*इंदौर:-बाबा*
इंदौर हाईकोर्ट में राज्य सरकार के खिलाफ करीब 3718 केस पेंडिंग हैं। इन केसों के निपटारे के लिए शीघ्र ही इन्हें नई मुकदमा नीति में शामिल किया जाएगा। नीति को मूल स्वरूप देने का काम तेजी से जारी है। खंडपीठ में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने सबसे ज्यादा याचिका एवं अपील लगाई है।
शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों ने राज्य सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में 26 हजार 275 याचिकाएं दायर कर रखी है, जबकि अवमानना सहित सरकार द्वारा हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किए जाने, प्रमोशन नहीं मिलने, क्रमोन्नति आदि का लाभ नहीं दिए जाने से जुड़े मामले शामिल हैं। ये सभी मामले मुकदमा नीति में शामिल किए गए हैं। इसके लिए जिला स्तर व विभाग स्तर पर समितियां गठित करने के निर्देश दिए हैं। सरकार के निर्णय के खिलाफ अधिकारी, कर्मचारी राहत लेने अथवा पदोन्नति में भेदभाव किए जाने सहित अन्य मुद्दों पर सरकार को पार्टी बनाया गया है। कहीं प्रमोशन में भेदभाव तो कहीं नियमितिकरण में किसी को लाभ मिला और किसी को नहीं। कहीं संविदा को लेकर कर्मचारी कोर्ट में खड़े हुए हैं तो कुछ रिटायरमेंट के बाद प्रमोशन पाने की जुगत में भिड़े हुए हैं। ऐसे प्रकरणों में सरकार को बार-बार अवमानना न सहनी पड़े, इसके लिए मप्र राज्य मुकदमा नीति लागू की गई है, जिसके तहत बार-बार कोर्ट जाने वाले कर्मचारियों पर रोक लग सकेगी।
जबलपुर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ऑफ जनरल मोहम्मद फाइम अनवर ने राज्य सरकार को एक पत्र लिखते हुए कहा कि (मेजर पार्ट टू लेटीगेशन स्टेट गवर्नमेंट) यानि, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने सबसे ज्यादा याचिका एवं अपील लगाई है। इसका निराकरण करने लेटीगेशन पालिसी में प्रावधान किया जाना चाहिए, जिससे इन प्रकरणों का निराकरण हो सके।
पिछले पांच सालों में जबलपुर हाईकोर्ट सहित इंदौर व ग्वालियर में दायर किए गए प्रकरणों की संख्या कम नहीं है। वर्ष 2014 में 6808, 2015 में 6960, 2016 में 8065 तथा 2017 में 14002, इस वर्ष 3 हजार 203 मामले अपील और याचिका आदि में लंबित हैं। जबलपुर में 26683, ग्वालियर में 8637 तथा इंदौर में 3718 मामले पेंडिंग हैं।
संख्या बढ़ने का कारण
हार्ईकोर्ट में दायर अपील व याचिका की संख्या बढऩे के पीछे मुख्य वजह भी अलग-अलग है। प्रदेश में 39 हजार से ज्यादा मामले पेंडिंग होने की वजह से लगता नहीं है कि इनका निराकरण जल्द हो सकेगा। अपील, याचिका और अवमानना जैसे प्रकरणों की संख्या ज्यादा है। अकेले हाईकोर्ट जबलपुर में 17 हजार 354 याचिका और अपील है। इंदौर खंडपीठ में 2 हजार 389, ग्वालियर में 6 हजार 532 है,इस प्रकार कुल 26 हजार 275 प्रकरण चल रहे हैं।
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