- *इंदौर:-बाबा*
हमे काकी जी में हमारी माँ दिखती थी। सुबह हम काकी जी की दूकान पर जाते थे तो वे इतनी ममतामई अंदाज में घरवालों के हालचाल पूछती थी। उन्हे हर व्यक्ति के परिजनों के नाम याद थे। वे सलाह भी देती और सीख भी हमें लगता ही नहीं था कि हम घर में बुजूर्ग मां से बात कर रहे है या कहीं ओर है। आज वो नहीं है तो हम जैसे खुद को अनाथ महसूस कर रहे है।
यह कहना था जयदेव मिश्रा का। कल शाम ब्रिलियंट कन्वेशन सेटर में वे अपने पूरे परिवार के साथ आदरणीय काकी जी को श्रद्वांजति अर्पित करने पहुंचे थे। उनके आसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उनके साथ सौरभ शर्मा, कोमल पंडित, गुरू प्रसाद शर्मा, सचिन भोंडवे, राजीव पाटिल सबका यही हाल था। सभी के सभी यह विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि उनकी प्यारी ममतामई काकी इस दुनिया में नहीं है। जिन काकी जी से वे रोज सुबह किराना दूकान पर जाकर बात करते थे वे लम्बे अरसे से दूकान पर तो नही बैठती थी मगर घर पर बैठे-बैठे सबसे मिलती थी। जो भी सामने दिखता उससे हाल चाल पूछती ओर सलाह भी देती थी ।
नंदानगर तो ठीक पूरे देश से आने वाले पार्टीजन और आम लोगों को वे कोई ना कोई सलाह अवश्य देती थी। कल शाम ब्रिलियंट कन्वेशन सेंटर में आए सैकड़ों लोगों में से ये चंद लोग ऐसे है जिनका आत्मीय जुडाव काकी जी से था ओर अब उनके चले जाने से वे खुद को अनाथ महसूस कर रहे हे। उन्हे लगता है कि परिवार का कोई बुर्जूग चला गया है। शहर में पहली बार महिला रामायण मंडल स्थापित करने वाली काकी जी को याद कर इस मंडल से जुडी रही सावित्री चौबे की आॅखों मेंं आसू थे। वे कहती है कि इनके कारण ही रामायण पड़ी और दोहा-चोपाईया याद की । आज भी गाती हॅू तो मन में काकी जी का चेहरा होता है। बेहद गंभीर माहौल मे कल शाम काकी जी को भावभीनी श्रद्वांजति अर्पित की गई। खुद उनके बड़े बेटे और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय भावुक थे। वे बोल रहे थे कि ऐसा लग रहा है कि वे दुनिया का सबसे द्ररिद व्यक्ति हूॅ। मॉ के जाने के बाद जीवन में बहुत बड़ी रिक्तता का अनुभव कर रहा हॅू। कल शाम पूरी की पूरी भाजपा स्नेहीजन और काकी जी में मॉ की मूरत देखने वाले सैकडों लोग मौजूद थे।
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