★ *फरियादियों को नहीं काटने होंगें कार्यालयों के चक्कर, त्वरित मदद पहुंचाने के उद्देश्य से इंदौर पुलिस ने किया पूर्व व पश्चिम क्षेत्र में सायबर सेल का गठन।*
★ *सम्पूर्ण जिले में अनुभाग स्तर पर संभव होगी सायबर अपराधों की जांच व विवेचना।*
*बाबा यादव*
इंदौर पुलिस द्वारा बढ़ते हुये सायबर अपराधों एवं ऑनलाईन ठगी की वारदातों की रोकथाम करने तथा इनसे संबंधित अपराधों की विवेचना हेतु पुलिस अधीक्षक पूर्व तथा पष्चिम क्षेत्र में पृथक पृथक सायबर सेल को गठित किये जाने का निर्णय लिया गया है जिससे पीड़ितों को त्वरित सहायता पहुंचाने के साथ, संबंधित अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी के क्षेत्राधिकार में ही सायबर संबंधी अपराधों की विवेचना की जा सके इस हेतु वर्तमान में क्राईम ब्रांच इंदौर नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है जिसके पास रोजाना बढ़ते हुये सायबर अपराधों तथा ठगी की वारदातों से काम का बोझ अत्यधिक हो गया है। इस प्रक्रिया के बाद नई सायबर सेल सृजित होने से सायबर संबंधी अपराधों/ऑनलाईन ठगी की वारदातों की जांच तथा विवेचना पूर्व तथा पश्चिम क्षेत्र के अपुअ स्तर के अधिकारी के क्षेत्राधिकार से संभव हो सकेगी, तथा क्राईम ब्रांच क्षेत्रीय पुलिस अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर, व्यापक स्तर पर ठगी करने वाली अंतर्राज्यीय गिरोहों की धरपकड़ करेगी।
पुलिस अधीक्षक मुख्यालय श्री सूरज कुमार वर्मा के निर्देशों के अनुरूप, क्राईम ब्रांच इंदौर द्वारा वर्तमान परिवेश में बदलते हुये सायबर अपराधों के स्वरूप, सायबर अपराधों के प्रकार, शिकायतों की जांच/विवेचना, तथा इनसे संबंधित न्यायालयीन कार्यवाही हेतु संकलित किये जाने वाले साक्ष्य तथा अन्य आवश्यक तथ्यों के संबंध में आरक्षक से लेकर उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षित किये जाने हेतु कार्यशाला का आयोजन आज दिनांक 23.11.2019 को दिन शनिवार को पुलिस कण्ट्रोल रूम सभागार जिला इंदौर में किया गया। उपरोक्त प्रशिक्षण शाला का शुभारंभ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्रीमति रूचि वर्धन मिश्र (शहर) इंदौर, की गारिमामयी उपस्थिति में हुआ।
आधुनिक युग में सायबर अपराध जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म- फेसबुक, ट्विट्र, व्हाट्सऐप, यूट्यूब, स्काईप, ईमेल से संबंधित समस्त प्रकार के अपराध, आनलाईन फ्रॉड, पोर्नाेग्राफी, आदि का ग्राफ दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है जिससे निपटना पुलिस के लिये एक बड़ी चुनौती है इसी को ध्यान में रखते हुये इंदौर पुलिस के अधिकारियों के लिये सायबर अपराधों के संबंध में प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला को आयोजित किया गया।
