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*भारतीय पत्रकारिता महोत्सव- कप्तान की शानदार कप्तानी पारी* 🖊 *डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’*

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*भारतीय पत्रकारिता महोत्सव- कप्तान की शानदार कप्तानी पारी*

🖊 *डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’*

इंदौर और इंदौर की पत्रकारिता एक हस्ताक्षरिया पहचान के साथ देश के मानचित्र पर अंकित हैं। और इसलिए अहिल्या के इस शहर को पत्रकारिता की राजधानी भी कहा जाता हैं।
खुशकिस्मत है वो जिन्हें इस शहर में पत्रकारिता करने का अवसर मिलता हैं।
इसी शहर की स्तरीय पहचान बन चुका पत्रकारिता महोत्सव भी लगभग अपना दशक पूर्ण कर चुका है।
इस हस्ताक्षर महोत्सव की मेजबानी भी हमेशा प्रवीण खारीवाल जी के नेतृत्व में ही सम्पन्न होती आ रही हैं। वैसे माँ अहिल्या की नगरी और हिन्दी पत्रकारिता की राजधानी इंदौर हमेशा से ही अपने कर्म और कार्यों से अव्वल रहा हैं। और यह महोत्सव जो पत्रकारिता की नवीनता और शुचिता के चलते प्रासंगिक भी रहा और लाभप्रद भी ।
इतिहास के पन्नों में दर्ज भारतीय पत्रकारिता महोत्सव 2019 की तैयारी के पहले दिन से समापन तक यदि किसी के प्रचंड नेतृत्व की बात होगी तो केवल एक नाम प्रवीण खारीवाल जिसे शहर कप्तान के नाम से जानता है।
कप्तान की शानदार कप्तानी पारी  और फिर मैदान में डटकर इस उत्सव को महोत्सव में तब्दील कर दिया।
निश्चित तौर पर सैकड़ों सांस्कृतिक आयोजनों, पत्रकारिता परिचर्चा, गोष्ठियों का गवाह यह शहर इस बार स्टेट प्रेस क्लब की मेज़बानी का भी प्रत्यक्ष गवाह बना।
अटूट विश्वास और संकल्पशक्ति का प्रत्यक्ष उदाहरण बने कप्तान की कप्तानी में अदम्य नेतृत्वकर्ता साहसिक टीम की सक्रिय भागीदारी के रूप में भी दर्शनीय रही।
देश के लगभग 22 प्रान्तों से सिद्ध-प्रसिद्ध पत्रकारों का आना जिनमें दिल्ली प्रेस क्लब, कोलकाता प्रेस क्लब, जम्मू प्रेस क्लब, केरल प्रेस क्लब, नागपुर, चैन्ने, कश्मीर, गुजरात, भोपाल सहित कई शहरों के प्रेस क्लब के पदाधिकारियों का उपस्थित रहना,  देश के ख्यातनाम कवि डॉ. कुँवर बैचैन, डॉ. विष्णु सक्सेना, शायर शबीना अदीब, डॉ. शारिक कैफ़ी, डॉ. पॉपुलर मेरठी का सम्मिलित होना, प्रसिद्ध भजन गायक अनूप जलोटा की मौजूदगी और फिर ख्यात पार्श्व गायिका सारिका सिंह की सूफी महफ़िल भी इस बात का प्रमाण देती है कि स्टेट प्रेस क्लब के आयोजन अपने आप में पूर्णता समेटे हुए सिद्धि को प्राप्त रहा।
मीडिया कर्मियों का सम्मान, स्थानीय और राष्ट्रीय पत्रकारों को पुरस्कृत करना, पत्रकारिता की तीन पीढ़ी को एक छत के नीचे लाना अन्य किसी के बस में कहाँ है ।
किसी शायर ने लिखा भी है कि-
*उस दश्त में चराग जलाना कमाल है ..*
*जिस दश्त में हवायें नही आंधियां चलें..*
जब मौजूँ हालात भी कुछ विपरीत हो तब यदि कोई शख्स एक महोत्सव के चित्र में खुशियों के रंग भर दें तो यह काम करने वाले को *‘कप्तान यानी प्रवीण खारीवाल’* ही कहते है।
सुदेश भैया, राकेश द्विवेदी , आकाश चौकसे, सोनाली यादव, अभिषेक बड़जात्या, शिवनेकर जी, विनीत शुक्ला, रवि चावला, अक्षय जैन, आनंद जैन ऐसे कई नाम जिन्होंने कप्तान के नेतृत्व, विश्वास और सम्मान को अक्षुण्ण रखने में स्व को सिंचित कर दिया, और एक उत्सव को महोत्सव में बदल दिया। और शहर की पत्रकारिता और कलाप्रेमी जमात में चर्चा ए आम है कि कप्तान का नेतृत्व हरबार की तरह इस बार भी कामयाब रहा। बुलंद इमारत सदैव मजबूत नींव पर टिकी होती है, स्टेट प्रेस क्लब की बुनियाद भी ऐसी ही नींव पर खड़ी हैं। इसीलिए कप्तान की कप्तानी को सैकड़ों नमन।
🖊 *डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’*
हिन्दीग्राम, इंदौर

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