*इंदौर:-बाबा यादव*
जिले के मुखिया का रौब ऐसा होना चाहिए कि नाम सुनते ही अधिकारी और कर्मचारी को चौक जाए मगर जिलाधीश कार्यालय में ऐसा नहीं है। कलेक्टर कार्यालय के तहसील में आरआई और पटवारी अपनी मनमर्जी से सारे काम करते है वे ना तो कानून का अध्ययन करते है और ना हीं उसके बारे में सुनना चाहते है। ऐसे ही एक मामले में आरआई ओर वकील के बीच तीखी नोक झोक हो गई।
कलेक्टर कार्यायल में विवाह प्रमाण पत्र बनवाने के लिए मनीष पिता कैलाशचन्द्र उपाध्याय निवासी 107 सुखदेव नगर एरोड्रम रोड़ ने विशेष विवाह अधिनियम 1954 की धारा 5/धारा 15 नियाम 9 के तहत आवेदन प्रस्तुत किया। इस आवेदन में मनीष उपाध्याय की पत्नी का मायका मुम्बई का था। आवेदन प्रस्तुत होने पर आरआई को केवल बयान लेकर फाईल संबंधित दण्डाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना होती है। मगर आरआई रामलाल खेडेकर ने ऐसा नही करते हुए आवेदक को कहा कि तुम्हारी शादी मुम्बई में हुई है तो बयान भी वहां देने जाएं।
महिला और उसके पति के बयान लेने से इंकार करने पर जब उनके वकील महेश जायसवाल ने चर्चा की तो आर आई तीखी बहस करने लगा। दोनों के बीच हुए संवाद कुछ इस प्रकार थे
आरआई:- मुझे बयान नहीं लेने है
वकील:- बयान क्यो नहीं और किस कानून के तहत बयान नहीं लेंगे
आरआई: महिला मुम्बई की है और वह वहां पर जाकर बयान दे
वकील:- शायद आपकों काननू का ज्ञान नहीं है, जिस नियम के तहत आवेदन दिया है उसके तहत यदि महिला शादी करने के बाद एक माह से अधिक समय तक उस शहर में रहती है तो वह प्रमाण पत्र बनवाने की हकदार है।
आरआई:- आप एसडीएम से बात करें
वकील :-मै नियमों के तहत बात कर रहा हूॅ एसडीएम का बयान में कोई रोल नहीं है क्या एसडीएम ऐसा करने को कहा है।
आरआई :- ठीक है आप मेरे क्षेत्र में रहते है तो मै बयान ले लेता हॅॅू वर्ना ……
वकील :- वर्ना का क्या मतलब
आरआई :- कुछ नहीं वकील साब मै आपका काम कर देता हॅू
इतनी बहस के बाद आरआई ने महिला के बयान लिऐ । वैसे महिला की शादी 20 साल पहले हुई थी और उसके बच्चे इंदौर में पढाई कर रहे तो आर आई का विरोध क्यो था यह वह ही जाने मगर ऐसा बताया जा रहा है कि महिला का पति आईल पेंट व्यवसायी था इसलिए यह तमाम स्थिति बनी।
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