*सहायक प्राध्यापको की भर्ती पर लगी रोक हटी, जल्द नियुक्ति मिलने का रास्ता हुआ साफ*
*शासन, प्रशासन को अब चाहिए कि उच्चशिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए इन 2536 को जल्द दे नियुक्ति पत्र*
*संजय बाबा यादव*
म.प्र.पीएससी द्वारा चयनित सहायक प्राध्यापको के विविध विषयों के पदों पर लगी रोक को उच्च न्यायालय जबलपुर ने हटा ली है बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस विजय शंकर झा और विजय कुमार की बेंच ने संयुक्त रूप से सुनवाई की उन्होने अपने आदेश में कहा कि जो आरक्षित वर्ग की महिलाएँ अनारक्षित महिला के पदों पर चयनित सूचि मे है केवल कुछ पदों को रोककर बाकी सभी करीब 2500 पदो पर को नियुक्ति देने में शासन स्वतंत्र है। इस बहस में शासन, पीएससी और पीएससी चयनित सहायक प्राध्यापक संघ की ओर से हिमान्शु मिश्रा, प्रशान्त सिंह, अंशुल तिवारी और आकाश चौधरी ने पैरवी की। विदित हो कि
WP 19630/2019 मे इन्होनें बताया की अंजू शुक्ला विरुद्ध मप्र राज्य के केस में माननीय हाईकोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर चयन प्रक्रिया में हॉरिजोंटल महिला आरक्षण के अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग एवं लोकसेवा आयोग को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब माँगा है और केवल केमिस्ट्री विषय की चयन सूची में आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के अनारक्षित महिला वर्ग में चयन पर अगली सुनवाई तक स्टे दिया है. साथ ही चयनित अभ्यर्थियों को एक बड़ी राहत देते हुए अपने अंतरिम आदेश में यह स्पष्ट किया है कि उक्त स्टे का प्रभाव केवल इसी विस्तार तक रहेगा कि आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों का समायोजन अनारक्षित महिला पदों पर हुआ है फिलहाल केवल इन कुछ नियुक्तियों पर रोक रहेगी. माननीय न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि सबंधित प्राधिकारी अर्थात उच्च शिक्षा विभाग चयन सूची के शेष भाग पर आगे नियुक्तियां कर सकते हैं.
असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयनित 2536 अधिक अभ्यर्थियों के लिए यह एक बड़ी राहत है और सरकार को इन नियुक्तियों की दिशा में आगे बढ़ने की उच्च न्यायालय की चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच से हरी झंडी मिल गयी है और शीघ्र नियुक्ति के लिए शासन के पाले में गेन्द डाल दी है।