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*विजित चयनित सहायक प्राध्यापकों को अपने चयन पत्र प्राप्ति के लिये नेताओं के दर पर कब तक चप्पलें घीसना शेष है…..?*

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*विजित चयनित सहायक प्राध्यापकों को अपने चयन पत्र प्राप्ति के लिये नेताओं के दर पर कब तक चप्पलें घीसना शेष है…..?*

*इंदौर:-बाबा यादव-9926010420*
मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग लोक सेवा आयोग चयनित शेष सभी सहायक प्राध्यापकों के नियुक्ति पत्र कब तक जारी करेगा…. ?  मैंने 5 दिसम्बर को स्वयं भोपाल जाकर आन्दोलन स्थल पर जाकर इनके समूह को सम्बोधित किया है औऱ शासन को खुला ध्यानाकर्षण भी उन्हें अविलम्ब आदेश जारी करने का अनुरोध भी किया है। मैंने अधिकांश सहायक प्राध्यापकों से रूबरू चर्चा की. ईमानदारी से चयनित इन युवा सहायक प्राध्यापकों ने अम्बेडकर नगर महू से भोपाल के 225 किलोमीटर की ठण्ड में पैदल यात्रा पूर्ण की है औऱ ये इस पैदल यात्रा में अनेक कष्टों से रूबरू भी  हुए हैं। चयनितों की अंतरआत्मायें शासन के अत्यंत ढीले रवैये से रुदन क्रंदन कर अश्रु रंजित हो थक थक गई हैं। अश्रु – स्वेद-रक्त रंजित सभी सहा प्राध्यापाकों  की अंतरआत्मायें व  महिला सहायक प्राध्यापक अपने शिशुओं के साथ खुले में तालाब के तट पर बर्फ जमा देने वाली शीत में पपीहे की भांति सुबह से शाम तक कुम्भकर्णी नींद सोई हुऐ शासन प्रशासन को जगाने की जुगत में नारे लगाते हुए दृष्टिगोचर हुए  . सर्दी खांसी बुखार पैरों में फफोलों की फ़सल लिये सहा प्राध्यापक किस जुर्म की सेहत शरीरिक मानसिक आर्थिक कष्टों से जूझने को विवश हुऐ है… ?
मध्य प्रदेश की बौद्धिक सम्पदा बनाम लोक सेवा आयोग से चयनित याने पीएससी रूपी अंगीठी की तप्त कसौटी से शुद्ध शतप्रतिशत शुद्ध सोना होने के बावजूद भी शासन की लेट लतीफ़ी से अब लगने लगा है कि क्या पढ़ने लिखने व नेट स्लेट पीएचडी डिग्रीयों से उच्च पद प्राप्त किया जा सकता है या अभी भी अपने नैसर्गिक विजित पद के चयन पत्र प्राप्त करने के लिये इन निर्दोषों को अभी भी चप्पलें घीसना शेष है। अनवरत गत 17 माहों से नेताओं के चक्कर काट रहे ईमानदार विजित अभ्यर्थियों को अभी भी नेताओं के दर पर जाकर अपने विजित हक के लिये याचना करना क्या शेष है………?
सहा प्राध्यापकों ने दौड़ दौड़ कर राज्यपाल शासन प्रशासन को अपनी अनुनय विनय करने को आखिर निर्दोष सत्य सहा प्राध्यापकों को क्योंकर विवश होना पड़ा है  ……..?
पी एस सी चयनितों को इस प्रकार के संघर्ष की आवश्यकता ही नही होती है. प्रजातंत्र में परतंत्रता के दृश्य ने मेरी अंतरात्मा को गहरे से झकझोर दिया औऱ मेरे नेत्रों को द्रवित किया है. आदेश तो निर्विवाद रूप शासन ने देना ही है. मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने तो फिर सहा प्राध्यापकों को तडपा तड़पाने की विलंबता की प्रक्रिया को आखिर क्या नाम दिया जावे…?
मैंने प्रदेश के यशस्वी द्वय श्री कमल नाथ जी औऱ जीतू पटवारी को निवेदन किया है कि वे अविलम्ब आदेश जारी करें . कमल नाथ जी के ट्विटर जारी हुऐ भी लगभग सप्ताह भर होने जा रहा है. आखिर शासन शेष सम्पूर्ण चयनितों को कब तक आदेश जारी कर अपने विधि मान्य कर्तव्य का परिपालन करेगी………?
हाँ, शासन आंशिक सहा प्राध्यपकों के आदेश जारी कर चुकी है…. अब  शेष सम्पूर्ण सहा प्राध्यापकों के आदेशों को प्रसारित कर शासन अपने नैतिक दायित्व को पूर्ण करे.

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