*अतिथि विद्वान व्यवस्था के खिलाफ अब आरक्षित वर्ग के उच्च शिक्षितो ने भी खोला मोर्चा*
*बाबा यादव*
मध्य प्रदेश के नेट, सेट एवं पीएचडी उत्तीर्ण उम्मीदवारों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव एवं आयुक्त से मुलाकात कर उन्हें अपना ज्ञापन सौंपा l इस ज्ञापन में उम्मीदवारों ने बताया मप्र लोक सेवा आयोग 2 बार राज्य पात्रता परीक्षा करा चुका है और मध्य प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में स्वीकृत पदों के खिलाफ रखे गए अतिथि विद्वान व्यवस्था में न तो रोस्टर का पालन किया गया है और न ही यूजीसी के मापदंडों के अनुरूप भर्ती की गई है l आज भी अतिथि विद्वान व्यवस्था में लगभग 1000 से ज्यादा ऐसे उम्मीदवार ऐसे हैं जो यूजीसी द्वारा निर्धारित अर्हता नेट, स्लेट और पीएचडी नहीं है l ऐसे अयोग्य अतिथि विद्वानों से जहां महाविद्यालयों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है । वहीं अनेक अतिथि विद्वान मध्यप्रदेश के बाहरी राज्यों से भी हैं l जिससे प्रदेश के मूल निवासी एसटी, एससी, ओबीसी वर्ग के ऐसे उम्मीदवार जो उच्च शिक्षित होने के साथ ही यूजीसी के द्वारा निर्धारित नेट, स्लेट और पीएचडी परीक्षा उत्तीर्ण है l उच्च शिक्षित और योग्य होने के बावजूद भी ऐसे लोग बेरोजगार हैं और अपने हक के लिए दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर है, जबकि अयोग्य लोग अतिथि विद्वान व्यवस्था में रहकर उनका हक मार रहे हैं l ऐसे अयोग्य लोगों को शीघ्र अति शीघ्र बाहर कर अतिथि विद्वानों की भर्ती में रोस्टर एवं यूजीसी मापदंड का पालन हो, इसके साथ ही मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्रध्यापकों के पदों पर नियमित भर्ती की जाना चाहिए, जिससे एसटी, एससी, ओबीसी के बेरोजगार नवयुवकों को रोजगार मुहैया कराने के सरकार के वचन पत्र के वादे को अमल में लाया जा सकेl डा श्याम बिहारी सिंह, मिथुन कोरी, अर्जुन मेढा निर्भयसिह गौन्ड, लंकेश मेहतर आदि ने बताया कि महाविद्यालयों में पढ़ने वाले ज्यादातर छात्र छात्राएं शोषित एवं वंचित तबके से आते है एवं गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्राप्त करना छात्रों का अधिकार है एवं उसे उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व है l हम शासन से यही मांग करते है कि सरकार मध्य प्रदेश के योग्य एवं नेट, सेट पी. एचडी की उच्च डिग्रीधारी लोगों की अतिथि विद्वान में नियुक्ति कर छात्रों के साथ न्याय करें l पहले भी हम दो बार आयुक्त और प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग को अवगत करा चुके है साथ ही जून 2019 को भी मप्र के अ.जा./अ.ज.जा/अ.पि.व के आयोगो के सचिवो को भी हम हमारी मदद के लिए निवेदन कर चुके है यदि अब भी इस अतिथि विद्वानों भर्ती में आरक्षित वर्ग के उच्च शिक्षितो के साथ न्याय नहीं किया गया तो अब हम लोग न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को मजबूर हो जायेन्गे।