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मरीजों को खिलाई गई हाथीपांव बीमारी रोकने की दवा

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डीएनयु टाईम्स (राहुल दुबे,जलोंन)

स्वास्थ्य मेले में हुआ फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का शुभारंभ , मेले में 3761 मरीज देखे गए और269 गोल्डन कार्ड बनाए गए

जालौन, 16 फरवरी 2020
लोगों को घर के पास ही स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए हर रविवार को लगाए जा रहे मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मेले में मरीजों को इलाज के फाइलेरिया की दवा भी खिलाई गई। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का शुभारंभ झांसी से आए संयुक्त निदेशक डा. जेके गुप्ता ने मोहल्ला उमरारखेरा स्थित नगरीय स्वास्थ्य केंद्र में फाइलेरिया की दवा खिलाते हुए कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए अभियान शुरु हो गया है। 17 से 29 फरवरी तक टीमें घर घर जाकर दवा खिलाएगी। टीमें नियमानुसार सभी लोगों को दवा खिलाए।
इसके अलावा हरदोई गूजर, सोमई, दिरावटी, सदूपुरा, गोवर्धनपुरा, कुदारी, भेड़, रेंढर, नावली, आटा, परासन, महेबा, महेबा, चुर्खी, न्यामतपुर, वीरपुरा, शेखपुर बुजुर्ग, शहजादपुरा, उरगांव, सिरसाकलार, ईटो, मड़ोरी, गोपालपुरा, सरावन, गोहन, सिरसादोगढ़ी, नावर, जगम्मनपुर, पतराही, नरौल, तुफैलपुरवा, बघौरा, हरीपुरा, गोखलेनगर, उदनपुरा आदि में स्वास्थ्य मेलों में मरीजों का इलाज के साथ फाइलेरिया की दवा भी खिलाई गई। इस दौरान एसीएमओ डा. बीएम खैर, डीएमओ डा. जीएस स्वर्णकार, बायोलाजिस्ट सीएल बघेल, चिकित्साधिकारी डा. मनोज दीवौलिया, पीसीआई के जिला प्रतिनिधि सुनील गुप्ता, प्रबल प्रताप सिंह, रामप्रकाश, संजीव चंदेरिया, रामप्रकाश, डाली, पूनम, गीता सिंह, विनीता, कीर्ति, शशि, अवधेश शर्मा आदि रहे।

क्या है लिम्फैटिक फाइलेरियासिस
फाइलेरिया या हाथीपांव रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या है। यह एक दर्दनाक रोग है जिसके कारण शरीर के अंगों में सूजन आती है, हालांकि इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है। यह रोग मच्छर के काटने से ही फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया से जुड़ी विकलांगता जैसे øलिंफोइडिमा (पैरों में सूजन) और हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन) के कारण पीडि़त लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता हैए जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।

एमडीए की दवा से कई लाभ
फाइलेरिया से बचाव के साथ एमडीए दवाइयों से कई दूसरे लाभ भी हैं, जैसे यह आंत के कृमि का भी इलाज करती है जिससे ख़ासकर बच्चों के पोषण स्तर में सुधार आता है और उनके शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है। वर्ष 2004 से भारत सरकार ने देश भर में लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के संक्रमण से बचाव के लिए सभी प्रभावित जिलों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) राउंड आयोजित किये हैं। एमडीए के दौरान डब्ल्यूएचओ से अनुशंसित की गई दवाइयांए डाइथेलकार्बामोजाइन साइट्रेट (डीईसी) और अलबेंडाजोल को उन सभी लोगों फाइलेरिया के संक्रमण से बचाव के लिए उपलब्ध करायी जा रही हैए जिन्हें इस रोग के होने का खतरा है । इस रोग के संक्रमण को कम करने के लिए यह दवाई ऐसे क्षेत्र में रहने वाल़े सभी लोगों को खिलाई जाती है जो कि एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। क्योंकि इन प्रभावित क्षेत्र में रह रहे समुदाय में सभी लोगों को फाइलेरिया के संक्रमण होने का खतरा हैए इसलिए यह जरूरी है कि सभी लोग एमडीए दवाइयों या फाइलेरिया रोधी दवाइयों का सेवन सुनिश्चित करें।

जालौन में फाइलेरिया की स्थिति
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के 51 जिलों में फाइलेरिया (हाथीपांव) रोग स्थानीय रूप से फैली हुई है। 2018.19 में लिंफोइडिमा के 93952 और हाइडड्रोसील के 26401 मामले पूरे राज्य में सामने आए है। जबकि 2019-20 में जिले में पैर से फाइलेरिया संबंधी 524 मरीज, हाथ के 98 मरीज, स्तन संबंधी 19, अंडकोष संबंधी 93 समेत कुल 734 मरीजों का इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में 15 लाख 98 हजार लोगों को दवा खिलाई जानी है।

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