डीएनयु टाईम्स (बिरमपुरी गोस्वामी, राजगढ़)
कोरोना संक्रमण के तहत जारी लॉक डाउन के चलते पूरे भारत में सामान्य जनमानस की विपरीत परिस्थितियों के बीच अपने घर लौटने की कई कहानियां उभर कर सामने आ रही हैं वही जब एक पीड़ित व्यक्ति ने अपनी चाही गई मंजिल पर पहुंचकर वहां से उनके मददगार को फोन लगाकर जो कहा वह सुनकर उनके मददगार की आंखों में भी आंसू छलक आए यही नहीं सामने वाले व्यक्ति ने भी अपने रुंधे गले से जो कुछ कहा वे शब्द स्वयं ही उसकी कहानी बयां कर रहे थे…..
सर मुझे बहुत लोगों ने कहा था कि पुलिस ऐसा करती है पुलिस वैसा करती है पुलिस लोगों के साथ गलत व्यवहार करती है पर सर मध्य प्रदेश की पुलिस ने आज मुझ पैरों से लाचार और मेरे परिवार के लिए जो किया उसके लिए मैं दिल से आपका आभारी रहूंगा मैं यह एहसान कैसे चुकाऊंगा बस यह शब्द सुनकर जिला राजगढ़ के ब्यावरा देहात प्रभारी श्री आदित्य सोनी ने उन्हें ढाढस बंधाया और उनके जीवन के लिए मंगलकामनाएं करते हुए उन्हें अपने परिवार के साथ हमेशा खुश रहने के लिए कहा साथ ही भविष्य में कभी भी किसी भी सहायता के लिए उन्हें आश्वस्त किया और अपने द्वारा सही समय पर जरूरतमंद के काम आने के लिए ईश्वर का धन्यवाद दिया।
लगातार जारी लॉक डाउन के चलते मजदूर एवं गरीब तबके के लोगों के पलायन का सिलसिला चल उठा है वहीं उनकी स्थिति से कौन अनभिज्ञ है, जिले के देहात ब्यावरा थाने के सामने से गुजरने वाले आगरा बॉम्बे रोड पर मोड़ के पास ही जब वहां ड्यूटी कर रहे स्टाफ की नज़र पैदल चल कर आ रहे एक परिवार पर पड़ी तो उत्सुकतावश उनके निकट पहुंचकर थाने के स्टाफ नें उनसे चर्चा की, पूछताछ पर पता चला की वह पूरा परिवार जिसमें करीब दो बच्चों सहित कुल छह लोग थे जो मध्यप्रदेश के सीहोर जिले से साधन का अभाव होने के कारण अलीगढ़ जाने के लिए पैदल ही निकले पड़े थे, यह परिवार 60 वर्षीय राजेश जाटव का था जो की पैरों से चलने में असमर्थ थे और व्हीलचेयर पर चलने को मजबूर, वहीं उनके साथ राजेश का बड़ा लड़का विनोद उसकी पत्नी सुनीता, राजेश का छोटा लड़का रंजन तथा सुनीता के तीन बच्चे संजय, धीरा और मात्र 4 साल की नादान लड़की चांदनी भी पैदल ही चल रही थी।
अधिक जानकारी लेने पर पता चला कि यह परिवार पेट पालन के लिए सीहोर में गुब्बारे बेचने का काम किया करता था, लॉक डाउन होने के कारण परिवार के पालन पोषण की समस्या के चलते पलायन कर अपने घर अलीगढ़ जाने के लिए सीहोर से पैदल चलकर आ रहा था, इन सभी लोगों देखकर देहात थाना प्रभारी उनकी टीम के साथ मिलकर उनकी मदद करने के लिए हर संभव प्रयास करने लगे 4 साल की बच्ची चांदनी जो कि इस महामारी से बिल्कुल ही अनजान थी वह इस पैदल चलने को एक एडवेंचर के रूप में समझ रही थी तथा सड़क पर लगी रेलिंग से इधर-उधर उछल कूद कर खेल रही थी जिसके पैर में चप्पल भी नहीं थी वहीं 8 साल का लड़का धीरा भी नंगे पैर ही सीहोर से चला आ रहा था इस परिवार में किसी के भी पैरों में चप्पल नहीं थी और ना ही खाने का साधन ना ही पहनने के लिए ठीक से कपड़े।
थाना देहात प्रभारी आदित्य सोनी तथा उनके स्टाफ जरूरतमंद की सहायता का जो अवसर मिला था उसे उन्होंने जाने नहीं दिया और इस परिस्थिति को शिरोधार्य कर उन्होंने इस परिवार को अपने घर पहुंचाने के लिए एक ट्रेलर कंटेनर की व्यवस्था की साथ ही इस परिवार के प्रत्येक सदस्य को चप्पल पहनाई, उनके लिए सदोचित कपड़ों का प्रबंध किया कुछ आर्थिक मदद देकर और कंटेनर में बिठाकर इनके मोबाइल नंबर आदान-प्रदान कर उन्हें उनके गंतव्य की ओर रवाना कर राहत की सांस ली और पुनः अपने कर्तव्य में लग गए।
एक दिन बाद ही शाम के समय थाना प्रभारी देहात ब्यावरा आदित्य सोनी के पास विनोद जाटव का फोन आया जिस ने सकुशल अपने गांव अलीगढ़ पहुंचने के बारे में बताया, और बताते बताते ही वह रोने लग गया और अपने पूरे परिवार को सकुशल घर पर पहुंचने के कारण वह अपनी भावनाएं संभाल नहीं सका तथा आंसुओं के रास्ते उसका पूरा दुख निकल आया।