*आज भी जिंदा है,गांधी हमारे विचारों में*
*इंदौर:-बाबा यादव*
पत्रकारिता व जनसंचार अध्ययनशाला देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के द्वारा गांधी जी की 150वीं जयंती समारोह पर खंडवा रोड़ स्थित कस्तूरबा कन्या विद्यालय की बालिकाओं के साथ *जिंदा है गांधी* थीम पर ओपन माइक का आयोजन किया गया।
पत्रकारिता भवन द्वारा गांधी की 150वीं जयंती पर भिन्न-भिन्न प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों के बीच कराई गई जिसका एक भाग यह कार्यक्रम भी रहा।
ओपन माइक कार्यक्रम की शुरुआत कस्तूरबा मिडिल स्कूल के प्राचार्य यशस्वी जोशी व अन्य शिक्षिकाओं और छात्राओं द्वारा गांधीजी व उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी बा के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित की गई।
कस्तूरबा कन्या विद्यालय के प्रार्थना कक्ष में यह पहला स्कूली बच्चों के बीच आयोजित ओपन माइक कार्यक्रम रहा, जिसमें कक्षा 6 से 12वीं तक की छात्राओं ने भाग लिया।
ओपन माइक *जिंदा है गांधी* में कक्षा आठवीं की छात्रा खुशबू गर्ग ने कहा कि महात्मा गांधी की शादी जब हुई थी तब वह बाल्यावस्था में थे।लगभग 14 वर्ष की उम्र में ही उनकी शादी कस्तूरबा बा से कर दी गई, गांधी ने हमेशा सच बोलने की बात कही है और उन्होंने बगैर हथियार उठाए देश को आजादी दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी।
कक्षा ग्यारहवीं से उषा रावत ने गांधी के स्वालंबन को अपनाने की बात कही उषा ने बताया कि आज भी कस्तूरबा छात्रावास में रहने वाली लड़कियां सुबह 5:00 बजे से उठकर अपने सारे काम स्वयं करती है और इस बीच वह पढ़ाई भी करती है इसी प्रकार सभी को गांधी के विचारों और उनके दिखाए रास्ते पर चल कर आगे बढ़ना चाहिए।
बारहवीं कक्षा की पायल देसाई ने ओपन माइक जिंदा है गांधी के मंच से कई ऐसे प्रश्न आज के समाज से पूछे जो बेहद जरूरी है – क्यों गांधी के दिखाए स्वदेशी के रास्ते पर आज का युवा नहीं चलता ? क्या कारण है कि आज भी बहुत सारे लोग बेटियों को बाहर पढ़ने नहीं भेजते ना ही उन्हें अपनी मर्जी का काम करने की आजादी है ? आजकल के युवा क्यों विदेशी वस्तुओं और चीजों को अपनाते हैं, इसकी बजाय वह खादी के कपड़े क्यों नहीं पहनते क्या गांधी केवल एक दिखावा बनकर रह गए हैं?
कक्षा ग्यारहवीं की छात्रा मीनाक्षी ने गांधी के द्वारा आजादी की लड़ाई मैं निभाई गई अहम भूमिका पर बात करते हुए कहा कि गांधी ने कहीं ऐसे आंदोलन आजादी के लिए किए जिससे आजादी का रास्ता सरल हुआ गांधीजी व उनके विचारों का प्रभाव उस समय भी और आज भी उतना ही है, आज भी हम लोग गांधी के बताए आदर्शो का पालन इस विद्यालय में रहकर करते हैं।
ओपन माइक में संस्था की शिक्षिकाओं ने भी अंत में गांधी जी पर अपने विचार रखें संस्था की शिक्षिका जयश्री राठौड़ ने गांधी जी की बच्चे से गुड़ की लत छोड़ने को कहने वाली एक कहानी के माध्यम से बच्चों को बताया कि कोई भी बात को किसी से मनवाने से पहले आत्मसात या खुद पर उसका प्रयोग करना महत्वपूर्ण होता है।
बच्चों के बीच आयोजित इस ओपन माइक कार्यक्रम में कस्तूरबा विद्यालय की छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया।
इस कार्यक्रम के दौरान सौ छात्राएं उपस्थित रही साथ ही कस्तूरबा विद्यालय से उमा सोलंकी, लीला पंवार,सारिका सिसोदिया, जयश्री राठौड़, नीतू सिंह,ज्योति सेन,वंदना सहित अन्य स्टाफ भी उपस्थित रहा।
ओपन माइक में भाग लेने वाले सभी बच्चों को पत्रकारिता विभाग द्वारा पुरस्कृत भी किया गया ताकि वह भविष्य में इसी प्रकार गांधी के विचारों को आत्मसात करते हुए सत्य और अहिंसा के मार्ग पर निडरता से बढ़ते रहें।
पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययन शाला की विभागाध्यक्ष डॉ सोनाली नरगुंदे ने बताया कि विभाग द्वारा गांधी जी की 150वीं जयंती समारोह के उपलक्ष्य में कई अलग-अलग प्रतियोगिताओं व कार्यक्रमों का आयोजन विभाग द्वारा किया गया है, इसी कड़ी में 2 अक्टूबर को विभाग में गांधीजी की आत्मकथा का वाचन भी किया जाएगा।
स्कूली बच्चों के बीच आयोजित इस पहले ओपन माइक *जिंदा है गांधी* के समापन में कस्तूरबा महाविद्यालय की छात्राओं ने भी सहभागिता की ओपन माइक का समापन कस्तूरबा बा वह गांधी जी की प्रार्थना,रघुपति राघव भजन व राष्ट्रगान गा कर किया गया। कार्यक्रम का संचालन कुलदीप पवार द्वारा किया गया। पत्रकारिता विभाग के द्वारा आयोजित इस ओपन माइक में उत्तम पालीवाल,अमन सिंह,तिलकराज, शुभांगी, शारदा, तन्वी,ऋषि,विनायक,स्पंदन, अनुश्री, सहित अन्य विद्यार्थी मौजूद रहे। स्वतंत्र शुक्ला
द्वारा आभार व्यक्त किया गया