*इंदौर:-संजू बाबा*
शहर में संचालित उचित मूल्य दुकानों पर प्रत्येक माह केरोसिन का आवंटन होता है। खाद्य विभाग ने इसका वितरण बंद कर रखा है, जिससे यह उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा। कंट्रोल संचालक होटलों, रिक्शा चालकों, ढाबों को महंगे दामों में बेचकर कालाबाजारी करते हैं। उपभोक्ताओं की शिकायत के बावजूद अधिकारी मौन हैं।
जिले में 200 से अधिक उचित मूल्य दुकानें हैं। इन दुकानों पर ग्राहकों की संख्या के मान से केरोसिन का आवंटन किया जाता है। जबकि, खाद्य विभाग ने बीपीएल व एपीएल उपभोक्ताओं को केरोसिन देना पूरी तरह बंद कर दिया है। खाद्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले छह माह से उपभोक्ताओं को केरोसिन नहीं दे रहे हैं। कंट्रोल दुकानों व ठेले वालों को इसका आवंटन नियमित हो रहा है। बाजार में खुले में नीला व सफेद केरोसिन बड़े पैमाने पर बिक रहा है। इसकी कीमत 45 से 50 रुपए प्रति लीटर रखी गई है। आश्चर्य की बात है कि कंट्रोल को मिलने वाला केरोसिन इन बाजारों में कैसे पहुंच रहा है। जबकि, शहर में कई गरीब तबके के लोग केरोसिन को लेकर परेशान रहते हैं। बाजारों में रिक्शा चालकों व परिचितों को आसानी से बेच देते हैं।
बाजार में कहां-कहां केरोसिन की खुले में बिक्री हो रही है, इसकी जानकारी क्षेत्रीय थाना के बीट प्रभारी के साथ खाद्य विभाग के इंस्पेक्टर को भी होती है, मगर दोनों कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं करते। उपभोक्ताओं का आरोप हैं कि केरोसिन की कालाबाजारी करने वालों से पुलिस जवान व अधिकारी की सांठगांठ रहती है।
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