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समरस समाज ही भारत का मूल आधार है- ईश्वर हिंदुजा

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*इन्दौर:-बाबा*
प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सामाजिक समरसता अहिल्या नगर व डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति के संयुक्त तत्वाधान में वीर गोगादेव चौहान के पवित्र निशान (छड़ )पूजन का कार्यक्रम समिति के कार्यालय 76, रामबाग पर संपन्न हुआ | इस अवसर पर बड़ी संख्या में विभिन्न जातियों के जाति प्रमुख व समाज जन उपस्थित रहे| डॉ हेडगेवार स्मारक समिति के अध्यक्ष श्री ईश्वरदास जी हिंदुजा ने बताया की वर्त्तमान में समरसता समाज की अनिवार्य आवश्यकता है क्योकिं वर्त्तमान में देश विरोधी शक्तियां जातिभेद व वर्ग संघर्ष को बढ़ाने में लगी है. उनके द्वारा फैलाये जा रहे षाड्यंत्रिक जातिभेद व वर्ग संघर्ष के कारण राष्ट्रिय एकात्मता पर संकट है जो की राष्ट्र के विकास में बहुत बड़ी बाधा है. समरस व भेदभाव रहित समाज राष्ट्र की  शक्ति है जो की प्राचीन समय से ही चली आ रही है.वीर गोगादेव चौहान समरसता के साक्षात् प्रतीक थे. रामदुलैती सफाई कर्मचारी के पुत्र सेनापति वीर रतनसिंह, लूनादासी के पुत्र भज्जू कोतवाल, पंडितानी के पुत्र नरसिंह पाण्डेय, लीली घोड़ी के पुत्र नीला घोड़े तथा ददरेवा की महारानी बाछल देवी के पुत्र वीर गोगादेव चौहान सभी का जन्म एक ही समय श्री गुरु गोरखनाथ के गूगल प्रसाद से हुआ था | गुरु गोरखनाथ जी के द्वारा दिया गया गूगल प्रसाद महारानी बाछल देवी को बारह वर्ष की घोर तपस्या के बाद प्राप्त हुआ था, वह उन्होंने उस प्रसाद केवल स्वयं न ग्रहण करते हुए अन्य बांझ स्त्रियों को बिना जातीगत भेदभाव किये दिया. इसी प्रकार उनके पुत्र वीर गोगादेव चौहान भी बचपन से ही सामाजिक कुरीतियों जैसे छुआ छूत, जातिवाद और वर्ण व्यवस्था के घोर विरोधी थे अतः वे अपने चारों भाईयों को बिना किसी भेदभाव के सदा आपने हर कार्य में आगे रखा करते थे | जिस समय युद्ध में सेनापति रतनसिंग जी, भज्जू कोतवाल जी व नरसिंह पाण्डेय जी मुगलों के साथ लड़ते हुए वीरगती को प्राप्त हुए, तब उनकी वीर रतनसिंह की माँ बहुत विलाप पर कर रही थी. उनकी करुना विलाप को सुनकर सभी को सांत्वना देते हुए वीर गोगादेव जी ने एक पवित्र छड प्रदान की और कहा की इसमें हम पांचो का वास सदा रहेगा. ग्यारवी शताब्दी में जब श्यामजी चावरिये ने उस छड का पूजन किये तब पांचो वीर वहां उपस्थित हो गए. उसी के प्रतीक रूप में यह छड पूजी जातिहै. महापुरुष किसी के समाज के नहीं होते वे सदा ही अपने कर्मों से सबके हो जाते हैं. सभी महापुरुष पुरे राष्ट्र का विचार करके चलते हैं इसलिए सभी समाज उन्हें पूजता है. समरसता के लिए यह भाव आवश्यक है की हम सभी भारत माता की पुत्र हिन्दू है इसलिए सभी महापुरुष हमारे लिए पूज्य है. इसी भाव को जागृत करने के लिए आज का यह कार्यक्रम है| सागर चौकसे विभाग प्रचार प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इंदौर

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