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शुल्क बढ़ोतरी के साथ पुरानी वसूली भी करे नगर निगम 40 फीसदी रहवासियों ने नहीं दिया पैसा

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*इंदौर:-बाबा यादव*
     निगम ने पिछले वर्ष ‘डोर टू डोर’ कचरा कलेक्शन शुरू कर शुल्क निर्धारित किया था। अधिकारियों-कर्मचारियों की निष्क्रियता के चलते कई क्षेत्रों में अभी भी शुल्क वसूली नगण्य बनी हुई है। अभी भी शहर के 40 फीसदी लोग शुल्क नहीं चुका रहे हैं। ऐसे लोगों को निगम जानता है, इसके बावजूद वह कार्रवाई करने में खुद को अक्षम मान रहा है।
  क्षेत्रों में जनप्रतिनिधि भी अपने समर्थकों, कार्यकर्ताओं से शुल्क नहीं चुकाने की बात कहते हैं। स्वच्छता अभियान के तहत निगम ने शहर के कचरा पेटी से मुक्त कराकर ‘डोर टू डोर’ कचरा कलेक्शन के लिए 400 से अधिक वाहनों को दौड़ाना शुरू कर दिया है। इन वाहनों के ईंधन, चालक का वेतन व अन्य खर्च वहन करने निगम ने अपने पिछले बजट में तय किया था कि ‘डोर टू डोर’ कचरा कलेक्शन के 60 रुपए प्रतिमाह, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से 90 रुपए प्रतिमाह वसूले जाएंगे। ये गाडिय़ां सुबह से रात तक कचरा संग्रहण में लगी हुई है। इस शुल्क का कांग्रेस पार्षद दल ने जोरशोर से विरोध किया था, मगर महापौर मालिनी गौड़ व मेयर इन कौंसिल के तटस्थ रहने से नेता प्रतिपक्ष का विरोध नाकाम साबित हुआ।
  इसके बाद लोगों ने ईमानदारी का परिचय देते हुए शुल्क चुकाना। शुल्क वसूली के लिए बाकायदा जोन स्तर पर वसूली अधिकारी घर-घर पहुंचे और पैसा लेकर रसीद थमा दी। पॉश कालोनियों व व्यावसायिक क्षेत्रों में वसूली 90 फीसदी से अधिक हो रही है। इसके उलट, श्रमिक क्षेत्रों में वसूली का आंकड़ा काफी कम है। सूत्रों ने बताया कि यहां के जनप्रतिनिधि वसूली अधिकारी-कर्मचारियों को धमकाते हैं  और यही कारण है कि अधिकारी शुल्क वसूली से दूरी बनाए हुए हैं।
इसका जवाब नहीं
  महापौर ने डोर टू डोर व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से वसूले जाने वाले शुल्क में अपेक्षाकृत बढ़ोतरी कर दी है। इस शुल्क का कांग्रेस पार्षद दल ने विरोध भी किया। अब सवाल यह है कि महापौर कचरा कलेक्शन शुल्क तो बढ़ा रही है, मगर जिन इलाकों में वसूली नगण्य हैं, वहां कैसे वसूली का आंकड़ा बढ़ाएंगी, इसका जवाब नहीं दिया।
सम्पत्तिकर भी जमा नहीं
   निगम ने कचरा कलेक्शन शुल्क का राशि सम्पत्तिकर के बिल में जोडक़र देना भी शुरू किया था। श्रमिक क्षेत्र में सम्पत्तिकर वसूली अधिकारी जनप्रतिनिधियों के डर के कारण नहीं पहुंचते। कर वसूली का आंकड़ा भी इन क्षेत्रों में कम आता है। जब रहवासी सम्पत्तिकर भी समय पर जमा नहीं कर रहे तो निगम को कचरा कलेक्शन का शुल्क कैसे मिलेगा।

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