*इंदौर:-बाबा यादव*
जेल की सजा पूरी करने के बाद कैदी अपना शेष जीवन धर्मकर्म व सामाजिक दायित्व निभाते हुए गुजारे। वे अपराध से तौबा करे। इसी मकसद को लेकर शहर की दोनों जेलों में कैदियों को अपराध से दूर रखने की योजनाएं, प्रयोग किए जा रहे हैं। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए अब जेलों में लायब्रेरी खोलने का काम तेजी से चल रहा है।
सेन्ट्रल जेल के अधीक्षक ने बताया कि कैदियों के लिए समय-समय पर धार्मिक आयोजन, प्रवचन, योग प्रशिक्षण कराया जाता है। इससे कई कैदी लाभान्वित हुए हैं। वे सजा के बाद फिर जेल नहीं आना चाहते हैं। इसलिए हमारा भी यही है कि कैदी यहां आने से तौबा कर ले। पढ़े-लिखे कैदियों की पढ़ाई की व्यवस्था भी जेल प्रशासन करता है। कैदियों को पुलिस संरक्षण में परीक्षा केन्द्रों तक भेजते हैं। कई कैदी जेल में पढ़ाई के बाद बड़े अधिकारी व वकील तक बने हैं। ऐसे कैदियों का हौसला अफजाई भी समय-समय पर वरिष्ठ अधिकारी करते हैं। दोनों जेलों में करीब 60 फीसदी कैदी हाईस्कूल, हायरसेंकेडरी तक पढ़े हुए हैं। कुछ कैदी कॉलेज तक पहुंचे हैं, मगर अपराध होने से वे जेल की सलाखों तक आ गए हैं। उनके मन में यह पीड़ा साल कर गई है कि अपराध नहीं करते तो आगे की पढ़ाई हो सकती थी। अब एक सामाजिक संस्था मनु मेमोरियल सोसायटी की महिला सदस्यों ने दोनों जेलों में लायब्रेरी खोलने की बात कही है। लायब्रेरी में धार्मिक, सामाजिक, राजनीति, योग आदि से संबंधित किताबें रखी जाएगी।
लायब्रेरी के खुलने व बंद होने का समय जेल प्रशासन निर्धारित करेगा। यहां की देखरेख का जिम्मा दो कर्मचारियों पर रहेगा। ये कर्मचारी कैदियों के लायब्रेरी आने के समय की इंट्री करेंगे। लायब्रेरी में बैठक क्षमता के मान से कैदियों का यहां आने का समय निर्धारित किया जाएगा। जेल में वैसे तो जरूरत के मान से कक्ष हैं। कोई भी कक्ष खाली नहीं है। ऐसे में लायब्रेरी के लिए अतिरिक्त कक्ष की व्यवस्था जुटाना पड़ेगी। हालांकि, कोशिश रहेगी कि दूसरे कक्ष का कुछ हिस्सा लेकर लायब्रेरी के लिए मर्ज कर दिया जाए।
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