*इंदौर:-बाबा*
सेन्ट्रल जेल के कैदी अब पुराने बरतनों से तौबा करेंगे। उपयोग में आने वाले सभी तरह के बरतनों का निर्माण खुद करेंगे। यहां भोजन के लिए थालियों का निर्माण कार्य तेजी से जारी है। पुराने बरतनों को बाजार में बेचा जाएगा। बेचने से मिलने वाली राशि का उपयोग कैदियों की सुरक्षा पर किया जाएगा। पूर्व में संचालित कारखाने में आवश्यकता से अधिक कैदी होने से मुख्यालय के निर्देश पर नया कारखाना खोला जा रहा है। इसमें कैदियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। लंबे समय से यहां थालियां, ग्लास, कटोरी व अन्य सामान टूटफूट चुके हैं, मजबूरी में कैदियों को उनका उपयोग करना पड़ रहा है। तीन माह पहले जेल आईजी सुधीर शाही के समक्ष निरीक्षण के दौरान यह मामला सामने आया था। इसके बाद प्रशासन से प्रस्ताव मांगा था, उस पर सहमति मिल गई है। अगले माह बरतन निर्माण के लिए नई मशीन खरीदी जाएगी, इसके लिए टैंडर भी बुलाए जा रहे हैं।
जेल में थाली, ग्लास, कटोरी, बाल्टी, लोटा सहित करीब 1 टन से अधिक बरतन भंगार हो चुके हैं। इतनी बड़ी संख्या में भंगार सामान को बाजार में बेचने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। अधिकतर बरतन तांबा व स्टील के होने से उनकी कीमत भी आंकी जा रही है। उधर, कई कैदियों के पास घर से मंगाए सामान भी हैं, जिनका उपयोग करने के बाद उन्हें वापस रख दिया जाता है। कुछ कैदी अपना सामान छूटने के बाद जेल में ही छोड़ जाते हैं।
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