*इंदौर:-बाबा यादव*
सप्ताहभर पहले रात्रि में सीएसपी मनोज रत्नाकर को एक मूक-बधिर महिला घूमती मिली थी। ढूंढकर उसके पति और पिता को बुलाया गया था। लेकिन, देवास निवासी पति और पिता के साथ काउसिंल के बाद भी उस मूक-बधिर महिला ने उनके साथ जाने से इंकार कर दिया। अपनी 11 साल की बेटी को भी पति के साथ भेजने से उसने मना कर दिया। कनाडिया रोड पर पिछले माह एक मूक बधिर महिला लीलाबाई सीएसपी मनोज रत्नकार को घूमती हुई मिली थी। उसे कनाडिया पुलिस के सुपुर्द करते हुए परिजनों को तलाशने की बात कहीं थी। महिला मूक-बधिर थी, इसलिए समाजसेविका मोनिका पुरोहित से संपर्क किया गया। मोनिका पुरोहित ने अपने पति ज्ञानेन्द्र के सहयोग से पहले महिला को सुरक्षित स्थान दिलाने के लिए प्रयास किए और फूटी कोठी स्थित वामा जनकल्याण संस्था में पहुंचाया। महिला को सुरक्षित पहुंचाने के बाद संस्था की संचालिका अंजली खत्री ने मोनिका के साथ मिलकर उसके परिजनों की तलाश शुरू की। महिला के परिजनों की तलाश के लिए जब प्रयास किए गए तो पहले महिला के पास से एक झोला मिला जिस पर बरोठा देवास अंकित था। महिला ने एक मोबाइल नंबर दिया, जो किसी मुस्लिम का युवक का था। पुलिस ने यह मान लिया कि दोनों सूत्र देवास के हैं तो मोबाइल नंबर पर फोन लगाया तो युवक घबरा गया कि उसका नम्बर महिला के पास कैसे गया । युवक ने तुरंत सोशल मीडिया पर महिला के गुम होने का संदेश चलाया, तो देवास से उसके पिता करतार और पति मुखराम ने इंदौर की तुकोगंज पुलिस से संपर्क किया। इसके बाद वे इंदौर सारे दस्तावेज लेकर आए।
मूक-बधिर महिला को उसके पिता और पति के साथ बैठाकर रात 11.30 तक काउसिंलग की गई, मगर महिला ने दोनों के साथ जाने से इंकार कर दिया। बताया कि ये लोग मुझे मारते, पीटते है और प्रताडित करते हैं। महिला ने अपने साथ 11 साल की बेटी को भी रखा तथा कहा कि इसे मैं साथ रखूंगी। महिला को फिलहाल वामा संस्थान में रखा गया है और वहां की संचालिका अंजली खत्री के साथ मिलकर लगातार काउसलिंग की जा रही है। अभी जो स्थिति बनी है उसके बाद फिर से 4-5 दिनों तक महिला को समझाया जाएगा, ताकि वह परिवार के साथ रहने के लिए तैयार हो जाए।