*लोकतंत्र के मंदिर को बचाने की जिम्मेदारी मीडिया को निभाना होगी*
*टॉक शो में देश भर के ख्यात पत्रकारो ने रखे अपने विचार*
*इंदौर:-बाबा यादव*
हमारे देश मे लोकतंत्र के मंदिर को बचाने के लिए मीडिया को महत्वपूर्ण भूमिका निभाना होगी । इस समय हालात विषम है । इन हालात में जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।
यह विचार स्टेट प्रेस क्लब द्वारा आयोजित 3 दिनी पत्रकारिता महोत्सव के अंतिम दिन टॉक शो में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे ।
प्रेस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जयशंकर गुप्त ने कहा कि हम मंदिर मस्जिद के विरोधी है। 2 हजार लोग 1992 में मारे गए । जब कोई अच्छी बात करे तो उसका मंदिर बना दो । गौतम, कबीर के बाद अब राम का मंदिर बना रहे हैं। हमें इनकी सीख से कोई सरोकार नही है। लोकतंत्र का पहला खम्बा विधायिका की हालत यह है कि रोज सांसद विधायक खरीदे जा रहे हैं । कार्यपालिका के समर्पण की बात कही जा रही है । न्यायपालिका अब जनमान्यता पर भी फैसला देती है। मीडिया की यदि बात करे तो वहां भी स्थिति यही है। उन्होंने 4 महिलाओं के माध्यम से देश की हालत को बयां किया ।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अनन्त भगतकर ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा करने के लिए पहले यह सोच ले कि हम कितने मजबूत है। सम्पादक के नाम की व्यवस्था अब समाप्त कर दिया गया है। इसके माध्यम से हमने अपने आपको नष्ट किया है। हम पहले खुद को बचा ले फिर लोकतंत्र के मंदिर को बचाने की बात करें। लड़ाई लड़ने में यह ध्यान रखें कि कही हम रास्ते से ना भटके । हमे आत्मावलोकन करना होगा । वरिष्ठ पत्रकार सतीश के सिंह ने कहा कि पत्रकारिता और मीडिया में अंतर है । इस अंतर को सभी को समझना पड़ेगा । सूचना के ओवरलोड को नकारना होगा ।
सहारा ग्रुप के उपेंद्र रॉय ने कहा कि धर्म क्या है या क्या हो , यह चर्चा का विषय है। धर्म की ऊंचाइयों को छूने में हम विज्ञान में पीछे रह गए । हमे वैमनस्यता फैलाने वाला समाज नहीं चाहिये । लोकमत समाचार के ग्रुप एडिटर विजय कुमार ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर को बचाना है तो मीडिया की जिम्मेदारी है।उन्होंने एक सन्त के विचार मंदिर को लेकर प्रस्तुत किए। इस मंदिर को बचाना और सुरक्षित रखना है।
केरल प्रेस यूनियन के सचिव एस सुनील कुमार ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए ही काम करते हैं। सबरीमला केस में मीडिया को भी सुरक्षा की जरूरत महसूस हो रही हैं। महाराष्ट्र में मीडिया की सुरक्षा का कानून आ गया है । बाकी राज्यो में भी यह कानून आना चाहिए।
केरल के ही टी पी प्रशांत ने कहा कि मीडिया से लोगो को अपने अधिकार की जानकारी मिलती है। अब हमारे देश मे प्रधानमंत्री को चिठी लिखना भी देशद्रोह है । लोकतांत्रिक संगठन कमजोर हो रहा है । मीडिया पेड़ न्यूज़ देकर लोगो को धोखा दे रहा है।
दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार मनीष अवस्थी ने कहा कि इस मुद्दे का हमेशा के लिए राम राम हो गया । लोकतंत्र के मंदिर के पहरेदार यदि आपस मे भिड़ जाए तो यह मंदिर बचेगा कैसे । ईश्वर अल्लाह तेरो नाम ही लोकतंत्र को बचा सकता है । फैसला आस्था , तथ्य और इतिहास के आधार पर आया । आज मीडिया में समस्या है।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि जब तक हम पूर्वजों के लिखे को नही पड़ेंगे तब तक काम नही कर पाएंगे । पत्रकारिता में परिवर्तन आया है । एक क्षण में हमे कहां क्या हो रहा है मालूम पड़ जाता हैं। युवा ही देश मे परिवर्तन कर लिया है ।
विषय का प्रवर्तन करते हुए राज्यसभा टी वी के पूर्व सम्पादक राजेश बादल ने कहा कि 1950 में जिस बुनियाद पर हमने अपना सफर शुरू किया , उस बुनियाद को बचाए रखेंगे तो लोकतंत्र का मंदिर बचा रहेगा । हमारे साथ ही पाकिस्तान ने भी अपना सफर शुरू किया था लेकिन उन्होंने उनके संविधान को कई बार बदल लिया । इसके परिणाम स्वरूप आज पाकिस्तान की हालत देखी जा सकती है। हमारे संविधान में किसी को अधिनायक बनने की गुंजाइश नही रखी गई है।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने इस महोत्सव की जानकारी दी । अतिथियों का स्वागत सुदेश तिवारी, आकाश चौकसे , अभिषेक बड़जात्या , प्रमोद राघवन , कीर्ति राणा , विजय अड़ीचवाल , आनन्द कुमार ने किया । कार्यक्रम का संचालन संजीव श्रीवास्तव ने किया ।