डीएनयु टाईम्स (ब्यूरो रिपोर्ट, भोपाल)
माफियामुक्त मध्यप्रदेश / 1800 सोसायटियों के रिकॉर्ड जांचेगी राज्य सरकार, इनमें इंदौर की सबसे ज्यादा 860
भोपाल. माफिया के खिलाफ जारी व्यापक अभियान के तहत अब जमीन की धोखाधड़ी करने वालों पर शिकंजा कसने की तैयारी है। राज्य सरकार इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर की करीब 1800 सोसायटियों के रिकॉर्ड की जांच कराएगी। इसकी जिम्मेदारी सहकारिता विभाग को दी गई है। सबसे ज्यादा इंदौर की 860 सोसायटियां जांच के दायरे में हैं।
विभाग यह जांचेगा कि किस सोसायटी में क्या विवाद है और उसके खिलाफ कितनी शिकायतें हैं। इन शिकायतों की वर्तमान स्थिति आदि की रिपोर्ट सरकार को दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक प्रदेशभर में सोसायटियों के विवादों से जुड़ी हजारों शिकायतें पेंडिंग हैं। अकेले भोपाल-इंदौर की ही करीब चार हजार शिकायतें विभाग के पास हैं।
इन बिंदुओं पर बनेगी कुंडली
-सोसायटी का ऑडिट कब से नहीं हुआ।
-कितने प्राथमिक सदस्य बनाए गए थे और उनमें से कितनों को प्लाॅट दिए गए।
-वरीयता सूची के हिसाब से प्लाॅट दिए गए या नहीं।
-31 मार्च की स्थिति में सदस्यों की क्या स्थिति है। -सोसायटी में कितने विवाद हैं।
-जिन्हें प्राथमिक सदस्यता दी गई थी उन्हें प्लाट दिए गए या नहीं।
-शिकायतों के आधार पर संचालक मंडल के खिलाफ एफआईआर करवाई जाएगी।
-ये शिकायतें ज्यादा
सोसायटी द्वारा वरियता सूची का उल्लंघन कर प्लाॅट आवंटन करना।
-रजिस्ट्री करवाने के बावजूद प्लाॅट नहीं दिया जाना।
-सोसायटी द्वारा रिकाॅर्ड उपलब्ध न करवाना।
-सहकारी अधिनियम के अंतर्गत विभिन्न अपराधों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होना।
-वरियता सूची के आधार पर प्लाट मिले या नहीं।
सहकारिता विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रत्येक विवाद वाली सोसायटियो के साथ ऐसी सोसायटी जिनमें विवाद नहीं हैं, वहां की सदस्यता सूची जांची जाएगी। यह देखा जाएगा कि सदस्यों को वरियता के आधार पर प्लाॅट दिए गए है या नहीं। इसकी मुख्य वजह यह है कि सोसायटियों के बहुत से प्राथमिक सदस्य ऐसे हैं जिन्होंने कहीं कोई शिकायत ही नहीं की है। इस वजह से ऐसी सोसायटियों द्वारा की गई धोखाधड़ी भी सामने आ सकेगी।
गृह विभाग से भी लेंगे मदद
सहकारी संस्थाओं के गबन, धोखाधड़ी के प्रकरणाें में कार्रवाई के लिए पुलिस महानिदेशक कार्यालय में गठित सहकारी फ्राड विजिलेंस सेल को सहकारिता विभाग के प्रशासकीय नियंत्रण में किए जाने के लिए गृह विभाग से सहयोग लिया जाएगा। जिससे सहकारिता और पुलिस के मध्य समन्वय से ऐसे प्रकरणों में प्रभावी कार्रवाई हो सके।
केस-टू-केस जांच होगी, सहकारिता विभाग ने तय किए 16 बिंदु
प्रदेश में भू-माफियाओं पर कार्रवाई शुरू होने के बाद सहकारिता विभाग ने सोसायटियों के केस वरीयता के आधार पर जांच करने का फैसला लिया है। इसके लिए 16 बिंदु बनाए गए हैं जिससे यह पता लगाया जाएगा कि सोसायटी की वास्तविक स्थिति क्या है। इसके लिए चार बड़े शहरों के अलावा उज्जैन के अधिकारियों के साथ भी समीक्षा बैठक की जाएगी। इसमें केस टू केस पर विमर्श किया जाएगा। संबंधित अधिकारियों को तैयारी से आने के लिए कहा गया है।
इंदौर की 35 सोसायटियों के लिए अलग व्यवस्था
इंदाैर जिले में आईडीए को उपायुक्त सहकारिता द्वारा दिए जाने वाली हाउसिंग सोसायटियों की सदस्यता सूची में संबंधित विवाद 35 सोसायटियों का होना बताया गया है। इसके लिए आयुक्त सहकारिता स्तर पर प्रभावी व्यवस्था बनाई जाएगी, ताकि इन सोसायटी के पीड़ितों को उनका हक मिल सके।
पहले भी हुईं जाचें : करीब नौ साल पहले भू-माफिया और जमीन से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में अभियान चला था। तब करीब 5% पीड़ितों को ही हक मिल पाया था।
सोसायटियों से जुड़े विवाद और धोखाधड़ी से संबंधित मामलों के लिए विभिन्न बिंदुओं के आधार पर समीक्षा की जाएगी। मुख्य रूप से वरीयता सूची की जांच की जा रही है। इससे स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी।’
डॉ.एमके अग्रवाल आयुक्त, सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएं मप्र
न्याय नगर, मां सरस्वती, संतोषी माता व मयूर नगर का रिकॉर्ड कोषालय में जमा
इंदौर. प्लॉटों की धोखाधड़ी के मामले में उलझी न्याय नगर, मां सरस्वती, संतोषी माता और मयूर नगर संस्था का रिकॉर्ड प्रशासन ने कोषालय में जमा करवा दिया है। अब तक ये सहकारिता विभाग में रखा था। वहां जमीन माफिया इसमें कोई हेरफेर नहीं कर सकें, इसके लिए अफसरों ने ये कदम उठाया है। संभवत: किसी मामले में एहतियात बरतने के लिए पहली बार ऐसी कार्रवाई की गई है।
हाल ही में इन चारों संस्थाओं के कर्ताधर्ताओं के खिलाफ अलग-अलग मामलों में पीड़ितों ने एफआईआर करवाई थी। कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने रिकॉर्ड के साथ सॉफ्ट कॉपी भी कोषालय में बुलवा ली है। उनके मुताबिक, कुछ और भी संस्थाओं की जांच चल रही है, जिसमें प्रकरण दर्ज होते ही उनके रिकॉर्ड भी जमा करवा लेंगे।