कलेक्टर के आदेश पर जागा कुंभकरणी नींद में सोया खाद्य विभाग
कुछ दुकान की जांच कर डियूटी से कर ली इतिश्री
मिलावट पकडऩे भोपाल और इंदौर की टीम पहुंची
*गोविंद राठौड़,संजय बाबा यादव*
इंदौर। लंबे समय से खाद्य पदार्थो में मिलावट की शिकायत के बाद कलेक्टर के आदेश पर कुंभकरणी नींद में सोया खाद्य एवं औषधि विभाग प्रशासन के साथ कल मैदान में उतरा ओर कुछ दुकानों पर जांच की खानापूर्ति कर डाली। अधिकारियों का सहयोग करने भोपाल से 5 सदस्यीय टीम भी आई थी। टीम ने शहर की मात्र 6 दुकानों का सेम्पल लिया और उसे जांच के लिए भोपाल लैब भेज दिया। आठ घंटे तक टीम मैदान में रही। शहर में सैकड़ों दुकानें हैं। जांच की जानकारी मिलने से दुकानदारों में हड़कम्प मच गया है। रोजमर्रा के साथ अति आवश्यक सेवाओं में शामिल दूध में मिलावट आम बात हो गई है। कुछ दिन पहले सांची दूध में मिलावट करने की शिकायत मिली थी, दो युवक इस कार्य में लिप्त थे। इसके कुछ दिन बाद प्रशासन ने सारे शहर में हल्ला मचाते हुए दूध सेम्पल लिए थे। सेम्पल लेने के बाद जांच में क्या मिला, खुद अधिकारियों को जानकारी नहीं है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि हमारा काम सेम्पल लेकर जांच के लिए लैब भेजना है, वहां से रिपोर्ट कब आएगी, यह कहना मुश्किल रहता है। हालांकि, सरकार के निर्देश हैं कि सेम्पल की जांच 14 दिन में पूरी कर चाहिए, लेकिन लैब में 14 दिन तक कुछ होता नहीं। सूत्रों की मानें तो प्रतिदिन पूरे प्रदेश से सैकड़ों सेम्पलों की जांच लैब तक पहुंचती है। कमोबेश कुछ सेम्पल ही अमानक मिलते हैं। जांच रिपोर्ट विलंब से आने का फायदा व्यापारी उठाते हैं। शहर से भी सालभर में 100 से अधिक सेम्पल पहुंचते हैं, लेकिन अभी तक किसी भी सेम्पल को अमानक नहीं मिला। यानि, किसी भी खाद्य पदार्थ में मिलावट नहीं है और वह आमजन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर रहा। उधर, स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट के निर्देश के बाद टीम ने मैदान पकड़ा था। दो-तीन दिन में सेम्पल लेने का नाटकीय क्रम चलेगा। सूञों की माने तो खाद्य एंव औषधि विभाग के मनीष स्वामी अंगद की तरह वर्षो से यहां जमें है, और इन्दौर में इनका अच्छा खासा व्यापारियों से सेेेेटप है इस कारण सिर्फ दिखावे की कार्यवाही की जाती है इस बहाने डिपार्टमेंट के जो अधिकारी स्वामी के कारण लुप लाईन में है उन्हें भी पैसा कमाने का मौका मिल जाएगा नहीं तो अधिकारियों को आफिस में ही पुरा समय बिताना पड़ता है इस कार्यवाही के बाद फिर सुस्ती का वातावरण बन जाएगा।
*10 प्रतिशत की भी नही होती जांच*
इंदौर जैसे शहर में जहां हजारों की तादात में खाउ ठिये है, ऐसे शहर में खाद्य विभाग के अफसर 10 में से 1 दुकान पर भी खाने-पीने की चीजों की जांच नही करते है। कुल मिलाकर शहर के लोग दुकानों पर क्या खा रहे है उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होता है तो भगवान मालिक है।