*इंदौर:-बाबा यादव*
सेन्ट्रल व सीआई जेल में हजारों कैदियों का वजन दिनों दिन कम होता जा रहा है। यह स्थिति कम खुराक मिलने से निर्मित हो रही है। जेल में आने वाले खाद्यान्न में भ्रष्टाचार करने से जेल के वरिष्ठ से लेकर कनिष्ठ अधिकारी यहां से अन्यत्र नहीं जाना चाहता। जब तक यहां पदस्थ रहेंगे, वारे-न्यारे होते रहेंगे। जानकारी के अनुसार वर्तमान में दोनों जेलों में करीब 3 हजार के आसपास महिला और पुरुष कैदी हैं। शासन के आदेशानुसार कैदियों को रोजाना चाय, नाश्ता व भोजन के लिए 90 से 100 रुपए प्रतिदिन मिलते हैं। चाय में शक्कर नहीं के बराबर होती है। नाश्ते में रोजाना दलिया बांटा जाता है। भोजन में दाल तो मिलती है, मगर उसमें पानी अधिक मात्रा में होता है। सब्जियों की भी यही हालत है।
जेल में बनने वाले भोजन का सामान सियागंज के एक व्यापारी से लिया जाता है। उक्त व्यापारी की जेल के अधिकारियों व मीडिया के कुछ साथियों से साठगांठ है। इस कारण जेल में भेजे जाने वाले सामानों के वजन में कमी दर्ज कर दी जाती है। यानि, 100 किलो दाल आई तो जेल में उसकी इंट्री 50 किलो बताई जाती है। 50 किलो दाल कहां गई किसी को नहीं पता। जेल में सांची दुग्ध डेरी से प्रतिदिन 500 लीटर दूध कैदियों को वितरित करने के लिए आता है। इसमें चाय का दूध अलग से जेल प्रशासन खरीदता है। यह दूध बुजुर्ग कैदियों को ही मिलता है। जबकि, जेल में युवा व बाल कैदियों को भी दूध वितरण करने का निर्देश हैं। इसके बावजूद, जेल अधिकारियों, डॉक्टरों से सेटिंग करने वाले कैदियों को भी यदाकदा दूध दे दिया जाता है।