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भविष्य की आस ……वर्तमान में दुर्दशा का शिकार . बिना किसी ठोस योजना के तोड़ डाला सरवटे बस स्टैंड, परेशानी बढ़ी

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*इन्दौर:-बाबा यादव*
शहर के मध्य 43 साल पहले विशेष तकनीक से बनाए गए सरवटे बस स्टैंड को आनन फानन में तोड तो दिया मगर जो अस्थाई बस स्टैंड के माध्यम से यात्रियों को सुविधाए दी जानी थी उसका कहीं अता पता नहीं है। बस स्टैंड का निर्माण कब शुरू होगा कब खत्म होगा इसकी कोई डिजाइन है यही किसी को नहीं पता है। निगम के बस स्टैंड तोड तो दिया मगर यहां से संचालित होने वाले वाहनों को गढडेदार परिसर या चूरी गिटटी के ठेर से होकर गुजरना होता है। यहीं नही बारिश के कारण यात्रियों को कीचड़ या गददे पानी से होकर गुजरना पड़ता है।
रेलवे स्टेशन के कुछ ही दूरी पर सड़क परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पूर्व मंत्री सुरेश सेठ की पहल पर बनाए गए सरवटे बस स्टैंड को अब अपने अस्तित्व में आने की बाट जोहना पड़ रही है। यह बस स्टैंड आज से 43 साल पहले 1974 में यात्रियों की सुविधा के लिए बनाए गए सरवटे बस स्टैंड को जिस तरह से जर्जर होना बताकर तोड़ा गया है उसके पीछे की कहानी किसी को समझ नहीं आ रही है। यहां पर नया और आधुनिक बस स्टैंड बनाना था तो उसके लिए प्लानिंग होना थी लेकिन ऐसा कहीं नजर नहीं आ रहा है। उल्टा बसों से सफर करने वाले यात्री और बस आॅपरेटरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गडडेदार हो गया है स्टेैड
सरवटे बस स्टैड पर कभी बडे बडे गढडे देखने को नहीं मिले थे मगर यहां तोडफोड होने के बाद बस स्टैंड की यह हालत हो गई है कि सभी दूर बडे बडे गढडे हो गए है जिसे छिपाने के लिए निगम ने चूरी गिटटी के ढेर तो लगा दिए है मगर उसे समतल नहीं किया है। जिसके कारण ना तो यात्री बस स्टैंड परिसर में आ पा रहे है और ना हीं बसों का संचालन परिसर से हो रहा है। बसों के बस स्टैड के बाहर से हीं रवाना करना पड़ रहीं है।
बस स्टैँड निर्माण को लेकर कब क्या हुआ था
इंदौर में सरवटे बस स्टैंड को बनाने के लिए तत्तकालीन सरकार ने 1974 में शहर के मध्य व्यापारिक क्षेत्र बाजार, को देखते हुए प्रयास किए थे और इसके लिए रेशम वाला से जमीन लेकर मध्यप्रदेश परिवहन सेवा निगम के 400 बसों की क्षमता वाला बस स्टैंड बनाने को दिया था। 2008 में सडक परिवहन निगम के परिसमापन के बाद बस स्टैंड निगरानी समिति के अधीन कर दिया गया जिसके अध्यक्ष कलेक्टर होते है। समिति ने बसों के संचालन के लिए बस स्टैंड के रख रखाव हेतु प्रति बस 25-40 रुपए मेनटेंनस के लिए वसूली जाने लगे। इस बस स्टैंड पर रिकार्ड के अनुसार नगर निगम कोई दावा सामने नहीं आया । इधर 26 मई 2018 को एक दिन में पूरी बिल्डिग को धराशाई कर दिया गया।
नगर निगम पर अब यह उठने लगे है सवाल
बस स्टैड की इमारत को तोडने के बाद अब निगम पर तमाम सवाल उठने लगे है क्योकि बस स्टैंड को तोडने के बाद अब कोई जिम्मेदार इन सवालों का जबाव देने को तैयार नहीं है। सरवटे बस स्टैंड की समस्याओं के सामने आने पर यात्रियों और बस आॅपरेटरों के सवाल है कि आखिर बस स्टैंड को बनाना नही थी तो  ताबडतोड क्यो तोड़ा  गया। निगम के पास नऐ बस स्टैंड बनाने की क्या पलानिंग हेै? बस स्टैंड के निर्माण के लिए निगम के पास बजट कितना है? इसके निर्माण के लिए पैसाा कौन देगा? बस स्टैंड के खंडहर होने की क्या तकनीकी रिपोर्ट का सार्वजनिक प्रकाशन हुआ था ,यदि हुआ तो वह कहां है। निगम ने यात्रियों की सुविधा का  ध्यान रख कर पहले शेड  ,लाईट   ,पुछताछ कार्यालय ,  अमानती सामान गृह   ,बिजली-पंखे ,केंटीन सुविधा ,आदि जो पहले करना था को अभी तक बहाल क्यों नहीं की गई।
जनप्रतिनिधियों को विश्वास में नहीं लिया
नगर निगम आयुक्त आशीष सिंह ने 2005 से बस स्टैंड के मेंटनेस नहीं होने के कारण 2008 में कलेक्टर ने छत की मरम्मत के आदेश दिए थे। कलेक्टर के आदेश का पालन तो नहीं हुआ मगर निगम आयुक्त ने बिना किसी कजन प्रतिनिधि से चर्चा किए और उन्हे विश्वास में लिए सरवटे बस स्टेैंड को तोड दिया गया। इस मामले में बस आॅपरटेर एसोसिएशन, निगरानी समिति, जन प्रतिनिधि, सांसद , विधायक और मेयर इन कौसिल को विश्वास  में नहीं लिया गया।
*गोविंद शर्मा , अध्यक्ष बस आॅपरेटर एसोसिएशन*

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