*इन्दौर:-संजय यादव बाबा* सुखलिया निवासी आर.टी.आई. एक्टविस्ट जितेंद्र सिंह यादव द्वारा अपने अधीवक्तागण कृष्ण कुमार कुन्हारे एवं काशु महंत के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित स्वास्थ्य मात्रयलय, इंदौर कलेक्टर,नगर निगम आयुक्त को भेज गए प्रजेंटेशन के बाद प्रिंटेड रद्दी में नाश्ता सर्व करने वालों के खिलाफ चलानी और कानूनी करवाई करेगा निगम…
बतौर नगर निगम आयुक्त आशीष सिंह ने प्रिटेंड रद्दी में खाद्य सामग्री बेचने के खिलाफ अभियान चलाने,दुकानदारों को समझाइश देने,प्लेन कागज या दोनों में खाद्य सामग्री सर्व करने,फिर भी दुकानदार नही माने तो चलानी एवं दंडात्मक कारवाही करने की बात कही जा रही हैं…
30 लाख जनसंख्या वाले शहर इंदौर के लोग खाने पीने के बहुत शौकीन हैं,यही वजह हैं शहर इंदौर के कॉलेजों, स्कूलों,चौराहों,बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन,गलियों,नुक्कड़ों,56 दुकांन,मंदिरों से लेकर सड़क के मुख्य मार्गो के आसपास नास्ते की ठेले,गुमटियां,सड़क किनारे दिखाए देते हैं….
जहा बच्चे-बुजुर्ग से लेकर स्कूल-कॉलेज के छात्र – छात्राएं,नोकरी पेशा लोगो को प्रिंटेड रद्दी,अखबार कागज के टुकड़ों में पोहे-जलेबी-आलूबड़ा,समोसा आदि नास्ता परोसा जाता हैं प्रिंटेड खतरनाक इंक की रद्दी, अखबार आदि को डिस्पोजल प्लेट के रूप में काम मे लिया जाता हैं…
जिससे गर्म तेलीय नास्ता प्रिंटेड स्याही की रद्दी पेपर के संपर्क में आकर अनजाने में केमिकल रूपी जहर भी लोगो के पेट मे चला जाता हैं क्योंकि प्रिंटेड रद्दी में परोसी गयी तेलीय या गीली खादय सामग्री में स्याही में मौजूद रसायन चिपक जाते हैं जिससे उक्त केमिकल जाने अनजाने में हमारे पेट मे चले जाते हैं जिससे कैंसर,पेट की बीमारी एवं ऑर्गन खराब होने का खतरा बढ़ जाता हैं…
जिससे शहर इंदौर के लाखों खाने के शौकीन लोगों प्रिंटेड रद्दी को डिस्पोजल के रूप में उपयोग करने वाले दुकानदारों की हरकतों से जाने अनजाने धीमा जहर खा रहे हैं जो जनस्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं,
इसी मुद्दे को लेकर शहर इंदौर के सुखलिया निवासी आर.टी.एक्टिविस्ट. जितेंद्र सिंह यादव ने अपने अधीवक्तागण कृष्ण कुमार कुन्हारे एवं काशु महंत के माध्यम से प्रदेश के मुख्य मंत्री सहित स्वास्थ मंत्रलाय,इंदौर कलेक्टर सहित नगर निगम आयुक्त को डिमांड ऑफ जस्टिस का प्रजेन्टेशन भेज केंद्र सरकार के निर्देश पर
FSSI (भारतीय खादय सुरक्षा एवं मानक अधिकरण) द्वारा देश के सभी राज्यो को प्रिंटेड रद्दी के खाद्य सामग्री में उपयोग पर प्रतिबंध हेतु जारी
एडवाइजरी का हवाला देते हुए उक्त एडवाइजरी का सख्ती से पालन करवाये जानेे,प्रिंटेड रद्दी पेपर के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने और लोगो मे जनजागरूकता लाने और प्रिंटेड रद्दी पेपर का उपयोग करने वाले दुकांन दारो के विरुद्ध चलानी एवं कानूनी कारवाही किये जाने को लेकर उक्त प्रजेंटेशन शासन को भेजा गया हैं…
*कागज में पोहे- जलेबी भी नही सुरक्षित—-*
शहर इंदौर में पोहा जलेबी चटनी में कचोरी समोसा खमण और भेल आदि का ज्यादा चलन हैं,ज्यादा लोग इन्ही का सेवन करते है,ज्यादातर दुकानों पर इन खादय प्रदार्थो को प्रिंटेड रद्दी कागज में सर्व की जाती है,कई लोग कागज में लपेटकर तेलीय नास्ता अथवा रोटी,सब्जी,कार्यस्थलों पर लेजाते हैं,जब वे खाना खाते हैं तब स्याही में मौजूद रसायन कागज से सोख लेता है और खाने साथ ये केमिकल पेट मे चला जाता है जो धीमे जहर का काम करता है जिसके सेवन से पाचन तंत्र बिगड़ जाता है और पेट संबंधी बीमारियां पनपती है और फेफड़ों और मुत्रशाय का कैंसर भी हो सकता है,महिलाओ की प्रजनन क्षमता भी असंतुलित होजाती है…
डॉक्टरों के अनुसार छपाई में इस्तेमाल होने वाली इंक में मौजूद रसायनों से कैंसर सहित कई घातक बीमारियों का खतरा होता है औए पाचन तंत्र भी खराब होता है…
ऐसा ही एक मामला राम नगर बड़ी भमोरी निवासी ईश्वर कुमार प्रजापति का सामने आया है जो रोज मॉर्निंग वॉक के लिए मेघदूत गार्डन जाते है और लौटते वक्त नास्ते की गुमटी पर नास्ता करते है जहाँ उन्हे प्रिंटेड रद्दी कागज में नास्ता सर्व किया जाता था…
जिसके बाद उन्हें एलर्जी और स्वास्थ संबंधी अन्य तकलीफ होने पर डॉक्टर द्वारा उन्हें प्रिटेंड इंक वाले कागज में नास्ता नही करने की सलाह देने के बाद अब बतौर ईश्वर कुमार प्रजापति द्वारा भी ऐसे दुकानदारों को जागरूक किया जा रहा है…
एक अन्य मामला कालानी नगर निवासी अरुण कुमार वर्मा एवं गांधी नगर निवासी नितेश चौधरी के स्वास्थ का मामला भी सामने आया है…