*”मैं सबला सशक्त नारी हूँ”*
“`मैं सबला सशक्त नारी हूँ
मैं सेवाधर्मिता का पर्याय भी हूँ
मैं उन्मुक्त उड़ान की पहचान भी हूँ
मैं त्याग की सर्वोत्तम परिभाषा हूँ
मैं परिवार की बुनियाद भी हूँ
मैं सबला सशक्त नारी हूँ॥
मैं वर्तमान में जीती हूँ
मैं विराम कभी न लेती हूँ
मैं उत्कंठा को भी सह लेती हूँ
मैं परिवार की धुरी बनकर जीती हूँ
मैं अल्हड़ सी मुस्कान हूँ
मैं सबला सशक्त नारी हूँ॥
मैं कुटिल मानसिकता भी झेल लेती हूँ
मैं प्रचंड तेज का आह्वान भी हूँ
मैं उन्नत विचारों का आह्लाद हूँ
मैं तेजस्विनी सी आशा की चिंगारी हूँ
मैं ज्ञान का वरदान भी हूँ
मैं सबला सशक्त नारी हूँ॥
मैं लहू से रंगने वाली वीरांगना हूँ
मैं संस्कारों का विद्यालय हूँ
मैं निर्मोही प्रेम की परिभाषा हूँ
मैं नवीन सृजन की अभिलाषा हूँ
मैं सत्य का साक्षात्कार भी हूँ
मैं सबला सशक्त नारी हूँ॥
मैं त्याग की उत्कृष्टता हूँ
मैं जीवन की कर्तव्यनिष्ठा हूँ
मैं ओज की प्रदीप्ति हूँ
मैं समर्पण का सर्वदा विकल्प हूँ
मैं मातृशक्ति का शंखनाद हूँ
मैं सबला सशक्त नारी हूँ॥
मैं धैर्य से देदीप्यमान हूँ
मैं सेवा सुश्रुषा का अभिमान हूँ
मैं करुणा की प्रदीप्ति हूँ
मैं सकारात्मक दृष्टिकोण हूँ
मैं परिवार के उत्थान में कभी-कभी मौन हूँ
मैं सबला सशक्त नारी हूँ॥
मैं सहचर का स्वरूप हूँ
मैं अद्वितीय शिक्षक का रूप हूँ
मैं जीवन के यथार्थ का बोध हूँ
मैं जलधि के हृदय से परिपूरित हूँ
मैं उत्साह की सौम्य संचारक हूँ
डॉ. रीना कहती मैं सबला सशक्त नारी हूँ॥“`
*डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)*