नगरी बनाने के लिए अपने अपने सुझाव दे । एडीएम कैलाश वानखेडे ने यह सुझाव लिखित मौखिक या अन्य किसी भी माध्यम से प्रशासन तक पहुंचाने का आग्रह किया है ताकि इदौर के नाटक के कलाकारों को उचित मंच प्रदान किया जा सके।
30 को रंगकर्मियों की बुलाई बैठक
इधर प्रशासन की ओर से अपर कलेक्टर कैलाश वानखेडे ने नाट्य गतिविधियों को बढ़ाया देने तथा रंगकर्मियों के सुझाव के लिए बैठक 30 जून को शाम 5 बजे कलेक्टोरेट में आयोजित की गई है। रंगकर्म से जुड़े व्यक्ति संस्था के सदस्यों को बैठक में बुलाया गया है।
*रिहर्सल के नि:शुल्क मंच देने का प्रयास*
शहर में नाटक के माध्यम से समाज को सुधारने के लिए कई प्रकार के संदेश दिए जा सकते है और नाटक एक ऐसा माध्यम है जो सामाजिक और अन्य क्षेत्रों में भी बदलाव ला सकता है। मगर दुखद बात यह है कि नाटक में रूचि रखने वाले कलाकारों को रिहर्सल के लिए कोई मंच नहीं मिलता है। उन्हे किसी भी संस्था का हाल या मैदान लेना होता है तो उसका शुल्क भरना पड़ता है । इसलिए हमारा प्रयास होगा कि जो सुझाव आएंगे उसमें नाटक के कलाकारों को रिहर्सल के लिए नि:शुल्क मंच कहा उपलब्ध कराया जा सकता है यह तय करना है।
*कैलाश वानखेडे, अपर कलेक्टर इंदौर*
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