*✍ लेखक बजरंग कचोलिया, पत्रकार, इंदौर*
सरकार ‘फेक न्यूज’ के बहाने व्हाट्सअप को घेर रहीं है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार व्हाट्सअप पर क्या कार्रवाई कर पाएंगी या क्या रोक लगाएंगी। लेकिन एक व्हाट्सअप यूजर के तौर पर मैं बात करूं तो मन में सवाल उठता है कि यह सोशल मीडिया की आवाज को दबाने का प्रयास तो नहीं है?
*व्हाट्सअप—* साढ़े छह शब्द के इस ‘फंतरू’ का चार साल पहले जब मैने नाम सुना तो सामान्यत: जैसा कि होता है कि हम किसी नई टेक्नालॉजी से दूर भागते है, मैने भी खासी दूरी बनाई—- कई बार तो किसी खबर के लिए फोटो या लिखित सामग्री होती तो साथी के मोबाईल पर व्हाट्सअप से मंगाता था और फिर मेल पर उससे फारवर्ड करवाकर देखता था कि है क्या बला—?🤨 अब मामला अलग है, मैं 24 घंटे में से कई मर्तबा व्हाट्सअप देखता हूँ। चार साल में ऐसा क्या हुआ कि मेरी राय ही बदल गई–? 🤔अनायस यह सवाल हर मन में उठेंगा। लेकिन मैं प्रोफेशनल व्यक्ति हूॅ और आज मानता हुँ कि ईमेल या फेसबुक से अच्छा व्हाट्सअप है क्योंकि किसी मेल को खोलने के लिए आपको पहले साईबर कैफे जाना पड़ता था अब कोई चित्र, वीडियो, लिखित या दृश्य सामग्री देखना हो तो झट से मोबाईल में व्हाट्सअप खोलो सब सामने हाजिर वह भी दु्रतगति से——यह प्रोफेशनल लोगों को काम करने का स्मार्ट वर्किंग भी सिखाता है और उनके रोजमर्रा के काम में काफी उपयोगी भी है।
👉👉अब मूल मुद्दे पर आते है फेक न्यूज व मैसेज— तो ये भला चलाता कौन है—क्या व्हाट्सअप—-? नहीं—ये चलाते है हम और आप—-यानी एक व्हाट्सअपिया—–!!😌 किसी एक ग्रुप पर एक मैसेज आया नहीं कि उसे बिना जाने, बिना उसे विवेक की कसौटी पर कसे, बिना उसकी सत्यता जाने हम उसे ‘फारवर्ड’ करने लगते है। पूरा अंधों के माफिक, एक ने पकड़ा, दूसरे को दिया, तीसरे ने उसे चौथे को दिया और फैलता जाता है भ्रम व असत्यता का जाल—_*गोयाकि बनानेवाले ने चिराग घर रोशन करने के लिए दिया था और हम चिराग से जहां में आग लगाने लगे—-*_ 💁♂बेचारा व्हाट्सअप क्या करेंगा—मेंबर ही उसे यूज करने के लायक नहीं है तो—नहीं तो चार इंच के मोबाईल पर उपलब्ध यह टेक्नॉलाजी आज के दौर में बेजोड़ है जिसके बदौलत आप अपने से सूदूर बैठे रिश्तेदारों, दोस्त-यारों से लेकर परिचितों तक से संवाद बनाए रख सकते है… उनके सुख-दर्द जान सकते है जन्मदिन सेलीब्रेट कर सकते है यहां तक कि दम तोड रहे डाकघरों की बदौलत महीनों-पंद्रह दिन में पहुंचनेवाले चिट्ठी पत्री या शोक संदेश को महज कुछ क्षणों में ही संबंधित पहुंचा सकते है। यह आॅडियों-वीडियो में भी हो सकता है और फोटो में भी— लेकिन टेक्नालॉजी का इस्तेमाल करने का तरीका नहीं आने और खुद का विवेक नहीं चलाने से जन्म हो रहा है फेक न्यूज का…। अब बेचारा व्हाट्सअप क्या कर लें वह करोड़ों लोगों को पढ़ाने लिखाने या समझाने से तो रहा—हालांकि वह निरंतर प्रयास कर रहा है और अभी इनमें अभी काफी सुधार की जरूरत है लेकिन मेरा मानना है कि फेक न्यूज के लिए पूरी तरह से व्हाट्सअप यूजर ही जिम्मेदार है, न कि व्हाट्सअप और न किसी ग्रुप का एडमिन—🤔 व्हाट्सअप का जन्म किसी का नुकसान नहीं करने के लिए हुआ होगा नहीं तो हम हर दिन ‘गुड मार्निंग’ का मैसेज नहीं देखते और ग्रुप एडमिन—-उसे तो यह भी नहीं मालूम होता है कि अगले पल कोई मेंबर क्या मैसेज ग्रुप पर पोस्ट करनेवाला है। वह तो सद्भाव से हर मेंबर को जोड़े रखता है और उनसे अच्छे ही पोस्ट की उम्मीद करता है ताकि उस पर कोई अड़चन नहीं आएं। 💁♂यदि कहीं गड़बड़ हो रही है तो वह है लिंक ग्रुप पर— यानी ऐसे ग्रुप जो लिंक पर चलते है एक लिंक फेंको और अंजान लोंगों को भी उसमें जुड़ने का रास्ता खोल दो, ये जरूर व्हाट्सअप वालों की भूल है कि ऐसे ग्रुप न केवल अश्लील होते है बल्कि इतनी ज्यादा संख्या में एडमिन होते है कि जिम्मेदारी तय करने में पुलिस के माथे पर भी बल पड़ जाएं। सवाल यह भी उठता है कि कोई न्यूज सही है या फेक…? इसे व्हाटसअप कैसे तय करेंगा क्योंकि व्हाट्सअप के कोई गली-चौराहों पर सेंटर तो है नहीं, और न व्हाट्सअप को विज्ञापनों से ही कोई आय होती है।
मॉब लिचिंग की घटनाएं यदा-कदा ही होती है वहां भी भीड़ रहती है यानी कि अनियंत्रित लोगों का झुँड— जो कम से कम व्हाट्सअप तो नहीं पढ़ या देख रहा होता है। ऐसे में सरकार का व्हाट्सअप पर बार-बार दवाब क्या सोशल मीडिया की अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने का प्रयास तो नहीं है? यह सवाल जरूर मन में उमड़-घुमड़ रहा है। 😌 यदि कहीं कुछ गलत हो रहा है तो उसके लिए कानून है, प्रशासन है और निरंतर कार्रवाई हो ही रही है, पूरे देश में साईबर एक्ट लागू है अपराध रोकने के लिए पूरा का पूरा सिस्टम है फिर व्हाट्सअप पर यह निशाना क्यों—?? वैसे ही चुनाव आ रहे है जिसमें सोशल मीडिया का जमकर उपयोग होगा, शायद सरकार इसी से डरी हुई है और व्हाट्सअप को ही विपक्ष से बड़ा दुश्मन मान रही है।
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