*इंदौर:-बाबा यादव*
सरकार द्वारा रिक्त पदों पर की जा रही नियुक्ति को लेकर अब दिव्यागजनों की ओर से भी जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर हो गई है। नियमों के विपरित एम पी पी एस सी ने शासन के प्रस्ताव पर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी थी और परीक्षा आयोजित कर दिव्यागों के इन्टरव्यूह भी कॉल कर लिए थे। इधर हाईकोर्ट ने दिव्यांगों की एक संस्था की याचिका पर परिक्षा परिणाम रोकते हुए सरकार से 7 दिनों में जवाब मांगा है।
राज्य सरकार के अधीन प्रदेश भर के 11 शासकीय श्रवण बाधित और दृष्टिबाधित संस्थाओंं में बच्चों को पढ़ाने के लिए 24 पदों पर भर्ती करने हेतु एमपीपीएससी को प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव के आधार पर एमपीपीएससी ने एक विज्ञापन जारी कर विषयवार भर्ती ना करते हुए यह कहा कि कोई भी आवेदक पोस्ट ग्रेज्युएट जिसने विकलांगता में बीएड किया है आवेदन कर सकता है। इस विज्ञापन पर पहले आपत्ति दर्ज कराते हुए मूक बधिर संस्था आंनद सर्विस सोसायटी की ओर से एक पत्र सरकार को लिखा था और मांग की थी वे भर्ती विषयवार पद के आधार पर करें। सरकार ने सोसायटी क ी मांग को खारिज करते हुए अपनी प्रक्रिया को जारी रखा।
इधर एमपीपीएससी ने परीक्षा आयोजित कर सीधे इन्टरव्यूह की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी। जिसमें खिलाफ सोसायटी की ओर से ज्ञानेन्द्र पुरोहित ने हायकोर्ट में वकील पीयूष माथूर और आशीष चौबे के माध्यम से दायर की । याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सरकार को 7 दिनों में नोटिस जारी करते हुए जहां जवाब मांगा है वहीं एमपीपीएससी की परीक्षा के परिणामों को जारी करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने पूछा है कि जब सामान्य स्तर पर जो भी परिक्षाएं आयोजित होती है तो उसमें विषय के जानकार से आवेदन मंगवाए जाते है तो मूकबधिर और दृष्टिबाधित की भर्ती करने में ऐसा नियम क्यो नहीं लागू किया गया।
Home / मध्य प्रदेश / मूक बधिर व्याख्याताओं की नियम विरूद्व भर्ती,सरकार को नोटिस एमपीपीएससी को परीक्षा परिणाम जारी करने पर लगाई रोक
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