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मैजिक चालकों की मनमानी और जर्जर सिटी बसों से लोग परेशान

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*इंदौर:-बाबा यादव*
शहर में कभी ऑटो रिक्शाओं को लेकर लोगों को शिकायत रहती थी कि वे बेतरतीब तरीके से रिक्शा चलाते हैं। लेकिन, आज वही स्थिति मैजिक वेन चलाने वालों की है। इनमें क्षमता से ज्यादा सवारियों बैठाई जाती है और मैजिक का क्लीनर दरवाजे से बाहर लटकता रहता है। इससे सड़क पर चलने वाले अन्य वाहन प्रभावित होते हैं। सड़क पर चल रहे इस तरह के कई लोक परिवहन वाहन तो पूरी तरह खटारा हो चुके हैं। नगर में चल रही सिटी बसों की हालत भी खस्ता हो गई है।
  शहर में इस समय 220 सिटी बसों का संचालन होता है इनमें आईबस भी शामिल है। पीपीमोड पर संचालित होने वाली इन बसों में से भी अधिकांश बसों की हालात ठीक नहीं है। कहीं बसों के कांच फूटे हैं तो कहीं बसें हवा में लहराती हुई चलती है। यहीं ने सिटी और आई बस ओवर लोड होकर संचालित की जा रही है। आरटीओ का उडन दस्ता और ट्राफिक पुलिस इनके खिलाफ कार्रवाई केवल इसलिए नहीं करती है कि इन बसों के संचालन पर प्रशासन का नियंत्रण है। जब प्रशासन ही ऐसे वाहनों को संचालित करेंगा तो निजी तौर चलने वालें वाहनों पर शिकंजा कसना कठिन होगा।
  सड़क दुर्घटनाओं के पीछे इस तरह के खटारा और खचाखच भरे लोक परिवहन वाहनों का सबसे ज्यादा हाथ होता है। सवारी देखते ही ये गाड़ी मोड़ देते हैं, जिससे पीछे चल रहे वाहन टकरा जाते हैं। इन वाहनों के क्लीनर तो हमेशा ही दरवाजे के बाहर झूलते रहते हैं। मैजिक और इस तरह के अन्य लोक परिवहन वाहनों के पीछे आरटीओ और पुलिस की खुली मदद होती है। यदि खटारा वाहन सड़क पर चल रहे हैं तो इसका स्पष्ट आशय है कि उन्हें आरटीओ से संरक्षण मिल रहा है। अधिकांश लोक परिवहन वाले वाहन नेताओं के संरक्षण में रहते हैं, इसलिए भी पुलिस और आरटीओ उन पर  डालता और अपनी स्वार्थसिद्धि तक सीमित रहता है।
  शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली खटारा टाटा मैजिक पर आरटीओ कार्रवाई क्यों नहीं करता, यह समझ से परे है। इसके अलावा मैजिक और सिटी वेन को लेकर ये चालक कहीं भी खड़े होकर सवारियां बैठाने, उतारने लगते है। लेकिन, न तो उन्हें पुलिस रोकती है और न आरटीओ इनकी हालत पर कोई कार्रवाई करता है। यहां तक टाटा मैजिक के गेट सड़क की ओर खोलकर उसमें क्लीनर लटकते हुए चलते है जो मार्ग से निकलने वाले अन्य वाहन चालक या पैदल यात्री के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इसके अलावा 546 सिटी वेन में से अधिकांश वेन के चालक पहले तो क्षमता से अधिक सवारियां बैठाते है और ऊपर से वेन का गेट खुला छोडते है।
  गेट के खुला रहने का कारण वेन चालक गेट खराब होना बताते हैं। ऐसे यदि सवारी वेन से बाहर आकर गिर जाए तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? इन वेन चालकों की दादागिरी इतनी है कि उन्हें ग्रामीण रूट के परमिट दिए गए हैं, पर वे शहरी सीमा गाडी चलाते हैं। इस तरह के सबसे ज्यादा वाहन रिंग रोड पर चलते देखे जा सकते हैं। आरटीओ और पुलिस वालों को ये खटारा और ग्रामीण क्षेत्र के शहरी इलाको में चलने वाले लोक परिवहन वाहन नजर नहीं आते, क्योंकि उनका इस अनदेखी के बदले बहुत कुछ मिलता है।

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