*इंदौर:-बाबा यादव*
राज्य सरकार ने गरीब और दलित वर्ग के परिवार के बच्चों को निजी स्कूलों में शिक्षा दिलाने के लिए आरटीई के तहत प्रवेश प्रक्रिया शुरू की है। जिसमें प्रवेश पाने वाले बच्चों की फीस सरकार खुद भरती है मगर इंदौर के गुजराती स्कूल नसिया रोड़ पर प्राचार्य और प्रबंधकों ने एक गरीब परिवार पर उसके बच्चों को शिक्षा देने के एवज में 50 प्रतिशत फीस की मांग रखी है।
गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले नार्थ तोड़ा निवासी जयकुमार वर्मा ने आरटीई के तहत अपने दो बच्चों अक्षय वर्मा और सिद्वार्थ वर्मा को भर्ती कराया था। गुजराती स्कूल में अभी तक तो इन बच्चों से फीस नहीं ली गई मगर इस बार स्कूल प्रबंधकों ने साफ तौर पर कह दिया कि वे अपने बच्चों की 50 प्रतिशत फीस अनिवार्य रुप से जमा करें। इस समय जयकुमार वर्मा के दोनों बेटे कक्षा 6 टी ओर कक्षा 5 वी में पढाई कर रही है।
शासन के नियमों के अनुसार बच्चे को प्रवेश देने के बाद जब तक वह पढाई करता है तो उससे फीस नहीं ली जा सकती है। शासन स्कूलों में प्रवेश लेने वाले बच्चों की फीस भरता है। इधर बच्चे के पिता का कहना है कि उनके बच्चे स्कूल की बसों से जाते है तो उसका वे 23-23 सौ रुपये किराया भी भरते है। स्कूल के फरमान के बाद अब बच्चों के पालक की परेशानी बढ़ गई है।
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