डीएनयु टाईम्स (दीपक सेन , देपालपुर)
समर्थन मूल्य गेहूं खरीदी का समय मात्र 3 दिन बचा हजारों बड़े किसान अब भीमैसेज के इंतजार में
समर्थन मूल्य गेहूं खरीदी का समय मात्र 3 दिन रह गया वहीं अब तक बड़े किसानों को मैसेज का इंतजार करना पढ़ रहा है पर उन्हें खरीदी से 1 महीने बाद तक भी अब तक मैसेज नहीं आना उन किसानों की चिंता बढ़ गई है ज्यादातर खरीदी केंद्रों पर किसानों को अव्यवस्थाओं का सामना अब तक करना पड़ रहा है कभी बारदानों की कमी कभी सिलाई मशीन में दिक्कत कहीं कांटे खराब होने की समस्याएं आए दिन आ रही है किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या लंबी लाइनों में रात और दिन रहना पड़ रहा है उन किसानों के वाहन मैसेज आने के 5 दिन तक भी नहीं तुलना कहीं ना कहीं सरकार की बड़ी लापरवाही के साथ नाकामी साबित हो रही है
वही किसान छोटु यादव निवासी गांव कछालिया तहसील सांवेर के किसान का 500 क्विंटल का पंजीयन है पर अब ना तो उन्हें मैसेज तुलाई का आया है ना ही उन्हें अधिकारियों द्वारा संतुष्ट जवाब दिया जा रहा है किसान का कहना है कि घर ही गेहूं खराब ना हो जाए सरकार को गेहूं खरीद की तारीख आगे बढ़ाना चाहिए
नैनोद गांव के किसान गोकुल पटेल ने बताया कि मेरा पंजीयन 500 कुंटल का है पर अब तक एक दाना भी सोसाइटी में नहीं खरीदा गया और ना ही बेचा है मैसेज के इंतजार में घर पर ही गेहूं लेकर बैठे हैं अब यही चिंता सता रही है कि आने वाली सोयाबीन की खरीफ फसल की तैयारी कैसे की जाएगी जब अब तक गेहूं ही नहीं खरीदे गए
देपालपुर तहसील के गांव छोटी कलमेर के किसान मनीष पिता भुगवान सिंह मौर्य ने अपनी माताजी के नाम पर 1000 क्विंटल का पंजीयन है पर अब तक मैसेज नहीं आने से किसान को अगली फसल की तैयारी करने में खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही है किसान का कहना है कि खरीदी तारीख आगे बढ़ाई जानी चाहिए जिससे सभी किसानों के गेहूं तुल सके
वही धतुरिया गांव के किसान कपिल दिनेश पटेल का कहना है कि 350 क्विंटल का पंजीयन है पर अब तक मैसेज नहीं आया है
किसान का आरोप है कि अन्य किसानों को मैसेज आ रहे पर बड़े किसानों को मैसेज नहीं भेजा जा रहा है
भारतीय किसान मजदूर सेना के प्रदेश अध्यक्ष बबलू जाधव ने बताया कि सरकार ने नियम बनाए थे कि 15 से 20 छोटे किसान व साथ ही 5 बड़े किसानों को रोजाना मैसेज के माध्यम से खरीदी केंद्र पर बुलाया जाएगा अधिकारियों ने इन नियमों को ताक पर रखा वहीं उन्होंने बताया कि जिन वेयरहाउसों पर बड़े कांटे स्थापित थे वहां पर बड़े कांटे से किसानों की उपज की तुलाई क्यों नहीं की गई वहीं 15 से 20 दिन तक किसानों को खाते में पैसे नहीं पहुंचना ,बारदानों की कमी, परिवहन ना होना ,सिलाई मशीन और तोल कांटे खराब होना ,वहीं लंबी लाइनों में किसानों को भरी दोपहरी में अपनी फसल बेचने का इंतजार करना पड़ रहा जहां खाने पीने की व्यवस्था नहीं बैठने की जगह नहीं इन सब व्यवस्थाओं के लिए कौन जिम्मेदार है यह कौन सी नीतियां चला रही है सरकार किसानों के पिछले साल के ₹500 भावंतर राशि के और ₹160 गेहूं खरीदी बोनस के क्यों नहीं डाल रही है सरकारें किसानों के खातों किसान को यह रुपए अब भी समय पर मिल जाते हैं तो अगली फसल की तैयारी किसान कर पाएंगे