*चाइल्ड कन्जर्वेशन फाउंडेशन की ई संगोष्ठी में बोले विशेषज्ञ*
*“विक्टिम कंपनसेशन स्कीम”पॉक्सो एक्ट का महत्वपूर्ण अंग:- निपुण सक्सेना*
*प्रथम सम्पर्क इकाई के रूप में काम करें किशोर पुलिस:- के एन तिवारी*
*इंदौर:-बाबा*
पाक्सो एक्ट बेहद संवेदनशील एवं समावेशी धरातल पर बनाया गया सख्त कानून है।इसमें समयानुकूल सुधार भी जारी है इसलिए बाल अधिकार कार्यकर्ताओं को इसका गहराई से अध्ययन करना चाहिए ताकि सभी स्टेकहोल्डर्स इसके अनुपालन की ओर संजीदगी से उन्मुख हो।यह बात आज चाइल्ड कन्जर्वेशन फाउंडेशन की आठवी ई संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील श्री निपुण सक्सेना ने कही।इस वर्चुअल सीरीज को पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री के एन तिवारी ने भी संबोधित किया।संगोष्ठी में मप्र के अलावा बिहार,यूपी,आसाम,झारखण्ड,छत्तीसगढ़,हरियाणा,चंडीगढ़ के बाल अधिकार कार्यकर्ताओं एवं सीडब्ल्यूसी जेजेबी सदस्यों ने शिरकत की।
एडवोकेट श्री सक्सेना ने बताया कि निर्भया प्रकरण के बाद पाक्सो एक्ट को बहुत ही सख्त स्वरूप दिया गया है।यह कानून भारत में बालकों को यौन अपराधों से बचाने के साथ पीड़ितों के सामाजिक पुनर्वास को भी उच्च प्राथमिकता पर सुनिश्चित करता है।हाल ही में इस कानून में किये गए संशोधन भी बेहद प्रभावी है जिनका अध्ययन कर बाल कल्याण समितियों को पीड़ितों के पक्ष में अमल कराना चाहिए।उन्होंने बताया कि “विक्टिम कंपनसेशन स्कीम”इस कानून का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसमें संगीन यौन अपराधों के मामलों में पीड़ित को न केवल स्तरीय चिकित्सा बल्कि जीवनोपयोगी अन्य मुआवजे का भी प्रावधान है।इस स्कीम के तहत एक वर्गीकृत मुआवजे की स्पष्ट व्यवस्था है और बाल कल्याण समितियाँ पीड़ित के पक्ष में इसके क्रियान्वयन के लिए स्पेशल कोर्ट को पत्र लिख सकती है।जानकारी के अभाव में अभी इस स्कीम का फायदा शत प्रतिशत मामलों में नही मिल पा रहा है।इसके अलावा सभी समितियों जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से भी भोजन,वस्त्र रहवास की सुविधाएं उपलब्ध करा सकती है।श्री सक्सेना ने बताया कि पॉक्सो एक्ट में दर्ज हर प्रकरण की सूचना धारा 19(6)के तहत सीडब्ल्यूसी को दी जाना अनिवार्य है।कमेटी को भी इस तरह के सभी मामलों में कानून की मंशा के मुताबिक बेहद सजगता औऱ संवेदनशीलता के साथ पीड़ित के पुनर्वास पर काम करना चाहिये।पीड़ित की पक्ष में यह कानून “बालक के सर्वोत्तम हित”की बुनियाद पर खड़ा है इसलिए परिवार या संस्थागत पुनर्वास के निर्णय को सावधानी के साथ निर्णीत किये जाने की जरूरत होती है।उन्होंने बताया कि बालक की निजता का खुलासा पोक्सो एक्ट के साथ आईपीसी के सेक्शन 228 के तहत भी अपराध की श्रेणी में आता है।श्री सक्सेना ने बताया कि संस्थागत पुनर्वास के समय प्रोटेक्शन आफिसर की नियुक्ति भी बहुत सोच समझकर करने की आवश्यकता होती है इसके अलावा समिति का यह भी दायित्व है कि वह चिन्हित बालक की पश्चावर्ती रिपोर्ट भी नियमित रूप से हासिल करें।
मप्र में विशेष किशोर पुलिस इकाइयों के गठन को आकार देने वाले पुलिस महानिदेशक श्री के एन तिवारी ने विस्तार से जेजे एक्ट में इस इकाई की महत्वपूर्ण भूमिका के सैद्धान्तिक एवं व्यवहारिक पक्ष का विवेचन किया।उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विशेष किशोर पुलिस इकाई को सीडब्ल्यूसी के अलावा स्वास्थ्य,शिक्षा,श्रम ,विधिक सेवा चाइल्डलाइन और स्थानीय एनजीओ के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने का प्रयास करना चाहिये।श्री तिवारी ने बताया कि पुलिस इकाई समाज और सीएनसीपी श्रेणी के बालकों के मध्य पुनर्वास के लिहाज से एक सेतु के रूप में काम कर सकती है।क्योंकि इस इकाई का बुनियादी काम केवल कानूनी लिहाज से बालकों को अपराधियों से बचाना नही है बल्कि समाज में चाइल्ड फ्रेंडली माहौल निर्मित करना भी है।किशोर पुलिस जेजे एक्ट पॉक्सो एक्ट में पीड़ित बालकों के लिए प्रथम सम्पर्क इकाई भी है।क्योंकि इस इकाई का काम बालकों से मित्रवत व्यवहार,उचित मनोवैज्ञानिक परामर्श औऱ सुगम्यता से उनका सामाजिक पारिवारिक समेकन करना भी है।उन्होंने स्वीकार किया कि मप्र में अपेक्षित संसाधन और प्रशिक्षण के आभाव में भी इकाइयां बेहतर काम कर रही है लेकिन एक्ट की भावना के अनुरूप अभी इस मामले पर बहुत काम करने की जरूरत है।श्री तिवारी के अनुसार स्थानीय पुलिस अधीक्षक को समय समय पर इन इकाइयों का निरीक्षण करना चाहिए और आवश्यक सुधार भी अपने स्तर पर सुनिश्चित करने की पहल की जाना चाहिये।उन्होंने बताया कि हर प्रदेश में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी को इस एक्ट की निगरानी एवं क्रियान्वयन का जिम्मा दिया गया है।किशोर इकाइयों में कार्यरत कार्मिको के अलावा सभी थाना स्तर पर नियुक्त बाल कल्याण अधिकारियों के सतत प्रशिक्षण की आवश्यकता पर भी श्री तिवारी ने जोर दिया।
खुले सत्र में निपुण सक्सेना एवं श्री तिवारी ने देश भर से आये प्रश्नों का समाधान किया।चाइल्ड कन्जर्वेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र शर्मा ने दोनों विषय विशेषज्ञों का धन्यवाद दिया।संगोष्ठी का स्तरीय संचालन सचिव डॉ कृपाशंकर चौबे ने भोपाल से किया।