*एहसास रिश्तों का` जीवन और समाज के रिश्तों के कर्तव्य दायित्व बोध का जीवन्त महाकाव्य*
*पीताम्बर’ के एकल काव्य संग्रह का विमोचन किया वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्रद्धानन्द आनंद ने*
वाराणसी( उत्तर प्रदेश)। `पीताम्बर` की रचना `एहसास रिश्तों का` आज के परिपेक्ष्य में साहित्य और विषय वस्तु में सर्वोत्तम श्रेष्ठतम खण्ड काव्य हैl यह रचना भारतीय हिंदी साहित्य के महाकवि निराला रामधारी सिंह,दिनकर को जीवन्त करती हैl निश्चित तौर पर एहसास रिश्तों का जीवन और समाज के रिश्तों के कर्तव्य दायित्व बोध का जीवन्त महाकाव्य हैl
यह बात वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्रद्धानन्द आनंद ने प्रसिद्ध रचनाकार नन्दलालमणि त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ के एकल काव्य संग्रह ‘एहसास रिश्तों का’ के विमोचन के अवसर पर कहीl वाराणसी स्थित डी.एल.डब्लू. रेल इंजन कारखाना(उत्तर प्रदेश)के बहुउद्देशीय सभागार में काशी काव्य संगम के तत्वाधान में यह विमोचन कार्यक्रम हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि प्रो.आनन्द (काशी विद्यापीठ वाराणसी के हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष) रहे तो अध्यक्षता प्रो. अर्जुन तिवारी ने कीl विशिष्ट अतिथि की जिम्मेदारी डॉ. वशिष्ठ त्रिपाठी,डॉ. राधेश्याम दुबे(पूर्व विभागाध्यक्ष बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय) सहित डॉ. ऋतु प्रिया खरे,डॉ. राखी रानी,शमशेर बहादुर सिंह,रामनरेश जी,राजकुमार गुप्त,आर. के. चौधरी ने संभाली।
श्री त्रिपाठी ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ मधु पाण्डेय ने शानदार माँ सरस्वती वंदना से किया। सर्वप्रथम प्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार राम प्रवेश तिवारी का नागरिक अभिनंदन किया गया।उसके बाद `पीताम्बर` की पुस्तक `एहसास रिश्तों का` का बेहद शानदार विमोचन सभी ने किया। पुस्तक विमोचन के बाद पुस्तक की समीक्षा पर सार्थक चर्चा पुस्तक के सभी पक्षों के परिपेक्ष्य में कि गईl सर्वप्रथम डॉ. राधेश्याम दुबे ने कहा कि पीताम्बर का एकल खंड काव्य अहसास रिश्तों का` साहित्य की समग्रता को समेटे समाज और समय को सार्थक वर्तमान और भविष्य दोनों के लिये सकारात्मक सन्देश देती हुई बेहद आकर्षक शानदार रचना साहित्य की अनमोल धरोहर है।डॉ. वशिष्ठ त्रिपाठी ने समीक्षा में कहा कि नंदलाल मणि त्रिपाठी का एकल खंड काव्य साहित्य की श्रेष्ठतम् विधा परम्परा की कालजयी रचना है,जो पूरे विश्व में सम्पूर्ण मानव समाज को रिश्तों और उसके महत्व की प्रमाणिकता को तथ्यों की वास्तविकता को सत्यार्थ के प्रकाश में दर्पण दिखाती साहित्य और जीवन दर्शन मूल्यों की धरोहर है। डॉ. श्रद्धानन्द आनंद ने समीक्षा में कहा कि,नंदलाल मणि त्रिपाठी `पीताम्बर` की रचना आज के परिपेक्ष्य में साहित्य और विषय वस्तु में सर्वोत्तम श्रेष्ठतम खण्ड काव्य हैl यह रिश्तों की भावनाओं के नए आयाम और परम्परा का सशक्त प्रभावी युग संदेश हैl डॉ. अर्जुन तिवारी ने कहा कि पीताम्बर की रचना वर्तमान परिपेक्ष्य में हिंदी साहित्य की उत्कृष्टतम रचना हैl यह कालजयी कृति `कामायनी` के समकक्ष है। इसे रिश्तों की वास्तविकता और वैधानिकता के अनुसार सात खण्डों में विभक्त कर विशेष महत्वपूर्ण और जन-जन के अनुरूप स्वीकार बनाया जा सकता हैl
इस अवसर पर विभिन्न प्रदेशों से आए कवियों ने काव्यपाठ की निर्मल निर्झर धारा से सबका मन मोह लिया। संचालन जगदिश्वरी चौबे,एखलाख जी और अरविन्द भूषण ने किया। आलोक सिंह और श्रीमती अरुणा सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित कियाl