*इंदौर:-बाबा यादव*
प्रखर लेखक एवं पत्रकार कल्पेश याग्निक एक ऐसे पत्रकार थे, जिन्होंने पत्रकारिता में नए-नए प्रयोग किए और पत्रकारिता ही उनका सबसे बड़ा पेशन रहा। उनका हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में समान अधिकार था। वे ऐसे विरले पत्रकार थे जो डूबकर काम करते थे। अपने विचारों के प्रति हमेशा अडिग रहने वाले कल्पेश जी का असमय चले जाना भाषाई पत्रकारिता में एक ऐसा शून्य है, जिसे भर पाना असंभव है। यह विचार विभिन्न प्रबुद्धजनों के हैं जो उन्होंने इंदौर प्रेस क्लब में ‘कल्पेश जी की याद में…’ मंगलवार को आयोजित आदरांजलि सभा में रुंधे मन से व्यक्त किए।
सभा संचालन करते हुए इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंत तिवारी ने कहा कि कल्पेश जी हमारे मार्गदर्शक थे। उन्होंने पत्रकारिता को एक नई ऊंचाई दी। उन्होंने पत्रकारों की एक पीढ़ी तैयार की। 24 में से 18 घंटे अपने प्रोफेशन में रमें रहने वाले कल्पेश जी हमारे बीच से कभी नहीं जाएंगे, उनके शब्द हमारे दिमाग में हमेशा गूंजते रहेंगे और उन्होंने जो लिखा है, वह पत्रकारिता के इतिहास में हमेशा अमिट रहेगा।
वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने कहा कि मेरी उनके साथ बहुत सारी स्मृतियां जुड़ी हुई हैं और हम दोनों ने साथ में काम किया है। कल्पेश जी की ईमानदार राजनीति के प्रति गहरी आस्था थी। वे हमेशा पत्रकारिता में रमे रहते थे। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विषय पर उनका लेखन सशक्त रहा। आज देश में हिन्दी के संपादक कम होते जा रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार शशीन्द्र जलधारी ने कहा कि कल्पेश जी अंग्रेजी के सबसे बड़े डिवेटर थे। उनकी लेखनी में जिद, जज्बा और जोश का अद््भुत संदेश रहता था। वे दबंग और जीवंत पत्रकार थे। उन्होंने पत्रकारिता में बहुत सारे नए प्रयोग किए, जिसके लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे। कल्पेश जी का जाना पत्रकारिता के लिए के लिए गहरा आघात है। इस मौके पर श्री जलधारी ने अपनी स्वरचित कविता के माध्यम से कल्पेश जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। वरिष्ठ पत्रकार जीवन साहू ने कहा कि कल्पेश जी राजेंद्र माथुर परम्परा के पत्रकार थे। वे धर्म, संस्कृति, साहित्य, राजनीति आदि विषयों पर प्रखर लेखन करते थे। हिंदी में लिखने वाला ऐसे अद्भुत पत्रकार कम ही हैं। कल्पेश जी का अवसान असंभव के विरुद्ध हार है।
वरिष्ठ पत्रकार हेमन्त शर्मा ने कहा कि कल्पेश जी का जाना हिंदी और अंग्रेजी पत्रकारिता के लिए अपूरणीय क्षति है। वे विलक्षण पत्रकार थे, अंग्रेजी पत्रकारिता भी उनकी लेखनी का लोहा मानती थी। उनमें अंतर्राष्ट्रीय विजन गजब का था। उनके पास हर विषय की गहरी जानकारी थी। वे अंतिम समय में भगवद गीता के श्लोकों पर नई व्याख्याओं के साथ किताब लिखना चाहते थे।
भाजपा के वरिष्ठ नेता गोविंद मालू ने कहा कि वे ऐसे पत्रकार थे, जो राजनीति से चलकर पत्रकारिता में आए थे, लेकिन फिर कभी उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने भाषाई पत्रकारिता में डूबकर काम किया। ऐसे खोजी और बिरले पत्रकार बहुत कम होते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र तिवारी ने कहा कि कल्पेश जी ऐसे पत्रकार थे जो ठान लेते उसे करके ही छोड़ते थे। पत्रकारिता ही उनका शौक था। वे मजबूत इरादे वाले व्यक्ति थे। वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा ने कहा कि पत्रकारिता में कल्पेश जी के अवदान को कभी भुलाया नहीं जाएगा। वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिंदुस्तानी ने कहा कि अपने काम के प्रति कल्पेश जी सदैव समर्पित रहते थे।
अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता ने कहा कि कल्पेश जी की लेखनी धारदार थी। मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति के हरिराम वाजपेयी ने कहा कि कल्पेश जी का जाना हिंदी पत्रकारिता के साथ ही साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग सहसम्पर्क प्रमुख विनय पिंगले ने कहा कि कल्पेश जी बेबाकी पत्रकारिता के सशक्त हस्ताक्षर थे और अपनी बात निर्भीकता के साथ कहते थे। एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष आलोक दवे ने कहा कि कल्पेश जी का जाना पत्रकारिता के लिए एक गहरा आघात है।
वरिष्ठ पत्रकार जयश्री पिंगले ने कहा कि कल्पेश जी नया रिपोटर्स को धारदार खबरे लिखने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते रहे। उन्हें अपने अधिनस्थों से बेहतर काम कराना आता था। वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण शर्मा ने कहा कि कल्पेश जी एक सफल संपादक थे। भाजपा के राजेश अग्रवाल ने कहा कि खबरों को लेकर उनका गहरा अध्ययन था और उनके सोच भी गहरी थी। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने फोन पर अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कल्पेश जी का असमय जाना हिंदी पत्रकारिता के लिए सबसे बड़ी क्षति है। वे राहुल बारपुते और राजेंद्र माथुर की परम्परा के पत्रकार थे।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश चौकसे ने कहा कि कल्पेश जी अपने बात को बेबाकी के साथ रखते थे और अपनी बात को मनवाने में सिद्धहस्त थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांच प्रचारक डॉ. प्रवीण काबरा ने कहा कि कल्पेश जी कुशल छात्र नेता थे और साथ ही अध्ययनशील पत्रकार और असहमति उनकी प्रमुख विशेषता थी।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा ने कहा कि कल्पेश जी ऐसे जुनूनी व हठीले व्यक्ति थे, जिनका अक्श उनकी छात्र राजनीति और पत्रकारिता में हमेशा देखने को मिला। कल्पेश जी कबीरपंथी और निर्गुण परम्परा के एक ऐसे पत्रकार थे, जो सापेक्ष नहीं लिखते थे, उनके लेखन में रोचकता भले कम हो, लेकिन उसमें प्रखरता अधिक होती थी। कल्पेश जी का असमय जाना पत्रकारिता के लिए एक विराट शून्य है।
इंदौर प्रेस क्लब महासचिव नवनीत शुक्ला ने कहा कि कल्पेश जी ने कभी अपशब्द नहीं कहे और न कभी गलत भाषा का इस्तेमाल किया। वे चिंतन करते थे और उनका अवसान पत्रकारिता जगत को गले नहीं उतर रहा है।
कार्यक्रम में इंदौर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष कृष्णकुमार अष्ठाना, रमण रावल, प्रेस क्लब उपाध्यक्ष संजय जोशी, ख्यात कार्टूनिस्ट इस्माइल लहरी, अन्ना दुराई, दीपक शिन्दे, सुनील जोशी, आनंद देशमुख, प्रबंधकारिणी सदस्य प्रदीप जोशी, संजय त्रिपाठी, विजय गुंजाल, अजय भट्ट, म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ के आलोक शर्मा, शैलेश पाठक, अमित त्रिवेदी, मनोहर लिम्बोदिया, आर.के. जैन, नरेश तिवारी, प्रवीण जोशी, विजय अड़ीचवाल, प्रदीप मिश्रा, सुधीर पंडित, निरंजन वर्मा, शार्दुल राठौर, मार्टिन पिंटो, कांग्रेस नेता अनिल यादव, विक्की खन्ना, रवि विजयवर्गीय, शैलेन्द्र डरडा, मनोज शुक्ला, अशफाक भाई, राजा बजाज सहित कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि व मीडियाकर्मी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में सभी ने मौन रखकर पुष्पांजलि अर्पित की।
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