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भय्यू महाराज की लिखावट से, सुसाइड नोट लिखने की पुष्टि

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*इंदौर:-बाबा*
भय्यूजी महाराज आत्महत्या मामले में पुलिस को सुसाइड नोट की जांच रिपोर्ट मिल गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक सुसाइड नोट भय्यू महाराज ने ही लिखा था। सीएसपी मनोज रत्नाकर के मुताबिक जिस कमरे में भय्यूजी महाराज का शव मिला था, पुलिस ने उससे दो पेज का सुसाइड नोट बरामद किया था। उसे जांच के लिए लैब भेजा गया था। नोट की लिखावट मिलाने के लिए महाराज द्वारा लिखे गए अन्य दस्तावेज के नमूने लिए गए थे।
जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि नोट महाराज ने ही लिखा था। सीएसपी के मुताबिक कई अन्य जांच रिपोर्ट आना बाकी है। सभी रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस केस डायरी कोर्ट में पेश करेगी। बता दें कि पिछले महीने आध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज ने अपने इंदौर (मध्य प्रदेश) स्थित घर में खुद को गोली मार ली थी। छह लाइन के सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा था ‘मैं काफी तनाव में हूं और परेशान हूं, मैं जा रहा हूं। मेरे पीछे परिवार को देखने के लिए कोई यहां होना चाहिए।’ भय्यू महाराज ने 12 जून को सिल्वर स्प्रिंग स्थित बंगले में लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। संयम और मुक्ति की सीख देने वाले भय्यूजी महाराज, दूसरी पत्नी डॉ. आयुषी और बेटी कुहू के बीच चल रहे विवाद से टूट गए थे। भय्यूजी महाराज दो सालों से दोनों के बीच सुलह कराने के प्रयास करते रहे, लेकिन स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती चली गई। कई ऐसे मौके आए जब पत्नी और बेटी आमने-सामने आईं और उनमें जमकर विवाद हुआ।
जानकारी के मुताबिक दूसरी पत्नी को घर लाते ही बेटी ने पूजा का सामान फेंक दिया। पहली पत्नी माधवी के निधन के बाद भय्यूजी महाराज ने डॉ. आयुषी से शादी करने के निर्णय के बारे में बेटी कुहू को नहीं बताया था। वह शादी से सहमत नहीं थी। गुस्से के कारण कुहू शादी में भी शामिल नहीं हुई। डॉ. आयुषी जब पहली बार घर आईं तो कुहू ने इसका विरोध किया। पहली पत्नी के निधन के दो साल बाद उन्होंने दूसरी शादी की थी। भय्यूजी महाराज की पहली पत्नी माधवी का नवंबर 2015 में पुणे में निधन हो गया था। वे महाराष्ट्र के औरंगाबाद की रहने वाली थीं। पहली शादी से उनकी एक बेटी है, जिसका नाम कुहू हैं। वो पुणे में पढ़ाई कर रही हैं। महाराज ने 49 साल की उम्र में 30 अप्रैल, 2017 को मध्यप्रदेश के शिवपुरी की डॉ. आयुषी के साथ दूसरी शादी की थी।
भय्यू महाराज पहली बार चर्चा में तब आए जब अन्ना हजारे के अनशन को खत्म करवाने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार (यूपीए) ने उन्हें अपना दूत बनाकर भेजा था। बाद में अन्ना ने उनके हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा था। इसके अलावा पीएम बनने के पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी सद्भावना उपवास पर बैठे थे। तब उपवास खुलवाने के लिए उन्होंने भय्यू महाराज को आमंत्रित किया था।

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