*पीएससी चयनित सहायक प्राध्यापकों ने पीएससी ऑफिस जाकर सचिव श्रीमती रेनू पंत जी के नाम से ज्ञापन सौंपा*
*संजय यादव बाबा-9926010420*
*इंदौर:-* पीएससी चयनित सहायक प्राध्यापक संघ के 50 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने आज पीएससी ऑफिस, इंदौर जाकर सचिव श्रीमति रेनु पंत को शीध्र नियुक्ति करवाने हेतु ज्ञापन सौंपा। पीएससी चयनितों ने आरोप लगाया कि शासन की टालमटोल और आए दिन लगने वाले अनर्गल आरोपों से संवैधानिक संस्था पीएससी का अपमान हो रहा है । और सरकार इनकी संवैधानिक मांगों को न मान कर इनके संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही है जिससे संविधान का भी अपमान हो रहा है ।पीएससी जैसी कठिन परीक्षा पास करने के बाद भी सहायक प्राध्यापकों को इस प्रकार दर-दर की ठोकरें खाना पड़ रही है। तो इससे शिक्षा के प्रति छात्रों का मनोबल कैसे बढ़ सकता है। ज्ञात होवे कि यह पीएससी चयनित महू से “संविधान रक्षा यात्रा” निकाल रहे हैं जिसमें लगभग 2000 पीएससी चयनित शामिल हुए हैं आज इन्होंने सचिव श्रीमति रेनू पंत जी से मांग की कि वे शासन को ध्यानाकर्षण पत्र लिखकर शीघ्र नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करवाएं।
*क्या है संविधान रक्षा यात्रा??* – संवैधानिक संस्था मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित असिस्टेंट प्रोफ़ेसरो की नियुक्ति हेतु यात्रा,जो 15 महीनों से मध्यप्रदेश शासन द्वारा हर 15 दिन का केवल आश्वासन ले रहे हैं ।।
*जनता से क्यों समर्थन?* मध्यप्रदेश शासन ने 27 वर्ष पूर्व 1992 में प्रोफ़ेसरो की नियुक्ति की थी।तब से अब तक कोई नियमित प्रोफ़ेसर सरकारी महाविद्यालयों को नहीं मिल सका है ।जिनमें आप, आपके बच्चे, भाई, बहन पढते हैं ।जब कालेजों में प्रोफ़ेसर ही नहीं होगे तो श्रेष्ठ उच्च शिक्षा की बात बेमानी है ।प्रदेश के 11लाख विद्यार्थियों को 50%प्रोफ़ेसर उपलब्ध नहीं है ।
*क्या है चयनित असिस्टेंट प्रोफ़ेसरो का अपराध-???*—- ये सभी उच्च शिक्षित है PhD,,NET ,SET ,CSIR, GATE जैसी कठिन परीक्षा पास करने के बाद मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की परीक्षा पास करके आए है ।।। सामान्यत किसी दूसरी परीक्षा में इतनी योग्यता नही माँगी जाती जितनी इस परीक्षा में मांगी गई है । पहली बार शासकीय महाविद्यालयों को IIT ,IIM जैसी बङी संस्थाओ से पढ़े प्रोफ़ेसर मिलना है।।
*यात्रा क्यों???*- मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा पिछले 15 महीनों से हर 15 दिन बाद नियुक्ति का आश्वासन दिया जाता है ,15 दिन बाद फिर 15 दिन का ।और उच्च शिक्षा को सुधारने के लिए बाते बङी बङी की जाती हैं और कोई काम नहीं किया जाता ,केवल और केवल वोट बैंक की राजनीति के चलते। ।(जैसा कि आप सभी TV ,अखबारों में सुनते ही होंगे)।
संवैधानिक संस्था मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा चयन होने के बाद नियुक्ति लेना इन चयनित असिस्टेंट प्रोफ़ेसरो का संवैधानिक अधिकार बनता है ,ये कोई भीख नहीं है ।
*आप ही सोचिये कि क्या जनता को इन सभी का समर्थन करना है या नहीं??????*