*पीएससी पर बेबुनियाद आरोप लगाना बंद करे अतिथि विद्वान खुद पड़े नही क्या भविष्य बनाएंगे छात्रों का :- – डॉ. प्रकाश खातरकर*
*830 को नियुक्ति देने के बाद 4 दिन से नही जारी किए कोई नियुक्ति आदेश अभी भी 2500 बाकी एक सप्ताह का समय दिया था उच्चशिक्षा मंत्री ने झूट साबित हो रहे फिर अपने वचन से लगे मुखरने*
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पीएससी चयनित सहायक प्राध्यापक संघ मप्र के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. प्रकाश खातरकर ने कहा है कि शासन ने 2709 में से 832 चयनित सहायक प्राध्यापको के नियुक्ति आदेश के चार दिन बाद कोई भी नियुक्ति आदेश जारी नहीं किए हैं। माननीय मुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री जी के द्वारा सारी फाइलों के अनुमोदन की खबरें अनेक समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुकी है। विगत 15 माह से इंतज़ार के बाद अब भी अनावश्यक विलंब किया जाना एक नया प्रश्न उत्पन्न कर रहा है। शासन को शीघ्र ही चयनितो को कालेज आवंटन कर प्रदेश के बच्चो के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहल करना चाहिए। पीएससी का विरोध करने वाले अतिथि विद्वान किसी न किसी कारणवश चयन सूची से बाहर है। अतिथि विद्वानों के द्वारा पीएससी परीक्षा पर अनर्गल आरोप लगाना वैधानिक रूप से गलत है इसे बंद करना चाहिए। डॉ. खातरकर ने कहा कि कांग्रेस के वचन पत्र के बिंदु 17.22 में स्पष्ट उल्लेख है कि “अतिथि विद्वानों को रोस्टर के अनुसार नियमितीकरण की नीति बनाई जाएगी” । विभाग के अधिकारी ये जानते है कि अतिथि विद्वान व्यवस्था में कभी भी रोस्टर लागू नहीं किया गया है फिर भी वो अपनी बात संवैधानिक रूप से शासन के समक्ष रखें हमे कोई आपत्ति नही, लेकिन पीएससी जैसीे संवैधानिक संस्था पर बेबुनियाद और मनगढ़ंत आरोप लगाकर चयनितों को प्रताड़ित करेंगे तो संगठन इसका कड़ा जवाब देगा। अतिथि विद्वानो के नियुक्ति आदेश में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि नियमित भर्ती या स्थानान्तरण होने के कारण अतिथि विद्वान स्वतः ही कार्यमुक्त कर दिए जाएंगे। इसलिए संगठन ने फॉलेन आउट की प्रक्रिया पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया है। यूजीसी के अनुसार सहायक प्राध्यापक पद की न्यूनतम योग्यता नेट, सेट या पीएचडी का होना अनिवार्य है जबकि उच्च शिक्षा विभाग में लगभग 1000 ऐसे अतिथि विद्वान हैं जो यूजीसी की न्यूनतम अर्हता को पूरा नहीं करते हैं इन्हें अनुभव के 20 अंक देने के कारण ये एमफिल एमएससी वाले व्यवस्था में बने हुए है और ऐसे अतिथि विद्वानों को लगातार व्यवस्था में बनाए रखना यूजीसी के नियम के खिलाफ है । हम शासन से मांग करते हैं कि अतिथि विद्वान व्यवस्था में यूजीसी के मानदंडों और रोस्टर का पालन करके पुनः इनकी भर्ती हो जिससे जो विगत वर्षों में नेट, सेट और पीएचडी किये योग्य व साथ ही आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को फायदा मिले।
Govt. Ko jaldi se jaldi sabhi condidate ko joining de deni chahiye