*इंदौर:-संजू बाबा*
असंगठित मजदूरों के पंजीयन की योजना में सरकार ने दूसरी बार भी आमजन के साथ धोखाधड़ी की है। पूर्व में भी सरकार ने योजना शुरू की, मगर लाभ देने से पीछे हट गई। पहले भी सरकार योजना में पंजीयन के बाद लाखों लोगों के नाम हटा चुकी है। नाम हटाने के पीछे गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाला कार्ड नहीं होना बताया गया। इस वर्ष भी योजना में इसी कार्डधारक को लाभ देने का लालच दिया जा रहा है।
यह योजना सरकार की सोची समझी रणनीति है। इसमें केवल उन्हीं लोगों को लाभ मिल रहा है, जो गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले हितग्राही है। 15 साल बाद वे प्रदेश को समृद्ध बनाने की बात कह रहे हैं, जो शर्मनाक है। यह आरोप प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव राकेश सिंह ने पत्रकार वार्ता में लगाए। उन्होंने मुख्यमंत्री को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि सरकार लगातार गलत आंकड़े व जानकारी देकर जनता को भ्रमित कर रही है। पंजीयन योजना में 25 लाख मजदूरों ने रजिस्ट्रेशन कराया। मजदूरों को उम्मीद थी कि रजिस्ट्रेशन के बाद योजना का लाभ प्राप्त होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। शिवराज सरकार का यह वोट लूटने का तंत्र है। जनआशीर्वाद यात्रा के जरिए वे लगातार जनता को चाल-चरित्र और चेहरा दिखा रहे हैं, जिसे मप्र की जनता अच्छी तरह से देख रही है। अब प्रदेश सरकार से हिसाब मांगने का समय है। प्रदेश में 15 सालों में भाजपा का राज है, इन्हें बिजली बिल की चिंता, मजदूरों की चिंता, आवासहीन लोगों की चिंता अब सता रही है, क्योकि शिवराजसिंह चौहान की सरकार यह समझ चुकी है कि जमीनी धरातल पर सरकार का आधार खिसक चुका है। प्रदेश की जनता का मन और मत शिवराज सरकार के खिलाफ है।
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