इसमें प्रशिक्षणार्थियों को अपुअ अपराध श्री अमरेन्द्र सिंह द्वारा सायबर अपराध, सायबर अपराधों के प्रकार, सायबर अपराधों की विवेचना, विवेचना के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां, आई टी एक्ट तथा भादवि की धाराओं का विविधता के साथ उपयोग, अपराधों के दण्ड तथा न्यायालयीन कार्यवाही के संबंध में प्रशिक्षित किया गया। इसी प्रकार उपुअ अपराध श्री आलोक शर्मा द्वारा Digital Evidence collection के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई जिसमें घटना स्थल से लेकर अपराधी को सजा दिलाने तक क्या क्या आवश्यक कार्यवाहियां विवेचना के दौरान की जाती है? DIGITAL साक्ष्य संकलन के साथ न्यायालय में साक्ष्य प्रस्तुत करते समय ध्यान देने योग्य कौन से तथ्य होते हैं इस संबंध में उपुअ अपराध द्वारा विस्तृत जानकारी साझा की गई कार्यशाला के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्रीमति रूचि वर्धन मिश्र (शहर) इंदौर, द्वारा प्रशिक्षणार्थियों सायबर अपराधों के अनुसंधान हेतु महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई तथा निर्देशित किया गया कि हर किसी अनुसंधानकर्ता अधिकारी को बदलते हुये परिवेश के साथ स्वयं को कौशल तथा तकनीक के अधार पर अद्यतन सामयिक बनना होगा तभी वह कुशल अधिकारी साबित हो सकेंगें इस हेतु उन्होंनें उप पुलिस अधीक्षकों को अपने अपने अनुभाग में तकनीकी रूप से दक्ष अधिकारियों को नामांकित कर उन्हें सायबर अपराधों की जांच तथा विवेचना हेतु कार्य दिये जाने के लिये जोर दिया जोकि अनुभाग स्तर पर ही सायबर अपराधों तथा आनलाईन फ्रॉड, के प्रकरणों पर कार्यवाही करेंगें तथा जिन्हें समय समय पर क्राईम ब्रांच इंदौर द्वारा प्रशिक्षित किया जाता रहेगा।
क्राईम ब्रान्च में पदस्थ उपनिरीक्षक श्रद्धा यादव द्वारा सोशल साईट्स के माध्यम से घटित होने वाले विभन्न अपराधों, पीएसटीएन/टॉवर डम्प, सीडीआर, एनालिसिस, जीपीआरएस, सीडीआर, आईपीडीआर आदि के संबंध में प्रशिक्षित किया गया साथ ही ऐसे अपराधों की जांच एवं विवेचना के दौरान की जाने वाली आवश्यक कार्यवाहियों से भी अवगत कराया गया।
उपनिरीक्षक मोनिका गरवाल तथा उप निरीक्षक प्रतिभा तोमर द्वारा ओटीपी फ्रॉड, विभिन्न प्रकार से होने वाले आनलाईन फ्रॉड जैसे मेट्रोमानियल बेवसाईट्स, लॉटरी के नाम पर फ्रॉड, टॉवर लगवाने के नाम पर फ्रॉड, ओएलएक्स पर खरीददारी के साथ ही कमर्शियल बेवसाईट्स के माध्यम से होने वाले फ्रॉड, विभन्न ऑनलाईन ट्रांजेक्शन वैलेट्स आदि के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई साथ ही ई बैंकिग तथा प्लास्टिक कार्ड के माध्यम से होने वाले फ्रॉड्स की जांच हेतु समुचित बिंदुओं पर चर्चा की गई जिसमें ठगी गई राशि को वापस कराये जाने के अलावा दोषियों की पहचान सुचिष्चित करना, तथा इनसे संबंधित अपराधों की जांच एवं विवेचना के दौरान की जाने वाली कार्यवाहियों के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया।
क्राईम ब्रांच ने एडवांस प्रशिक्षण के तौर पर, डार्कनेट तथा डार्क बेव के संबंध में भी प्रशिक्षणार्थियों के साथ जानकारी साझा की जिसमें आभासी दुनियाँ में हो रहे अपराधों जैसे क्रिप्टो कंरंसी, आनलाईन गेमिंग आदि के संबंध में जागरूक किया गया।
क्राईम ब्रांच द्वारा पूर्व में भी सायबर अपराधों पर नियंत्रण पाने तथा जागरूकता के अभाव में इस प्रकार की घटनाओं का शिकार हो रहे लोगों को अभियान चलाकर, जागरूक किये जाने के लिये सेमीनार आयोजित कर, जागरूकता अभियान चलाया गया था जिसका उद्देश्य सायबर अपराधों के बढ़ते हुये ग्राफ पर अंकुश लगाना तथा दोषियों पर वैधानिक कार्यवाही करना है।