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*अदालत से समय मांगने के बावजूद नही हुई अबतक लिस्ट जारी निकल गया समय* *इधर मंत्री जी ने दिलासा दिला कर वोट भी बटोर लिए और मुख्यमंत्री का स्वागत करा कर वाहवाही भी लूट ली छोङ दिया अधर में* *कहां कराए बच्चो का एडमिशन जंहा पोस्टिंग दे वहां या अभी जहां रह रहे है, वहां फंसे दुविधा में*

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*अदालत से समय मांगने के बावजूद नही हुई अबतक लिस्ट जारी निकल गया समय*

*इधर मंत्री जी ने दिलासा दिला कर वोट भी बटोर लिए और मुख्यमंत्री का स्वागत करा कर वाहवाही भी लूट ली छोङ दिया अधर में*

*कहां  कराए बच्चो का एडमिशन जंहा पोस्टिंग दे वहां  या अभी जहां  रह रहे है, वहां  फंसे दुविधा  में*

*इंदौर:-बाबा यादव*
उच्चशिक्षा विभाग ने सहायक प्रोफेसरों की सुध लेना छोड़ दी है, जिससे एक और अदालत की अवमानना हुई है, दूसरी और सहायक प्रोफेसरों की परेशानी
लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले साल चुने गए लगभग ढाई हजार से ज्यादा सहायक प्रोफेसरों को  महीेनो बाद भी उच्चशिक्षा विभाग अभी तक तैनाती नहीं कर पाया है। जिस वजह से विकलांग आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट में केस लगा था। उसकी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने 17 जून को सरकार को निर्देश दिए थे कि वे 15 दिन में चुने सहायक प्रोफेसर की सूची जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करे, जबकि उस बात को एक महीना बीत गया लेकिन सरकार ने अभी तक लिस्ट जारी नहीं की है। जब उम्मीदवारों ने उच्चशिक्षा विभाग के अधिकारियों से बात की तो जवाब मिला कि लिस्ट अगस्त में जारी कर देंगे। जिस पर अदालत की अवमानना के मामले में 17 जून को जब सरकारी वकील और उच्चशिक्षा विभाग के अधिकारियों की अदालत में पेशी हुई थी जब उन्होंने खुद ही अदालत से पंद्रह दिन का समय मांगा था और अब वो ही तय समय पर लिस्ट जारी नहीं कर पा रहे हैं। मामले में सूत्रों का कहना है कि तबादलों की वजह से उच्चशिक्षा विभाग के कामकाज पर भी असर पड़ रहा है जिसके चलते लिस्ट नहीं बन पाई है। इधर मंत्रीजी ने तमाम चयनितों को दिलासा दिला कर वोट भी बटोर  लिए और असरावद खुर्द में होस्टल की ओपनिंग में भीड़ दिखाने के लिए फिर इनका सहारा लिया और स्वागत के बहाने भीड़ जुटा ली और वाहवाही भी लुट ली लेकिन अब जुलाई भी समाप्त होने की कगार पर है और मंत्रीजी महीने दर महीने बढ़ाते जा रहे है।
*कहां  कराए बच्चो का एडमिशन*
चयनित लोग खास कर अन्य बच्चो का तो भविष्य बनाएंगे मगर खुद के बच्चों के भविष्य की अब चिंता में लग गए है। वजह अब तक कई स्कूलों में एडमिशन  हो चुके है तो कई में इंटरव्यू भी हो गए अब ऐसे में ये चयनित कहां अपने बच्चों का एडमिशन कराए हाल फिलहाल जहां  रह रहे है वहां  या जहां  पोस्टिंग होगी वहां जो अभी तक पता नही है। जिस पर न तो कोई नेता न ही कोई अधिकारी ध्यान दे रहा है। अगर अगस्त में जोइनिंग मिलती है तो कौन स्कूल देगा इनके बच्चों को एडमिशन जो विचारणीय है।
*तंगहाली ने भी कर दिए पांव पसारना शुरू*
चयनित कई सहायक प्राध्यापको ने अपनी अन्य नोकरी भी छोड़ दी है जिसकी वजह से आब परिवार का भरण पोषण करना भी दिन ब दिन मुश्किल होते जा रहा है ऊपर से अदालत, मंत्री, अधिकारी तो विभागों के चक्कर काटने में भी लग रहे है जेब से पैसे ऐसे में अब इन चयनित प्रोफेसरो की न तो कोंग्रेस न ही बीजेपी सुध ले रही है। न दी कोई सटीक जवाब दे पा रहा है कि आखिर कब तक इन्हें मिलेगी नियुक्ति ऐसी स्थिति में कई लोग अब डिप्रेशन में आने लगे है इन प्रोफेसरो का कहना है कि अगर भगवान न चाहे अगर किसी को कुछ हो गया तो इसकी जिम्मेदार कौन होगा ये तो प्रदेश सरकार ही जाने।

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