डीएनयु टाईम्स , इंदौर
वरिष्ठ पत्रकार अंकुर जयसवाल की कलम से
पान मसाला परिवहन की परमिशन देकर फंसे कलेक्टर!
कलेक्टर बोले, एडीएम जिम्मेदार गुटखा तस्करी का वाधवानी पर आरोप
–जीएसटी चोरी के मामले में पूछताछ जारी
-लॉकडाउन के दौरन गुटखा की हुई थी तस्करी
इंदौर। 233 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी और पान गुटखा माफ़िया देशद्रोही किशोर वाधवानी की गिरफ्तारी के साथ ही इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। वजह है 21 मई का आदेश का। जिसमें कलेक्टर ने पान मसाला कारोबारियों को पान मसाला परिवहन की पर्मिशन दी थी। इसी पर्मिशन की आड़ और प्रशासन से मिले वाहन पास के आधार पर वाधवानी ने इंदौर, अन्य जिलों व अन्य राज्यों में पान मसाले की तस्करी की।
गुटखा माफ़िया वाधवानी डीजीजीएसटीआई-डीआरआई की कस्टडी में है। उनके चार गुर्गे विजय नायर, संजय माटा, अशोक डागा और अजय बोथरा जेल में हैं। जांच एजेंसी टैक्स चोरी के साथ टैक्स चोरी के तरीकों की जांच भी कर रही है। इसीलिए बीते दिनो जांच एजेंसियों ने कलेक्टर मनीष सिंह को चिट्ठी लिखी। पूछा कि लॉकडाउन के दौरान जब पूरे शहर में कफ्र्यू लगा था तो फिर वाधवानी के ट्रकों को आने-जाने की छूट कैसे मिली। सूत्रों के अनुसार लॉकडाउन पीरियड में वाधवानी की कलेक्टर से अपने व अपने मातहतों के मोबाइल नंबरों से 48 बार बात हुई है। जिसका ब्यौरा डिपार्टमेंट के पास है। गुरुवार को राज्यसभा सांसद विवेक तनखा ने भी बिना मनीष सिंह का नाम लिए इस बात का जिक्र अपने ट्वीट में किया है। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान बताएं कि उनके अधिकारी कोरोना से जंग लड़ रहे थे या फिर बिजनेस कर रहे थे।
इस मामले में कलेक्टर सिंह कहना है कि वाहनों को पर्मिशन देने का काम एडीएम बीबीएस तोमर देख रहे थे। मैं कोविड-19 की जिम्मेदारियों में व्यस्त था। यदि वाहन पास जारी हुए हैं या फिर डुप्लीकेट बनाकर इस्तेमाल किए गए हैं तो हम संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
जांच एजेंसियों के हाथ कलेक्टर मनीष सिंह का 21 मई को जारी एक आदेश भी हाथ लगा है। इस आदेश में जिला प्रशासन द्वारा जिले की नगर निगम सीमा क्षेत्र के पान मसाले होलसेलरों और फुटकर विक्रेताओं को पान मसाला व कच्चा सामान इंदौर जिले और जिले के बाहर भेजने की अनुमति दी गई है। अलग-अलग विक्रेताओं को अलग-अलग अनुमति दी गई। अनुमति सुबह 11 से शाम 5 बजे तक की थी। आदेश के अनुसार अनुमति पान मसाला स्थानांतरण की थी। किसी भी स्थिति में पान मसाले का विक्रय और वितरण नहीं कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मई को लॉकडाउन की घोषणा की थी। लॉकडाउन चार चरणों में रहा। लॉकडाउन-4 31 मई को खत्म हुआ। 1 जून से केंद्र व राज्य सरकारों ने लॉकडाउन में ढील देना शुरू की। अब तक केंद्र और राज्य सरकार ने किसी भी राज्य में गुटखा व पान मसाला उत्पादों के विक्रय की अनुमति नहीं दी है। न गुटखा व पान-मसाला आवश्यक वस्तू अधिनियम के तहत आता है। उल्टा, वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) से लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय कोरोना काल में पान-मसाला न खाने की हिदायत दे रहा है। सार्वजनिक स्थानों पर थुकना प्रतिबंधित किया जा चुका है। क्योंकि इसे संक्रमण फैलता है उसके बावजूद ऐसे में सवाल यह है कि फिर कलेक्टर इंदौर ने पान मसाला परिवहन व स्थानांतरण की छूट किस आधार पर दी।
राज्यसभा सांसद विवेक तनखा के साथ ही कई कांग्रेस नेताओं ने इंदौर प्रशासन की भूमिका पर संदेह जताया है। सोशल मीडिया पर अजय दुबे ने कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जीतू पटवारी और कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मनीष सिंह पर मौन रहने पर सवाल उठाए हैं।